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बगदाद बम हमलों में 57 की मौत

२२ दिसम्बर २०११

बगदाद में सिलसिलेवार बम हमलों में अब तक करीब 57 लोगों की जान चली गई है. इस बीच इराक की सरकार में सुन्नी और शिया नेताओं के बीच राजनीतिक झगड़े से स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

बम हमलों में बगदाद के उन इलाकों को निशाना बनाया गया है, जहां ज्यादातर शिया मुस्लिम रहते हैं. इराक स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता जियाद तारिक के मुताबिक शहर भर में लगभग 10 धमाके हुए हैं जिनमें कम से कम 57 लोग मारे गए हैं और लगभग 150 घायल हुए हैं.

गुरुवार के धमाकों में कम से कम 18 लोगों की मौत बगदाद के कराडा इलाके में हुई जब एक एंबुलेंस में बैठे आत्मघाती हमलावर ने अपनी गाड़ी विस्फोट से उड़ा दी. आसपास के एक स्कूल के सारे शीशे टूट गए. बगदाद के दक्षिणपूर्वी अमील जिले में सड़क के किनारे लगाए गए दो बमों से सात लोगों की जान चली गई और 21 घायल हुए जबकि शिया इलाके दौरा में तीन लोग मारे गए. बगदाद के केंद्रीय अलावी इलाके, उत्तर में शाब और शुला में भी जबरदस्त धमाके हुए हैं.

तस्वीर: dapd

इस साल नवंबर में बगदाद में तीन बड़े धमाके हुए, जिनमें 13 लोगों की जान गई. अक्तूबर में 30 लोग एक हमले में मारे गए थे. इससे पहले 2006 और 2007 के बीच इराक के शिया और सुन्नी समुदायों की आपस में भारी हिंसा हुई जिसमें हजारों लोगों की जानें गईं. उस वक्त देश में गृह युद्ध जैसी स्थिति बन गई थी. इराक की सरकार अल कायदा से संबंधित सुन्नी इस्लामी गुटों और शिया मिलिशिया की हिंसा से जूझ रही है. अमेरिका का मानना है कि शिया मिलिशिया को ईरान से मदद मिलती है.

नौ साल पहले सद्दाम हुसैन के शासन के खिलाफ शुरू हुए अमेरिकी युद्ध के दौरान आए अमेरिकी सैनिक पिछले हफ्ते देश से लौटे हैं. उस वक्त भी कई इराकी नागरिकों का कहना था कि अमेरिकी सैनिकों के निकलने के बाद गृह युद्ध की स्थिति पैदा हो सकती है. अमेरिका के वापस जाने के बाद इराक की सरकार अपनी परेशानियों में उलझ गई है. सरकार शिया, सुन्नी और कुर्द समुदायों में बंटी हुई है और नेताओं के आपस में झगड़े से सरकार और देश की स्थिरता पर बुरा असर पड़ रहा है.

उप राष्ट्रपति अल हाशिमीतस्वीर: picture-alliance/dpa

सुन्नी समुदाय के इराक के उप राष्ट्रपति तारिक अल हाशमी पर गिरफ्तारी का वारंट जारी किया गया है. हाशमी पर आरोप लगाए गए हैं कि उन्होंने शिया नेताओं को मारने के लिए योजना बनाई थी. अल हाशमी इसके बाद से इराकी कुर्दिस्तान चले गए हैं, जहां प्रांतीय सरकार उन्हें सुरक्षा दे रही है. इसके बाद शिया समुदाय से ताल्लुक रखने वाले इराक के प्रधानमंत्री नूरी अल मलिकी ने उनसे अपील की है कि वह समर्पण कर दें. इस पूरे मामले के सामने आने के बाद इराक में एक बार फिर शिया और सुन्नी समुदायों के बीच दरार बढ़ सकती है.

सु्न्नी नेताओं को लगता है कि 2003 में इराक पर अमेरिकी हमले के बाद उन्हें अमेरिका ने भी सत्ता में हिस्सेदारी नहीं दी.

रिपोर्टः रॉयटर्स, एएफपी/एमजी

संपादनः ए जमाल

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