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बड़ा धोखेबाज है ईकोलाई बैक्टीरिया

२ जून २०११

आनन फानन में जर्मनी में 17 लोगों की जान ले लेने वाला ई कोलाई बैक्टीरिया की ईहेक प्रजाति बहुत चतुर और धोखेबाज है. वह छिप छिपा कर कब कहां घुस जाता है, वैज्ञानिकों को इस बात का पता ही नहीं चल पाता है.

तस्वीर: AP

ईहेक की वजह से लगभग 400 लोग बीमार पड़ चुके हैं और जर्मनी के बाद अब यह ब्रिटेन में भी प्रवेश कर चुका है. यह ई कोलाई बैक्टीरिया की प्रजाति है, जो आम तौर पर मनुष्यों और खेतों में काम करने वाले जानवरों में पाए जाते हैं.

ईकोलाई का नाम कभी कभार खबरों में आता है, जब लोगों से अपील की जाती है कि वे नलके का पानी न पीएं या फिर तालाबों में न नहाएं. हालांकि डॉक्टरों का मानना है कि कुल मिला कर यह बहुत खतरनाक नहीं होता. हममें से कई लोगों को इसका इंफेक्शन हो जाता है लेकिन हमें पता भी नहीं चलता और यह ठीक हो जाता है. लेकिन एन्टेरोहेमोरेजिक एशरीशिया कोलाई (ईहेक) के बारे में ऐसा नहीं कहा जा सकता है. जर्मन डॉक्टरों का कहना है कि इसकी वजह से मरीजों को खूनी पेचिश हो रही है. वैसे हर साल करीब 900 लोग जर्मनी में ईहेक से पीड़ित होते हैं. इस जीवाणु का निशाना आम तौर पर महिलाएं होती हैं. इसकी वजह से जितने लोगों की जान गई है, उनमें से 15 महिलाएं हैं.

तस्वीर: B.Thomason/C. for Disease Control and Prevention

यह ऐसे जहरीले पदार्थ का उत्सर्जन करता है, जिससे लीवर और गुर्दे बिलकुल बेकार साबित हो सकते हैं. आईसीयू में दाखिल मरीजों को काफी मात्रा में ब्लड प्लाज्मा ट्रांसफ्यूजन की जरूरत पड़ती है.

अभी तक 2000 लोग इससे बीमार हुए हैं. इनमें से ज्यादातर लोग जर्मनी के हैं और कुछ ऐसे लोग हैं, जिन्होंने हाल में जर्मनी का दौरा किया है. यूरोपीय संघ के आंकड़े थोड़े कम हैं क्योंकि वह सिर्फ पक्के मामलों को ही इस बीमारी का शिकार मानता है. असल संख्या बहुत ज्यादा हो सकती है.

कुछ लोगों में इस बीमारी का हल्का प्रभाव पड़ा है. उन्हें पेचिश, दस्त, पेट दर्द और तेज बुखार है. लेकिन यह ज्यादा गंभीर नहीं है. हैम्बर्ग की कील यूनिवर्सिटी के निदेशक उलरिश कुन्जेनडॉर्फ का कहना है, "लेकिन हमारे सामने ऐसे मामले भी आए, जहां मरीजों को कभी पेचिश नहीं हुई लेकिन उन्हें मिर्गी जैसी मस्तिष्क की गंभीर बीमारी हो गई."

इस बैक्टीरिया का पहला मामला करीब 10 साल पहले जर्मनी के कोलोन शहर में सामने आया था, जब जुड़वां भाइयों में इसके लक्षण पाए गए. म्यून्स्टर की प्रयोगशाला में चल रहे रिसर्च से पता लगता है कि अब इसकी क्षमता उस वक्त से तीनगुनी ज्यादा हो गई है और अब इस पर एंटीबायोटिक का कम असर पड़ता है.

ईहेक इतना खतरनाक हो सकता है कि सिर्फ हाथ मिलाने से भी शरीर में फैल सकता है. अगर इससे प्रभावित किसी चिड़िया ने गलती से आप पर बीट कर दिया, तो भी आप इसकी चपेट में आ सकते हैं. इसके सही वजहों का पता लगाने के लिए डॉक्टर हैम्बर्ग में इसके मरीजों से पूछ रहे हैं कि उन्होंने क्या खाया था या किन इलाकों में गए थे. आम तौर पर इसका प्रभाव 10 दिनों के अंदर नजर आ जाता है.

हैम्बर्ग के डॉक्टरों को मरीजों में अभी तक सिर्फ एक सामान्य बात नजर आ रही है कि उन्होंने कच्चा खीरा, टमाटर या सलाद पत्ता खाया है. लेकिन इसके आधार पर कुछ कह पाना बहुत मुश्किल है क्योंकि जर्मनी के लगभग सभी लोग अच्छी डाइट के लिए ये चीजें खाते हैं. पिछले हफ्ते इस खबर के आने के बाद से लोग इन चीजों को खाने से कतरा रहे हैं लेकिन उससे ईहेक पर कोई असर नहीं पड़ रहा है.

तस्वीर: dapd

जर्मनी के संक्रामक रोग शोध संस्थान रॉबर्ट कॉख के अध्यक्ष राइनहार्ड बुर्गर के मुताबिक, "अभी कुछ दिन और लगेंगे, जिससे हम पता लगा पाएं कि सब्जियों के खिलाफ अलर्ट जारी करने का क्या परिणाम निकला है."

कुछ दिन पहले कहा जा रहा था कि स्पेन से आने वाले खीरों की वजह से यह बीमारी फैल रही है लेकिन जांच में यह बात पक्की नहीं हुई.

रिपोर्टः डीपीए/ए जमाल

संपादनः एमजी

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