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बजट: चुनावी फायदे के लिए बंगाल पर सौगातों की बारिश

प्रभाकर मणि तिवारी
१ फ़रवरी २०२१

राजनीतिक प्रतिस्पर्धा में सत्ता में होना बहुत से फायदे देता है. केंद्र और राज्य सरकारें इसका फायदा अलग अलग तरह से उठाती हैं. अब आगामी चुनाव को देखते हुए आम बजट में बंगाल के लिए मोदी सरकार ने खजाने का मुंह खोल लिया है.

वित्त मंत्रालय निर्मला सीतारामण
वित्त मंत्रालय निर्मला सीतारामण ने संसद में बजट पेश कियातस्वीर: DW/A. Ansari

कोरोना महामारी और इसकी वजह से लंबे अरसे तक लगे लॉकडाउन के कारण लगातार गिरती अर्थव्यवस्था के बावजूद केंद्र सरकार ने अपने बजट में उन राज्यों के लिए खजाने का मुंह खोल दिया है जहां इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं. उसने सबसे ज्यादा मेहरबानी पश्चिम बंगाल पर दिखाई है. इसके बाद असम का नंबर है. बीजेपी पश्चिम बंगाल में जहां सत्ता के प्रमुख दावेदार के तौर पर उभरी है वहीं पड़ोसी असम में नेशनल रजिस्टर आफ सिटीजंस (एनआरसी) और नागरिकता कानून (सीएए) से उपजी चुनौतियों के बीच वह सरकार बचाने की कोशिश कर रही है. खासकर, पश्चिम बंगाल में तो उसने आधारभूत ढांचे की हजारों करोड़ की परियोजनाओं की घोषणा कर चुनावी दौड़ शुरू कर दी है.

राज्य में सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस मोदी सरकार के इस साल के बजट को "विजनलेस बजट" बताकर उसकी आलोचना की है. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार 2014 से ही केंद्रीय बजट में बंगाल की उपेक्षा का आरोप लगाती रही हैं. केंद्र सरकार की उदासीनता और बजट में पर्याप्त आवंटन नहीं होने की वजह से ईस्ट-वेस्ट मेट्रो समेत कई केंद्रीय परियोजनाएं कछुए की चाल से चलती रही हैं. लेकिन इस साल केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बंगाल की शिकायतों को दूर करते हुए अपने खजाने का मुंह खोल दिया है. यही नहीं, उन्होंने अपने बजट भाषण के दौरान नोबेल पुरस्कार विजेता कविगुरू रबींद्रनाथ की एक कविता का भी जिक्र किया.

निर्मला सीतारमण ने कहा, "फेथ इज द बर्ड दैट फील्स लाइट एंड सिंग्स व्हेन द डार्क इज स्टिल डान यानी विश्वास वह चिड़िया है जो सुबह के अंधेरे में भी रोशनी महसूस कर लेती है और गाती है.” वित्त मंत्री ने कहा कि इतिहास में यह पल एक नए युग की सुबह का है, जिसमें भारत उम्‍मीद की भूमि बनने की ओर अग्रसर है. वित्त मंत्री ने पश्चिम बंगाल में 25 हजार करोड़ की लागत से 675 किलोमीटर नई सड़कें बनाने का एलान किया है. इनमें कोलकाता को सिलीगुड़ी से जोड़ने वाली सड़क की मरम्मत भी शामिल है. वित्त मंत्री ने कोलकाता के नजदीक डानकुनी से फ्रेट कॉरीडोर बनाने का एलान किया है. इसके अलावा राज्य के खड़गपुर से विजयवाड़ा तक एक अलग फ्रेट कॉरीडोर बनाया जाएगा. इससे माल परिवहन में तेजी आएगी.

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चाय बागानों की मदद

पश्चिम बंगाल और असम में चाय बागान मजदूरों के वोट निर्णायक हैं. इसे ध्यान में रखते हुए बजट में इन दोनों राज्यों के चाय मजदूरों के कल्याण के लिए एक हजार करोड़ रुपए का प्रावधान रखा गया है. बंगाल के चाय बागान बहुल उत्तरी इलाके में विधानसभा की 56 सीटें हैं. इलाके में लंबे अरसे से एक दर्जन से ज्यादा बागान बंद पड़े हैं. इनके अलावा कई बागान बीमार हैं और मजदूरों को राशन और स्वास्थ्य जैसी न्यूनतम मौलिक सुविधाएं भी नहीं मिल रही हैं. इस इलाके से अक्सर मजदूरों के भुखमरी का शिकार होने की खबरें आती हैं. मोटे तौर पर बीते एक दशक में पांच सौ से ज्यादा मजदूर मौत के मुंह में समा चुके हैं. लेकिन केंद्र सरकार ने अब तक इन बागानों और उनके मजदूरों के लिए कुछ नहीं किया था. अब चुनावी साल में उनको दी गई यह सौगात कई सवाल उठाती है.

उधर, ममता बनर्जी की अगुवाई वाली तृणमूल कांग्रेस सरकार ने केंद्रीय बजट को विजनलेस बताते हुए सरकार की दरियादिली को चुनावी बताया है. पार्टी के प्रवक्ता व राज्‍यसभा सदस्य डेरेक ओ ब्रायन ने ट्वीट कर कहा कि देश का पहला पेपरलेस बजट साथ में विजनलेस बजट भी है. उन्होंने कहा कि इस फर्जी बजट का थीम भारत को बेचना है. डेरेक ने कहा, "बंगाल जो कल कर चुका है, केंद्र आज उसकी बात कर रहा है. हमारी सरकार ने वर्ष 2018 में 5,111 किलोमीटर लंबी नई सड़कें बनाई थी जो देश में एक रिकॉर्ड था. उसके बाद वर्ष 2019 में 1165 किलोमीटर नई सड़कों का निर्माण हुआ है. लेकिन अब केंद्र सरकार महज 675 किमी लंबी सड़क के निर्माण का वादा कर रही है."

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी बजट को खोखला बता रही हैतस्वीर: DW/P. Mani Tiwari

बजट पर विपक्ष का हमला

विपक्षी सीपीएम और कांग्रेस ने भी बजट को चुनावी करार दिया है. सीपीएम नेता सुजन चक्रवर्ती कहते हैं, "इस बजट में आंकड़ों की बाजीगरी दिखाई गई है. इससे साफ है कि सरकार की निगाहें अप्रैल-मई में होने वाले विधानसभा चुनावों पर हैं. उसके बाद पहले की तमाम परियोजनाओं की तरह यह परियोजनाएं भी ठंढे बस्ते में चली जाएंगी.”

कांग्रेस नेता अब्दुल मन्नान भी इसे चुनावी बजट मानते हैं. उनका कहना है कि बीजेपी ने केंद्र में सत्ता संभालने के बाद पहली बार बंगाल के लिए खजाने का मुंह खोला है. लेकिन इसके पीछे उसकी राजनीतिक मंशा साफ हो गई है.

राजनीतिक पर्यवेक्षक विश्वनाथ चक्रवर्ती कहते हैं, "केंद्र सरकार ने जिस तरह चुनावी राज्यों के लिए अपने खजाने का मुंह खोला है, उससे इसके चुनावी बजट होने में कोई शक नहीं है. खासकर पश्चिम बंगाल व असम पर उसने कुछ ज्यादा ही मेहरबानी दिखाई है. उसे इस बजट का कितना चुनावी फायदा मिलेगा, यह तो भविष्य में पता चलेगा. लेकिन इसके जरिए उसने अपनी मंशा साफ तो कर ही दी है.”

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