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समाज

बच्चों को डिजिटल खिलौने दिलाएं या नहीं?

५ दिसम्बर २०१८

डिजिटल जमाना है तो बच्चों के लिए भी इंटरएक्टिव डिजिटल खिलौने और खास ऐप बनाए जा रहे हैं, लेकिन क्या इनसे बच्चों का कुछ भला हो रहा है? अमेरिका में हुई एक रिसर्च इस सवाल का जवाब देती है.

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तस्वीर: dapd

अमेरिकन अकादमी ऑफ पीडियाट्रिक्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि बच्चों को सिर्फ टीवी के सामने बिठा देने से या फिर खेलने के लिए स्मार्टफोन, टेबलेट और दूसरे डिजिटल खिलौने पकड़ा देने से उनका कोई भला नहीं होता. इससे उन्हें अपने आसपास मौजूद लोगों या बच्चों से बात करने का वक्त नहीं मिलता और ना ही वे उनके साथ मिल खेल पाते हैं जबकि यह उनके विकास के लिए बहुत जरूरी है.

न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन और बेलेव्यू अस्पताल सेंटर के डॉ. एलन मेंडेलजोन का कहना है कि असली खिलौने या किताबें बच्चों को अपने माता पिता या केयर टेकर के ज्यादा करीब ले जाती हैं. ये चीजें बच्चों को उनसे बात करने के भरपूर मौके देती हैं. इस तरह बच्चों का बेहतर मानसिक विकास हो पाता है, जबकि मेंडलजोन के मुताबिक डिजिटल खिलौनों के साथ ऐसा संभव नहीं है.

मेंडलजोन ने ईमेल से भेजे अपने जवाब में कहा, "ऐसे कोई खास प्रमाण नही हैं जो बताते हों कि टैबलेट और स्मार्टफोन पर बिताया हुआ समय दो साल या उससे कम उम्र के बच्चों के लिए किसी भी तरह फायदेमंद होता है."

अमेरिकन अकादमी ऑफ पीडियाट्रिक्स का कहना है कि दो साल या उससे कम उम्र के बच्चों के लिए किसी भी तरह स्क्रीन देखना अच्छा नहीं है, चाहे बात टीवी की हो या फिर डिटिजल गेम और इस तरह के खिलौनों की. रिपोर्ट कहती है कि दो साल या उससे बड़े बच्चों को एक दिन में एक घंटे से भी कम स्क्रीन दिखाई जानी चाहिए.

मेंडलजोन और उनके साथियों ने रिपोर्ट में लिखा है कि आम तौर पर लोग यह समझकर छोटे छोटे बच्चों को डिजिटल खिलाने और ऐप पकड़ा देते हैं कि इससे वे कुछ सीखेंगे, जबकि यह गलत है.

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डाक्टरों का कहना है की दो साल से छोटे बच्चों को सामाजिक, भावनात्मक और व्यवहारिक कौशल सिखाने की जरूरत है जो वे आपने परिवार या केयर टेकर से बातचीत करके सीखते है, ना कि किसी डिजिटल खिलौनों या टीवी से.

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अगर बच्चों को डिजिटल खिलौने दिए जाएं तो उनके साथ कोई बड़ा भी होना चाहिए जो उन्हें चीजों के बारे में समझा सके. माता पिता को ऐसे खिलौने चुनने चाहिए जिसे बच्चे अपनी कल्पनाओं को इस्तेमाल करना सीखें.

बाल रोग विशेषज्ञ कहते हैं कि पांच साल से छोटे बच्चों को वही कंप्यूटर या वीडियो गेम खेलने देने चाहिए जो उनके मानसिक विकास में मदद करें और जब बच्चे कंप्यूटर या वीडियो गेम खेल रहे हों तो उनके साथ माता पिता या केयर टेकर होना चाहिए.

जानकारों का कहना है कि जिन बच्चों की विशेष जरूरतें होती हैं, उनके लिए बेशक टेक्नोलॉजी मददगार होती है लेकिन ऐसे बच्चे भी जब डिजिटल खिलौनों और एप्स की मदद ले रहे हों तो उनके साथ कोई ना कोई होना जरूरी है.

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कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी डोमिंग्वेज़ हिल्स के लैरी रोसेन का कहना है, "मनोविज्ञानी हमेशा से ये कहते आए हैं कि बच्चों को टीवी के सामने या किसी डिजिटल खिलौने के साथ छोड देने से कोई फायदा नही होता, माता पिता या केयर टेकर को ध्यान देना चाहिए कि वे बच्चे से लगातार बात करें और देखें कि बच्चे को उस खेल या शो का मतलब समझ में आ रहा है या नहीं. "

रोसेन का कहना है, "मैं यह नहीं कहता कि डिजिटल खिलौने बिल्कुल बेकार है, क्योंकि उनकी मदद से माता पिता बच्चों को बहुत काम की बातें सिखा सकते हैं और जरूरी जानकारियां दे सकते हैं."

दूसरी तरफ, न्यू हैम्पशायर के डार्टमाउथ कॉलेज की जेनिफर एमॉन्ड का कहना है कि "कई बार माता पिता बहुत चिंता करते हैं कि उनको अपने बच्चों को सबसे नए डिजिटल खिलौने दिलाने चाहिए, जो बिल्कुल जरूरी नहीं हैं. "

जेनिफर एमॉन्ड का मानना है कि बच्चों के लिए खिलौने घर पर भी बनाए जा सकते है और उसके लिए बहुत ज्यादा पैसा खर्च करने की जरूरत नहीं है.

एन राय/एके (रॉयटर्स)

 

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