बिहार के जहानाबाद में पुलिस ने चार युवकों को यौन उत्पीड़न के आरोप में गिरफ्तार किया है. इन्होंने नाबालिग बच्ची के साथ जबरदस्ती की और इसका वीडियो भी बनाया
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नाबालिग बच्ची के साथ जोर जबरदस्ती वाला एक वीडियो 24 घंटों में इंटरनेट पर वायरल हो गया. वीडियो में सात से आठ युवकों को लड़की के कपड़े फाड़ते और उसके साथ छीना झपटी करते हुए देखा जा सकता है. वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस सक्रिय हुई और लड़कों की तलाश शुरू की गई. जहानाबाद के एसपी मनीष कुमार ने एक विशेष जांच दल तैयार किया और वीडियो में दिख रही मोटरबाइक के नंबर के आधार पर चार लड़कों को ढूंढ निकाला. पुलिस के अनुसार इनमें से अधिकतर नाबालिग हैं और इनकी उम्र 16 से 18 साल है. बाकी के युवकों की तलाश जारी है.
पुलिस ने बच्ची की पहचान सुरक्षित रखी है लेकिन बताया है कि उसकी उम्र 14 साल है. वीडियो में देखा जा सकता है कि वह कैसे खुद को बचाने की कोशिश कर रही है लेकिन आसपास खड़ा कोई व्यक्ति उसकी मदद के लिए आगे नहीं आता है. लड़के लगातार उसके लिए अपशब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं और उसके कपड़े उतार रहे हैं.
क्यों होते हैं बलात्कार?
भारत में रोजाना औसतन 92 महिलाओं का बलात्कार होता है. जब भी किसी महिला के साथ यह जघन्य अपराध होता है, कभी सवाल उसके कपड़ों तो कभी देर रात घर से बाहर रहने पर उठाए जाते हैं. क्या महिलाओं पर बंदिशें लगाना ही है उपाय?
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तन ढकने की जरूरत
मानव सभ्यता की शुरुआत से ही मौसम की मार से बचने के लिए शरीर को ढकने की जरूरत महसूस की गई. बीतते समय के साथ जानवरों की छाल पहनने से लेकर आज इतने तरह के कपड़े मौजूद हैं. जीवनशैली के आसान होने के साथ साथ कपड़ों के ढंग भी बदले हैं और अब यह अवसर, माहौल, पसंद और फैशन के हिसाब से पहने जाते हैं. फिर पूरे बदन को ढकने वाले कपड़ों पर जोर क्यों?
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अंग प्रदर्शन यानि बलात्कारियों को न्यौता
भारत में बलात्कार के ज्यादातर मामलों में पाया गया है कि पीड़िता ने सलवार कमीज और साड़ी जैसे भारतीय कपड़े पहने हुए थे. उनपर हमला करने वाले पुरुषों ने अपनी सेक्स की भूख के कारण संतुलन खो दिया. ऑनर किलिंग के कई मामलों में किसी महिला को सबक सिखाने के मकसद से उस पर जबरन यौन हिंसा की गई और फिर जान से मार डाला गया. इन सबके बीच कपड़ों पर तो किसी का ध्यान नहीं गया.
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कानून का डर नहीं
संयुक्त राष्ट्र ने 2013 में एशिया प्रशांत क्षेत्र में किए अपने सर्वे में पाया गया कि सर्वे में शामिल हर चार में एक पुरुष ने अपने जीवन में कम से कम एक बार किसी महिला का बलात्कार किया है. इनमें से 72 से लेकर 97 फीसदी मामलों में इन पुरुषों को किसी कानूनी कार्यवाई का सामना नहीं करना पड़ा था.
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मनोरंजन का साधन हैं यौन अपराध
उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ इतने ज्यादा यौन अपराधों का कारण प्रदेश की पुलिस ने वहां मोबाइल फोनों के बढ़ते इस्तेमाल, पश्चिमी देशों के बुरे असर और छोटे कपड़ों को ठहराया. लोगों को सुरक्षा देने की अपनी जिम्मेदारी में पूरी तरह विफल पुलिस का कहना है कि मनोरंजन के बहुत कम साधन होने के कारण पुरुष यौन अपराधों को अंजाम देने लगते हैं.
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महिलाओं से मिल रही है चुनौती
सड़कों, ऑफिसों या किसी सार्वजनिक स्थान पर कई बार महिलाओं के कपड़े नहीं बल्कि उनके चेहरे से झलकता आत्मविश्वास, स्वच्छंद रवैया और अब तक पुरुषों के कब्जे में रहे कई क्षेत्रों में उनकी पहुंच कई पुरुषों को बौखला रही है. सदियों से स्थापित पुरुषसत्तात्मक समाज के समर्थक ऐसी औरतों को सामाजिक संतुलन को बिगाड़ने का जिम्मेदार मानते हैं और यौन हिंसा कर उन्हें समाज में उनकी सही जगह दिखाने की कोशिश करते हैं.
