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बड़े जोखिम हैं ब्रेक्जिट के

२० जून २०१६

लेबर सांसद जो कॉक्स की हत्या के बाद ब्रिटेन के यूरोपीय संघ में बने रहने की उम्मीदें बढ़ी हैं. लेकिन अभी भी उसके साझा बाजार छोड़ने का खतरा बना हुआ है. अगर ऐसा होता है तो क्या असर होगा वैश्विक अर्थव्यवस्था पर?

Großbritannien London Brexit Kampagne Vote to Leave
तस्वीर: Getty Images/AFP/B. Stansall

ब्रिटेन के यूरोपीय संघ छोड़ने पर वैश्विक बाजारों में तूफान आ जाएगा. लेकिन वह कुछ समय बाद गुजर जाएगा. और अगर हम भाग्यशाली हैं तो बस इतना ही. लेकिन अर्थशास्त्री गुरुवार को होने वाले जनमत संग्रह के नतीजों के जोखिमों का आकलन करते हुए वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए इससे भी गंभीर असर की चर्चा कर रहे हैं. अर्थशास्त्रियों का कहना है कि ईयू छोड़ने का फैसला मुख्य रूप से ब्रिटेन के लिए ही तकलीफदेह होगा, लेकिन वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए उसका आकलन कठिन है. अंधकारमय भविष्य का खांका खींचने वालों का कहना है कि ब्रेक्जिट एक मोड़ साबित होगा जो और गंभीर समस्याओं को पैदा करेगा. यह मुक्त व्यापार और वैश्वीकरण को नुकसान पहुंचा सकता है और पहले से नाराज मतदाताओं को और नाराज कर सकता है.

भविष्यवाणियों का दायरा बहुत ही बड़ा है. फिनलैंड के वित्तमंत्री अलेक्जांडर स्टब ब्रेक्जिट की तुलना अमेरिकी इंवेस्टमेंट बैंक लीमन ब्रदर्स के दिवालिया होने से करते हैं जिसकी वजह से पूरी दुनिया में वित्तीय संकट खड़ा हो गया. या ये फिर याईकेटू जैसा होगा जब हुनिया भर में सॉफ्टवेयरों के 19वीं सदी के लिए लिखे होने के कारण पहली जनवरी 2000 को कंप्यूटरों के फेल होने की आशंका थी लेकिन अंत में कुछ नहीं हुआ. आखिर में जो हो दुनिया भर की अर्थव्यवस्था के लिए ब्रेक्जिट के जोखिम तो हैं हैं.

तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/J. Carstensen

सुरक्षा की होड़

लंदन दुनिया का प्रमुख वित्तीय बाजार है. स्वाभाविक है कि यदि ब्रिटिश मतदाता ईयू छोड़ने का फैसला लेता है तो वैश्विक वित्तीय बाजार में हलचल होगी ही. पूंजीनिवेशक जोखिम वाली संपत्ति बेचकर सुरक्षित संपत्तियों में धन लगाएंगे. ब्रिटिश मुद्रा की कीमत पहले ही गिर चुकी है और वित्तीय विश्लेषकों का मानना है कि उसमें और गिरावट आएगी. सोने को तूफानी समय में सुरक्षित समझा जाता है. इसलिए उसकी कीमत बढ़ने का अनुमान है. वित्तीय बाजार ब्रिटेन के ईयू में बने रहने पर दांव लगा रहा है. इसलिए अगर फैसला इसके विपरीत रहता है तो फिर से संतुलन बनाने की कोशिशें दिखेंगी.

बाजार में उतार चढ़ाव जारी रहा तो केंद्रीय बैंक स्थिति पर काबू पाने के लिए बैंकों को और सस्ते में धन उपलब्ध कराएंगे. इसी तरह कर्ज लेना आसान बनाने के और कदम भी उठाए जा सकते हैं. स्थिति बिगड़ने पर अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेड ब्याज दर बढ़ाने के अपने इरादे पर फिर से विचार कर सकता है. माना जा रहा था कि सालों तक ब्याज दर को कम रखने के बाद फेडरल रिजर्व इस साल से ब्याज दर को फिर से बढ़ा सकता है. यह कर्जदारों के लिए अच्छी खबर होगी, लेकिन बचतकर्ताओं और पेंशनरों के लिए चिंताएं बढ़ जाएंगी.

विकास पर असर

आर्थिक विकास पर ब्रिटेन के फैसले का असर उतना बुरा होने की उम्मीद नहीं है. मूडी के मुख्य अर्थशास्त्री मार्क जांडी के अनुसार ब्रेक्जिट के एक साल बाद ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था सामान्य के मुकाबले 1 प्रतिशत कम होगी जबकि यूरोपीय संघ को 0.25 प्रतिशत का और विश्व को 0.1 प्रतिशत का नुकसान होगा. अगर वैश्विक आर्थिक विकास में 0.1 प्रतिशत की वृद्धि की बात करें तो यह ज्यादा नहीं लगता, लेकिन वैश्विक अर्थव्यवस्था का हाल इस समय बहुत अच्छा नहीं है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने इस साल 3.2 और अगले साल 3.5 प्रतिशत विकास की बात कही है. आईएमएफ की प्रमुख क्रिस्टीने लागार्द का कहना है कि यह विश्व के 20 करोड़ बेरोजगारों को काम पर वापस लाने के लिए पर्याप्त नहीं है.

विश्व व्यापार संगठन का कहना है कि इस साल अंतरराष्ट्रीय कारोबार धीमा रहेगा. 1990 से औसत 5 प्रतिशत कारोबार के बदले इस साल कारोबार में सिर्फ 2.8 प्रतिशत की वृद्धि होगी. ये भी खतरा है कि ब्रेक्जिट के नतीजे स्थायी साबित हो सकते हैं, खासकर ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के लिए उसका मतलब स्थायी तौर पर धीमा विकास हो सकता है. ब्रेक्जिट का सीधा असर न भी हो, लेकिन अगर दूसरे देश भी ईयू छोड़ने का फैसला करते हैं या उसकी वजह से ईयू विरोधी ताकतें मजबूत होती हैं तो ब्रेक्जिट अंतरराष्ट्रीय व्यापार में मोड़ साबित हो सकता है.

एमजे/आरपी (एपी)

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