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समाज

बच्चियों की शादी करने के लिए कर्ज में डूबते मां बाप

१६ जनवरी २०१९

भारत में अपनी कम उम्र की बेटियों की शादी कराने के लिए गरीब मां बाप कर्ज के ऐसे चक्रव्यूह में फंसते जा रहे हैं कि सरकार भी उनकी मदद नहीं कर पा रही है. अब भी 27 प्रतिशत लड़कियों की शादी 18 साल की उम्र से पहले हो रही है.

Indien Kindsbraut
तस्वीर: picture-alliance/dpa/epa/H. Tyagi

मध्य प्रदेश में रहने वाले माखनलाल अहिरवाल ने अपनी 16 साल की बेटी की शादी के लिए साड़ी, चूड़ियां, पायल के साथ उसके ससुराल वालों के लिए पानी वाला कूलर, बिस्तर और बर्तन भी खरीदे थे. अहिरवाल ने 500 लोगों को भोज पर भी बुलाया था. इस सबके लिए उनको दो लाख रुपये कर्ज लेना पड़ा. उनके ऊपर पहले से भी एक लाख रुपये का कर्ज था, जो उन्होंने एक और बेटी की शादी के लिए था. इस एक लाख के कर्ज को चुकाने के लिए माखनलाल अहिरवाल ने पैसा कमाने के लिए दिल्ली का रुख किया. दिल्ली में उन्हें एक निर्माण स्थल पर काम देने का वादा कर के बुलाया गया. लेकिन तीन महीने तक उन्हें किसी बंदी की तरह रख कर काम करवाया गया. ना तो उन्हें मेहनत के पैसे मिले और ना ही खाना. 

माखनलाल अहिरवाल के साथ जो हुआ वो कोई नई बात नहीं हैं. दुनिया में 4 करोड़ लोग बंधुआ मजदूरी करते हैं जिसमें से 80 लाख लोग केवल भारत में हैं. ये लोग गरीबी के कारण पैसा कर्ज पर लेते हैं और कर्ज चुकाने के लिए बंधुआ मजदूरी करने के लिए मजबूर हो जाते हैं. ये कर्ज अकसर बेटी की शादी करने के लिए लिया जाता है.

तस्वीर: S. Rahman/Getty Images

अहिरवाल अब मध्य प्रदेश के धरमपुरा गांव में रहते हैं. वे कहते हैं, "मैं 12 घंटे काम करता था और एक तंबू में रहता था मगर मुझे एक रुपया भी नहीं मिलता था. ये कर्ज मेरी बड़ी बेटी की शादी के लिए था. वो उस समय 14 साल की थी. मगर मुझे काम करने के पैसे नहीं मिले. मेरी चार और बेटियां हैं इसलिए मैंने पिछले साल एक और कर्ज लिया. अगर मैं बाहर जा के काम नहीं करुंगा तो कर्ज चुकाने का कोई और तरीका नहीं हैं."

अहिरवाल के पास जमीन भी नहीं हैं और वे भारत की जाति व्यवस्था में सबसे नीचे पायदान पर आते हैं. इसलिए उनको कर्ज लेने के लिए जमींदारों के पास जाना पड़ता है, जो उनसे 4 प्रतिशत ब्याज लेते हैं. सामाजिक कार्यकर्ता बताते हैं कि "ज्यादातर लोग बेटी की शादी के लिए या किसी बीमारी में कर्ज लेते हैं. क्योंकि गांव में काम नहीं है इसलिए उनको शहर जाना पड़ता है." कई बार शहर में काम देने वाले जानते हैं कि इन लोगों पर कर्ज है और वे इसी मजबूरी का फायदा उटाते हैं. मालिक कई बार इनके पैसे रोक लेते हैं जो कि गुलामी करवाने का एक तरीका है. माखनलाल अहिरवाल जैसे 22 लोगों को दो साल पहले बंधुआ मजदूरी से छुड़ाया गया था.

