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बजटः सामाजिक क्षेत्र के लिए 17 फीसदी ज्यादा राशि

२८ फ़रवरी २०११

भारत का आम बजट संसद में पेश करते हुए वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने सामाजिक क्षेत्र के लिए 17 प्रतिशत अधिक राशि देने का एलान किया है. इसमें कुपोषण से लेकर स्वास्थ्य सुविधाओं पर खास ध्यान होगा. टैक्स छूट की सीमा बढ़ी.

संसद में पेश बजटतस्वीर: UNI

वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा, "देश ने लंबे समय तक कुपोषण और भुखमरी का बोझ उठाया है." उन्होंने कहा कि सामाजिक क्षेत्र पर 17 प्रतिशत ज्यादा राशि खर्च की जाएगी. अगले वित्त वर्ष में स्वास्थ्य क्षेत्र पर 267 अरब रुपये खर्च किए जाएंगे जो पिछले साल के मुकाबले 20 प्रतिशत ज्यादा हैं. शिक्षा क्षेत्र के लिए भी बजट में पहले के मुकाबले अधिक राशि का प्रावधान किया गया है. वित्त मंत्री ने बताया कि गरीब परिवारों को सस्ते दामों पर भोजन की गारंटी देने वाले राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक को संसद के मौजूद सत्र में पेश किया जाएगा.

वित्त मंत्री ने बजट में टैक्स छूट की सीमा को 1.6 लाख से बढ़ाकर 1.8 लाख रुपये कर दिया है. यानी सालाना एक लाख 80 हजार रुपये की आमदनी वाले लोगों को अब टैक्स नहीं देना होगा. अब 60 साल से ज्यादा उम्र के लोग वरिष्ठ नागरिक कहलाएंगे जिनके लिए टैक्स रियायत की सीमा ढाई लाख कर दी गई है. 80 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को सालाना पांच लाख रुपये तक की आमदनी पर कोई टैक्स देने की जरूरत नहीं है. 80 साल की उम्र पार कर चुके लोगों के लिए वृद्धावस्था पेंशन को भी हर महीने 200 रुपये से बढ़ाकर 500 रुपये कर दिया गया है. वित्त मंत्री ने आंगनवाड़ी में पढ़ाने वाले लोगों के लिए 100 फीसदी वेतन वृद्धि का भी प्रस्ताव पेश किया है.

तेजी से उभरते हुए देश भारत के लिए जरूरी है कि वह सामाजिक क्षेत्र की परियोजनाओं पर अधिक खर्च करे ताकि आम लोगों का जीवन स्तर उठाया जा सके, तभी वह खुद को बड़ी ताकत के रूप में पेश कर पाएगा. जर्मनी जैसे कई देश भारत को दी जाने वाली आर्थिक मदद बंद करने के बारे में सोच रहे हैं. उनका कहना है कि भारत और चीन जैसे देश अब गरीब नहीं है. उनके पास अपने सामाजिक क्षेत्र के विकास के लिए पर्याप्त संसाधन हैं.

इस बीच सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था में 2010 की आखिरी तिमाही के दौरान 8.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. अक्टूबर से दिसंबर तक सकल घरेलू उत्पाद में जि्तनी बढ़ोत्तरी हुई वह जुलाई से सितंबर तक हुई वृद्धि से कम रही. जुलाई से सितंबर 2010 की तिमाही में 8.9 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई. 12 महीनों के दौरान कृषि उत्पादन ने 8.9 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जिसकी वजह मानसून की अच्छी बारिश रही. वहीं वित्त और प्रोपर्टी से जुड़ी कंपनियों ने 11.2 प्रतिशत की दर से प्रगति की. सरकार ने अनुमान जताया है कि 1 अप्रैल से शुरू होने वाले अगले वित्त वर्ष में वृद्धि दर 9 प्रतिशत के आसपास रहेगी.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः एमजी

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