बच्चों की तस्करी की सजा 374 साल की जेल
१७ अक्टूबर २०१९31 साल के युताना कोदसाप को पोर्नोग्राफी के लिए बच्चों की तस्करी करने का आरोपी पाया गया है. वह 7-12 साल की उम्र के बच्चों को कंप्यूटर गेम खेलने का लालच देकर अपने घर बुलाता था. यहां वह उनकी सेक्स फिल्में बनाता था. इन वीडियो फिल्मों को वह चैट ऐप के जरिए बेच देता था. थाईलैंड के दक्षिणी प्रांत फांग नगा की अदालत ने उसे इस अपराध के लिए 374 साल के कैद की सजा सुनाई है. कोर्ट के दस्तावेजों के मुताबिक इसके साथ ही पांच पीड़ितों में से प्रत्येक को करीब 26,000 डॉलर की रकम जुर्माने के तौर पर देने का आदेश दिया है.
थाईलैंड में यह सेक्स से जुड़ा दूसरा मामला है जिसमें 300 साल से ज्यादा लंबी कैद की सजा सुनाई गई है. पिछले साल एक अपराध अदालत ने तीन लोगों को 309 साल की सजा सुनाई थी. इन्हें वेश्यावृत्ति के लिए बच्चों की तस्करी का दोषी माना गया था. दोनों मामलों में अदालतों ने थाई कानून के मुताबिक जेल में रहने की अवधि 50 साल तय की है.
मानव तस्करी से जुड़े मामलों के विशेषज्ञ वकील पापोप सियामहान का कहना है कि बच्चों से वेश्यावृत्ति के मामले में लंबी सजाएं इसलिए दी जाती हैं क्योंकि इसमें कई कानून और अकसर कई बच्चे शामिल होते हैं. उन्होंने कहा, "लंबी सजाएं हतोत्साहित करेंगी क्योकि लोग इस तरह के अपराध करने से डरेंगे, और इसका नतीजा यह भी होगा कि अधिकारी और इस तरह के मामलों में ज्यादा सावधान रहेंगे."
इसी साल संयुक्त राष्ट्र ने दोषी तस्करों और उनसे मिलीभगत करने वाले अधिकारियों को लंबी सजा सुनाने के लिए तारीफ की थी. संयुक्त राष्ट्र की सालाना ट्रैफिकिंग इन पर्संस (टीआईपी) रिपोर्ट में थाईलैंड को टीयर 2 देशों में रखा गाय है. इसका मतलब है कि यह देश मानव तस्करी को रोकने के लिए भरपूर प्रयास कर रहा है. इस साल जनवरी से अब तक थाईलैंड की अदालतों ने मानव तस्करी के मामलों में170 लोगों को कैद की सजा सुनाई है. इनमें 74 सजाएं 10 साल से ज्यादा की हैं.
गुलामी के खिलाफ काम करने वाली संस्था लिबर्टी शेयर्ड की एशिया निदेशक अर्चना कोटेचा का कहना है कि लंबी सजाएं असरदार डर के रूप में काम कर सकती हैं, खासतौर से तब जब सजा सरगनाओं को मिले, ना कि निचले स्तर पर काम करने वाले लोगों को. उनका यह भी कहना है कि इसके साथ ही संपत्तियों को जब्त करने की कार्रवाई भी होनी चाहिए जो पीड़ितो को जुर्माना देने के लिए इस्तेमाल की जा सकती हैं.
उन्होंने कहा,"अपराधियों की आजादी और संपत्ति को लक्ष्य करके अगर डर पैदा किया जाए तो यह ज्यादा असरदार और संपूर्ण होगा क्योंकि यह पीड़ितों ने जो झेला है उसके लिए मुआवजा देने के साथ ही दोषियों की कमाई को भी उनसे वापस ले लेगा."
एनआर/एमजे(रॉयटर्स)
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