कम उम्र और ज्यादा कर्ज

कई मां बाप अपनी बेटियों की उम्र के हिसाब से कर्ज लेते हैं ताकि कर्ज बहुत ज्यादा ना हो जाए. भारत में 18 साल से कम उम्र में शादी करना गैरकानूनी है, तब भी 27 प्रतिशत लड़कियों की शादी 18 साल से कम में ही हो जाती है. पूरे दक्षिण एशिया में भारत में बाल विवाह का दर सबसे ज्यादा है. ये प्रथा सबसे ज्यादा गरीब लोगों में चलती है और अधिकारियों का कहना है कि वे बच्चियों के गरीब माता पिता को सिर्फ समझा ही सकते हैं क्योंकि उनके खिलाफ कोई भी कदम परिवार को और परेशान करेगा.

मध्य प्रदेश भारत के सबसे गरीब राज्यों में से एक है और सरकारी आंकड़े दिखाते हैं कि छतरपुर जिले के धरमपुर गांव में आधी से ज्यादा लड़कियों की शादी 18 साल की उम्र से पहले हो जाती है. शादी का खर्च दो लाख रुपये तक होता है और इसके लिए कभी कभी तो पूरा परिवार ही बंधुआ मजदूरी में फंस जाता है. छोटी बच्चियों की पढ़ाई पर भी असर पड़ता है.  

तस्वीर: imago/Chromorange

बेबस बचपन

माखनलाल की 16 साल की बेटी भवानी की अभी अभी शादी हुई है. वह कहती है, "मुझे सजना बिल्कुल पसंद नहीं है. मगर अब जो भी मेरे ससुराल वाले बोलते हैं वो मैं करती हूं." भवानी ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया कि "मुझे पड़ाई करनी थी. मुझे शादी नहीं करनी थी. मगर लोग 15 साल की उम्र से ही बात करना शुरु कर देते हैं."

गांव में नवयुवतियां पानी भरती हैं, खाना बनाती हैं और बीड़ी बनाती हैं. इससे वे परिवार को सहारा देती हैं. जानकारों का कहना है कि बिना सहमति के बाल विवाह गुलामी का एक रूप है क्योंकि इससे बच्चियों को यौन और घरेलू सेवा में धकेल दिया जाता हैं. नौवीं कक्षा तक पढ़ी 14 साल की रेखा अहिरवाल कहती हैं, "हम अपने मां बाप से कुछ पूछते नहीं हैं वे जैसा कहते हैं हम कर देते हैं."

गर्व की घड़ी

कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन के कार्यकर्ता भुवन रिभु का कहना है कि "माता पिता को लड़कियों का कोई भविष्य नहीं दिखता है इसलिए वे कर्ज ले कर उनकी शादी करा देते हैं. लड़की की शादी मां बाप के लिए गर्व की बात होती है क्योंकि उनको समाज में दिखाने का मौका मिलता है कि उन्होंने अपनी बेटी को क्या दिया और कैसे उसकी शादी की."

छतरपुर जिला प्रमुख रमेश भंडारी ने बताया, "हम लोगों को समझाते हैं कि अगर वे अपनी बेटी की शादी 18 साल की उम्र के बाद करेंगे तो उनको पैसा मिलेगा." भवानी बताती है कि वे कैसे अपने पिता के कर्ज से परेशान हुई थी. मगर उनके ऊपर एक और कर्ज है जिसके बारे में उनको चिंता करनी है. भवानी को अपने ससुराल वालों का कर्ज भी चुकाना है जिसके लिए वे अपने पति के साथ शहर में काम ढूंढने का खतरा उठाएंगी. ससुराल वालों ने शादी कराने के लिए डेढ़ लाख का कर्ज लिया है. भवानी का 22 साल का पति पारस कहता है, "ये बड़ी राशि नहीं हैं. शादी में पैसा खर्च होता. हमको कर्ज चुकाने के लिए जल्दी ही काम मिल जाएगा."

एनआर/आरपी (रॉयटर्स)

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