प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिक्षक दिवस पर स्कूली बच्चों के साथ रूबरू हो चुके हैं. अब बाल दिवस के अवसर पर वे अपने मंत्रियों और सांसदों की मदद से बच्चों को स्वच्छता के लिए जागरूक करवाने की उम्मीद कर रहे हैं.
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झाड़ू भले ही बीजेपी की विपक्षी पार्टी का निशान हो, लेकिन इन दिनों वह मोदी की ताकत बना हुआ है. अपने स्वच्छ भारत अभियान के बारे में बात करने का कोई भी मौका प्रधानमंत्री नहीं गंवाते और अब वे इस अभियान को घर घर और बच्चे बच्चे तक पहुंचाना चाहते हैं. इसलिए उन्होंने अपने मंत्रियों से कहा है कि बाल दिवस के अवसर पर वे स्कूलों में जा कर बच्चों को स्वछता का पाठ पढ़ाएं.
रविवार को प्रधानमंत्री ने "दिवाली मिलन" का आयोजन किया. मोदी की इस चाय पार्टी में एनडीए के करीब 400 सांसदों को भी बुलाया गया था. पीएमओ द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, "मोदी ने सांसदों से आग्रह किया है कि भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन की 125वीं सालगिरह पर 14 नवंबर से पांच दिन तक स्कूलों में जा कर बच्चों से मिलें, स्वछता की अहमियत समझाएं, इससे एक सकारात्मक संदेश जाएगा."
मोदी ने सांसदों से देश की तरक्की के लिए एक नया रास्ता खोजने को कहा. उन्होंने कहा कि सांसद बड़ा सोचें, दूर का सोचें और राजनीति से ऊपर उठ कर सोचें. साथ ही उन्होंने कहा कि एक "सकारात्मक ऊर्जा वाली पार्टी" होने के नाते उन्हें अनुकूल योजनाओं के बारे सोचना चाहिए. प्रधानमंत्री ने यह सुझाव भी दिया कि सांसद जब स्कूलों में जाएं, तो बच्चों को सरकार की उपलब्धियों और "गरीबों के उत्थान के लिए किए गए सरकार के काम" के बारे में जरूर बताएं.
स्वच्छ भारत अभियान की पोलियो अभियान से तुलना करते हुए मोदी ने कहा कि अगर लोग चाहें, तो देश से गंदगी को वैसे ही हटाया जा सकता है, जैसे कि पोलियो को. इस बीच ट्विटर पर भी मोदी अभियान की लगातार चर्चा कर रहे हैं और इस से जुड़ी फिल्मी हस्तियों का शुक्रिया अदा करना भी नहीं भूल रहे हैं. ऋतिक रोशन की मिसाल देते हुए उन्होंने ट्विटर पर लिखा, "मुझे यकीन है कि आप लोग ऋतिक से प्रोत्साहित होंगे. स्वच्छ भारत के लिए उन्होंने बड़ा योगदान दिया है."
हाल ही में मोदी प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद पहली बार मीडिया से रूबरू हुए थे. अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने स्वच्छ भारत अभियान को लोगों तक पहुंचाने के लिए मीडिया का भी शुक्रिया अदा किया. उन्होंने यहां तक कहा कि "आप लोगों ने कलम को ही झाड़ू बना दिया." मोदी की इस टिपण्णी पर कुछ पत्रकारों ने नाराजगी जताई है.
पोलियो की जरूरी बातें
पोलियोमेलिटिस यानि पोलियो एक गंभीर वायरल बीमारी है. रीढ़ की हड्डी में संक्रमण पहुंचने के बाद पैरों को लकवा मार जाता है. पोलियो का वायरस पेट और आंत में बढ़ता है. खतरा तब तक बना रहता है जब तक लार या मल में वायरस जीवित हो.
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बच्चों को लाचार करता पोलियो
दुनिया के अधिकतर देश पोलियो को कल की बात समझ कर भूल चुके हैं. पर यह वायरस आज भी बच्चों पर हमला कर रहा है. पांच साल से कम उम्र के बच्चों पर पोलियो वायरस का असर होता है. 200 में से एक मामले में बच्चा विकलांग हो जाता है. यह वायरस टांगों को लाचार कर देता है और इसका कोई इलाज मैजूद नहीं है.
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अब भी तीन देशों में
पाकिस्तान, अफगानिस्तान और नाइजीरिया, इन तीन देशों से अब भी पोलियो का सफाया नहीं किया जा सका है. कमजोर स्वास्थ्य प्रणाली और सुरक्षा कारणों से अब भी वहां पोलियो के खिलाफ जंग जीती नहीं जा सकी है. खतरा इस बात का भी है कि वायरस इन देशों से एक बार फिर दूसरे देशों में फैल सकता है.
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हो सकता है पूरी तरह सफाया
पोलियो वायरस की तीन नस्लें हैं. टाइप 2 का 1999 में ही सफाया हो गया था. टाइप 3 के मामले ना के बराबर ही हैं. ये वायरस इंसानी शरीर के बाहर ज्यादा देर तक जीवित नहीं रह पाते. अगर सभी को टीका लगा हो तो यह वायरस संक्रमण नहीं कर पाता और जल्द ही खत्म हो जाता है.
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असरदार टीके
पोलियो के लिए दो प्रकार के टीके मौजूद हैं, ओपीवी और आईपीवी. ओपीवी यानि ओरल पोलियो वैक्सीन. दो बूंद की इस खुराक देने के लिए डॉक्टरों की जरूरत नहीं पड़ती. अधिकतर पोलियो अभियान में इसी का इस्तेमाल किया जाता है. वहीं आईपीवी यानि इनएक्टिवेटेड पोलियो वैक्सीन इंजेक्शन के जरिए दी जाती है.
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भारत में लाखों बूथ
13 जनवरी, 2011 को आखिरी बार भारत में पोलियो का मामला दर्ज किया गया. इस बीच भारत को पोलियो मुक्त देश घोषित कर दिया गया है. इसके पीछे सरकार और विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ का सहयोग अहम रहा है. पोलियो अभियान के दौरान एक ही राउंड में देश में 6,40,000 बूथ लगाए गए और 20 करोड़ खुराकों का इंतजाम किया गया.
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अभियान के फायदे
पोलियो अभियान के दौरान ना केवल घर घर बच्चों को "दो बूंद जिंदगी की" दी गयी, बल्कि उनके स्वास्थ्य का रिकॉर्ड भी तैयार किया गया. इससे अन्य बीमारियों को रोकने में भी मदद मिलेगी. साथ ही कई जगहों पर बच्चों को विटामिन ए की गोलियां दी गयी ताकि बीमारियों से लड़ने की उनकी क्षमता बढ़ाई जाए.
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पाकिस्तान का डर
पाकिस्तान को डर है कि इस साल पोलियो के मामलों की संख्या 200 को पार कर सकती है. ऐसा होने पर यह देश में पोलियो अभियान शुरू होने के बाद से सबसे अधिक संख्या होगी. तालिबान का असर और कट्टरपंथियों की सोच पाकिस्तान को पोलियो मुक्त कराने के रास्ते के पत्थर बने हुए हैं.