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महिलाओं को ज्यादा बड़ा खतरा किससे
दुनिया के सबसे युवा देश में आज बलात्कार महिलाओं के खिलाफ चौथा सबसे बड़ा अपराध बन चुका है. नेशनल क्राइम ब्यूरो की 2013 रिपोर्ट बताती है कि साल दर साल दर्ज होने वाले इन करीब 98 फीसदी मामलों में बलात्कारी पीड़ित का जानने वाला था. ज्यादातर मामले जो प्रकाश में आते हैं वे सार्वजनिक जगहों पर अनजान लोगों द्वारा किए गए होते हैं जिस कारण इस सच्चाई पर ध्यान नहीं जाता.
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एक कदम आगे, दो कदम पीछे
एक ओर पहले के मुकाबले ज्यादा लड़कियां पढ़लिख रही हैं और कार्यक्षेत्र में पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं. दूसरी ओर इस कारण वे शादी और बच्चे देर से पैदा कर रही हैं. भारत में शादी के पहले शारीरिक संबंध बनाने के मामले समाज के लिए असहनीय और खतरा बताए जाते हैं. इस कारण बहुत से युवा पुरुष को अपनी यौन इच्छा पूरी करने का कोई स्वस्थ तरीका नहीं मिलता और कई बार यही यौन हिंसा का कारण बनता है.
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हिंसा का चक्र गर्भ से ही शुरु
भारत में अजन्मे बच्चे की लिंग जांच कर मादा भ्रूण को गर्भ में ही मार देने की घटनाएं आम हैं. जो लड़कियां जन्म ले पाती हैं वे संख्या में इतनी कम हैं कि समाज का संतुलन बिगड़ गया है. स्त्री-पुरुष अनुपात के मामले में भारत 1970 से भी नीचे आ गया है. इसके अलावा बाल विवाह, कम उम्र में मां बनना, प्रसव से जुड़ी मौतें और घरेलू हिंसा के लिए भी क्या छोटे कपड़ों को ही जिम्मेदार मानेंगे.
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पटना रेंज के आईजी नैयर हसनैन खान ने अखबार द हिन्दू को इस बारे में बताया, "वीडियो के सोशल मीडिया पर वायरल होने के 24 घंटे के अंदर ही हमने चार युवकों को हिरासत में लिया. इनमें से एक 16 साल का है. इन लोगों ने जिस बाइक का इस्तेमाल किया, हमने वह भी जब्त कर ली है. हालांकि बाइक का मालिक अभी फरार है." खान ने बताया कि वीडियो पर पुलिस ने खुद ही कार्यवाही शुरू की. इस मामले में एफआईआर भी एक पुलिस अधिकारी श्याम सुंदर सिंह के नाम पर ही लिखी गई. खान के अनुसार दो युवकों के चेहरे वीडियो से मिलाए गए हैं और दो अन्य वे हैं जो वीडियो बना रहे थे. इसके अलावा इन लड़कों ने चार और लोगों के नाम बताए हैं.
भारत में महिलाओं और बच्चियों के खिलाफ यौन हिंसा के मामले लगातार सुर्खियों में आ रहे हैं. बिहार उन राज्यों में शामिल है जिन्हें महिलाओं के लिए असुरक्षित माना जाता है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार साल 2017 में बिहार में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के 13,400 मामले दर्ज किए गए. यह केवल औपचारिक आंकड़ा है. कुल मामलों की कोई जानकारी नहीं है.
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) ने हर राज्य के अपराध दर के अनुसार इन्हें महिलाओं के लिए यह रैंक दी है:
महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक है दिल्ली
भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों के देखते हुए कहा जा सकता है कि महिलाएं कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) ने हर राज्य के अपराध दर के अनुसार इन्हें महिलाओं के लिए यह रैंक दी है.
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1. दिल्ली
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2. असम
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3. ओडिशा
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4. तेलंगाना
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5. राजस्थान
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6. हरियाणा
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7. पश्चिम बंगाल
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8. मध्य प्रदेश
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9. आंध्र प्रदेश
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10. अरुणाचल प्रदेश
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11. चंडीगढ़
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12. केरल
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13. महाराष्ट्र
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14. त्रिपुरा
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15. सिक्किम
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16. जम्मू और कश्मीर
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17. उत्तर प्रदेश
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18. छत्तीसगढ़
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19. कर्नाटक
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20. गोवा
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21. अंडमान और निकोबार
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