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बचत नीति के कारण संकट में जर्मन निर्यात

३० जून २०१२

जर्मन संसद ने यूरोपीय बचाव पैकेज को भारी बहुमत से मंजूरी दे दी है, लेकिन देश के निर्यात उद्यमों की आशंका है कि चांसलर अंगेला मैर्केल की बचत नीति से जर्मन उद्योग को नुकसान हो रहा है.

तस्वीर: Fotolia

यूरो जोन में मंदी है, स्पेन और ग्रीस से लगातार बुरी खबरें आ रही हैं और जर्मनी के उद्यमी भी ये मानने लगे हैं कि आर्थिक उथल पुथल से बचना अब संभव नहीं रह गया है. इफो इंस्टीट्यूट को इस साल के अंत तक कोई विकास न होने की उम्मीद है. संस्थान के आर्थिक विकास प्रमुख काई कार्स्टेनसन का कहना है कि जर्मन अर्थव्यवस्था ने विकास को विराम दे दिया है. आर्थिक रिसर्चर पूरे साल के लिए सिर्फ 0.7 फीसदी विकास दर की उम्मीद कर रहे हैं. पिछले साल विकास दर तीन फीसदी थी. उद्यमों के बारे में जानकारी देने वाली संस्था क्रेडिट रिफॉर्म ने आशंका व्यक्त की है कि कंपनियों का दिवालिया होना बढ़ सकता है.

उधर जर्मनी को अपना माल बेचने में भी मुश्किल हो रही है. जर्मनी के विदेश व्यापार संघ बीजीए के अध्यक्ष अंटोन बोएर्नर का कहना है, "जर्मनी के प्रति माहौल खराब हो रहा है और स्पष्ट रूप से ठंडा हो गया है." निर्यातकों को सरकार की बचत और सुधार नीति का बचाव करना पड़ रहा है और वे बेरुखी महसूस कर रहे हैं. बोएर्नर कहते हैं, "यदि विक्रेता आपको जंचता नहीं है तो आप कारोबार नहीं करते हैं." यूरोपीय संघ के दक्षिण में स्थित देशों में जर्मन निर्यात में भारी कमी आई है, लेकिन उसकी वजह मुख्य रूप से वित्तीय संकट है.

तस्वीर: AP

ग्रीस और पुर्तगाल के बाद अब स्पेन और इटली भी आर्थिक मुश्किलों का सामना कर रहे हैं. इटली, स्पेन, पुर्तगाल, ग्रीस और आयरलैंड का कुल सरकारी कर्ज 3,300 अरब यूरो है, जबकि इन देशों के बैंकों का कर्ज 9,200 अरब यूरो है. यूरोपीय संघ ने उनकी मदद की आसान शर्तें तय की हैं, लेकिन समस्या से बाहर निकलने का कोई आसान रास्ता सामने नहीं आ रहा है. भारी बचत और सुधारों के कारण ग्रीस कई सालों से मंदी का सामना कर रहा है. वहां बेरोजगारी दर लगातार बढ़ती जा रही है जिसका असर लोगों की क्रयशक्ति पर भी पड़ा है.

बीजीए के प्रमुख बोएर्नर चेतावनी देते हैं कि गर्मी की छुट्टियों के बाद पता चल जाएगा कि वित्तीय संकट का सामना कर रहे देश जरूरी संरचनात्मक सुधार करना चाहते हैं या नहीं. "साल के अंत तक हमारे पास समय नहीं है, उससे पहले बाजार यूरोपीय संघ को फैसले के लिए बाध्य कर देंगे." यदि भुगतान के संकट का सामना कर रहे देश यूरो जोन में बने रहना चाहते हैं, लेकिन सुधारों की हिम्मत नहीं दिखा पाते हैं, तो समेकन का अगला कदम जरूरी होगा. "तब सभी देशों को अपनी संप्रभुता यूरोपीय संघ को सौंपनी होगी और अपनी बजट नीति का समन्वय करना होगा."

तस्वीर: picture alliance/Pressefoto Ulmer

फिर सरकारों का हाल दिवालियेपन का सामना कर रही कंपनियों जैसा होगा. सदस्य देशों के बजट की निगरानी यूरोपीय वित्त मंत्री या नियामक संस्था करेगी और गलतियों को सुधारेगी. ठीक उसी तरह जैसे आर्थिक बदहाली झेल रही कंपनियों में टर्नएराउंड मैनेजर या इंसोल्वेंसी मैनेजर करता है.

जर्मनी के उद्योग जगत को कर्ज संकट और दुनिया भर में कमजोर होते आर्थिक विकास के कारण निर्यात में कमी की आशंका है. निर्यात पर निर्भर उद्यमों ने कारोबार को पटरी पर रखने की चिंता शुरू कर दी है. बहुत से उद्यमों ने यूरोप के कई देशों के अलावा अमेरिका और चीन में मंदी के कारण अपने व्यापार के आकलन में संशोधन किया है.

एमजे/ओएसजे (रॉयटर्स, डीपीए)

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