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बजट से पहले विकास की आहट

१५ मार्च २०१२

भारत में आम बजट से एक दिन पहले आए आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक अगले दो साल में देश की विकास दर तेजी से बढ़ेगी. लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में कटौती नहीं की है, जिससे व्यापार जगत बहुत खुश नहीं है.

तस्वीर: AP

हर साल आम बजट से एक दिन पहले भारत की संसद में आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया जाता है. रेल बजट के विवाद के बाद वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार को यह सर्वेक्षण जारी किया, जिसमें कहा गया है कि इस वित्तीय साल में तो भारत में विकास दर 6.9 प्रतिशत ही रहेगा. लेकिन अगले साल सात फीसदी से ज्यादा और उसके अगले साल में आठ फीसदी को पार कर जाएगा.

सर्वेक्षण में कहा गया है कि साल 2012-13 का विकास अनुमान 7.6 प्रतिशत है, जबकि 2013-14 का 8.6 प्रतिशत. इसमें कहा गया है कि विकास से संतुष्ट होकर भारतीय रिजर्व बैंक अपने दरों को कम कर सकता है. इसमें कहा गया है कि भारत में ढांचागत बदलाव के लिए पैसे जमा करने की जरूरत है, जबकि विदेशी निवेशकों को भी आकर्षित करना होगा.

तस्वीर: AP

दुनिया का असर

वित्त मंत्री की रिपोर्ट कार्ड में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर आई मंदी की वजह से भारत में भी विकास दर कम हुआ, जबकि भारत की मौद्रिक नीति और बढ़ती महंगाई का भी इस पर असर पड़ा. उनका कहना है कि महंगाई अभी बढ़ी हुई है लेकिन इस बात के साफ संकेत हैं कि यह आने वाले साल में कम होगी. इसमें कहा गया है कि खेती क्षेत्र लगभग ढाई प्रतिशत से विकास कर रहा है, जबकि सेवा क्षेत्र का विकास 9.4 फीसदी का है. इसके साथ ही यह बात तय है कि भारत आने वाले सालों में भी सबसे तेजी से विकास करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में शामिल रहेगा.

भारत का निर्यात लगभग 40 फीसदी बढ़ा है, जबकि आयात के क्षेत्र में भी 30 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है.

नहीं बदली ब्याज दर

इस बीच भारतीय रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया है. पिछले दो साल में भारत के केंद्रीय बैंक ने 13 बार ब्याज दर बढ़ाया है और ऐसे में बदलाव नहीं करना भी अच्छी बात हो सकती है लेकिन कारोबारियों को उम्मीद थी कि रिजर्व बैंक इस बार कम की जाएंगी. बैंक ने रेपो रेट साढ़े आठ फीसदी और रिवर्स रेपो साढ़े सात फीसदी पर बनाए रखने का फैसला किया है.

सीआईआई के चंद्रजीत बनर्जी का कहना है, "उद्योग जगत चाहता है कि उसे इस बात के साफ संकेत मिलें कि केंद्रीय बैंक अपने रेट कम करेगा ताकि निवेशकों में उम्मीद जगाई जा सके." अर्थशास्त्री दीपाली भार्गव का कहना है, "केंद्रीय बैंक मुश्किल भरे रास्ते पर चल रहा है. वह विकास और महंगाई में संतुलन बनाए रखना चाहता है."

ब्रिक की बैठक

भारत में मार्च के आखिर में ब्रिक देशों (ब्राजील, रूस, भारत और चीन) की शिखर बैठक होने वाली है, जिसमें आर्थिक विकास की बात होगी. भारत और चीन दुनिया में सबसे तेजी से विकास कर रहे अर्थव्यवस्थाओं में गिने जाते हैं. डॉयचे बैंक की एक्सपर्ट लॉरा मानजिनी का मानना है कि इन देशों में हो रहे विकास को आर्थिक मंदी के पहले और बाद के नजरिए से देखा जाना चाहिए. उनका कहना है, "2012 के दूसरे हिस्से में हम विकास बढ़ता हुआ देखेंगे." उनका कहना है कि भारत और चीन का विकास अभी नहीं रुकेगा. इन चार देशों के अलावा संगठन में दक्षिण अफ्रीका भी शामिल हो गया है और अब ब्रिक को ब्रिक्स भी कहते हैं.

जहां तक ब्राजील का सवाल है, वहां बढ़ती मजदूरी का दबाव अर्थव्यवस्था पर दिखने लगा है. पश्चिमी देशों ने वहां काफी निवेश किया है. रूस ज्यादातर अपने प्राकृतिक संसाधनों, खास कर तेल पर निर्भर है. लेकिन वहां भी आधुनिकीकरण की जरूरत है. जानकारों का मानना है कि भ्रष्टाचार की वजह से जिन रूसियों के पास पैसा है, वह भी देश की बजाय विदेशों में निवेश करना पसंद कर रहे हैं.

हालांकि मानजिनी का मानना है कि आने वाले समय में ये चारों देश विश्व की अर्थव्यवस्था में बड़ी भूमिका अदा करेंगे, "दूसरा सवाल यह है कि क्या ये देश वास्तव में विकास का इंजन बन सकते हैं." उन्हें ज्यादा भरोसा चीन और भारत से ही है.

रिपोर्टः पीटीआई/एएफपी/क्लाउस उलरिष/ए जमाल

संपादनः आभा मोंढे

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