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बच्चों के लिए बना डाला चीन ने नया कार्ल मार्क्स

८ मार्च २०१९

कम्युनिस्ट विचारधारा की नींव रखने वाले मशहूर जर्मन दर्शनशास्त्री कार्ल मार्क्स का चीन में नया अवतार सामने आया है. अपने इस ऑनलाइन अवतार में मार्क्स दुबले-पतले और निराश रुमानी व्यक्तित्व वाले इंसान दिखते हैं.

China Produktion von Karl-Marx-Anime in Hangzhou
तस्वीर: Getty Images/AFP

कंप्यूटर पर लगे ये लोग चीन में डिजिटल युग के कार्ल मार्क्स को तैयार कर रहे हैं. दरअसल चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी ने देश के युवा वर्ग को लुभाने के लिए एक नई कार्टून सीरीज शुरू की है. इस सीरीज का हीरो कार्ल मार्क्स एकदम दुबला पतला, क्लीन शेव, निराश रुमानी छवि वाला इंसान है.

"द लीडर" के नाम से बनाई गई इस ऑनलाइन कार्टून सीरीज को देश की युवा पीढ़ी को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है, जो अब तक अपनी किताबों में दाढ़ी वाले मार्क्स को देखते आए हैं.

तस्वीर: Getty Images/AFP

इस ऑनलाइन सीरीज को तैयार करने वाली स्क्रिप्ट राइटर झोउ सीना का कहना है कि दुनिया में मार्क्स से जुड़ा बहुत सारा साहित्य है लेकिन उसका फॉर्मेट ऐसा नहीं जिसे युवा पीढ़ी समझ सके. सीना कहती हैं, "हम इस गैप को भरना चाहते हैं. हम उम्मीद करते हैं कि अगर ऐसा होता है तो अधिकतर लोग उनके जीवन को सकारात्मक ढंग से समझ सकेंगे."

इस सीरीज को तैयार करने वाले एनीमेशन स्टूडियो को चीन के सरकारी प्रचार कार्यालय और मार्क्सिज्म रिसर्च एंड कंस्ट्रक्शन प्रोग्राम ऑफिस से सहयोग मिल रहा है. इस तरह की ऑनलाइन सीरीज से साफ है कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी अपनी विचारधारा को अब स्कूलों और यूनिवर्सिटी तक ले जाना चाहती है.

हालांकि चीन की आर्थिक वृद्धि और 1978 में बाजारी अर्थव्यवस्था को खोलना चीन और मार्क्स के रिश्ते पर सवाल उठा सकता है. लेकिन सरकार की इन नीतियों से लगता है कि अब भी देश की कम्युनिस्ट पार्टी अपने वैचारिक पूर्वजों के प्रति वफादार है.

तस्वीर: Getty Images/AFP

चीन के मिडिल स्कूलों में छात्र मार्क्स और लेनिन की थ्योरी पढ़ना शुरू कर देते हैं. वहीं प्रशासनिक अधिकारियों, पत्रकारों और सरकारी मीडिया में काम करने वालों के लिए नौकरी में प्रमोशन के लिए मार्क्स की थ्योरी पढ़ना अनिवार्य है.

देश के राष्ट्रपति शी जिनपिंग स्वयं अपनी पार्टी के सदस्यों को मार्क्स की रचनाओं को पढ़ने के बारे में कहते रहे हैं. "द लीडर" सीरीज के पहले भी चीन में मार्क्सवादी विचारों को मुख्यधारा में लाने के लिए कई प्रयास किए जा चुके हैं. साल 2018 में मार्क्स की 200वीं सालगिरह पर चीन के प्रचार कार्यालय की ओर से एक टीवी शो लॉन्च किया गया था, जिसका नाम था "मार्क्स गॉट इट राइट." इस टॉक शो में यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स मार्क्स पर चर्चा करते थे.

एए/आरपी (एएफपी)

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