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बड़े बेरहम रहे गद्दाफी के आखिरी लम्हे

२१ अक्टूबर २०११

एक पाइप में छिपे मुअम्मर गद्दाफी को जब खींचकर बाहर निकाला गया तो उन्होंने हाथ उठाकर रहम की भीख मांगी. उन्होंने विद्रोही लड़ाकों ने कहा, "मुझे मत मारो, मेरे बेटो." लेकिन जंग में रहम की कोई जगह नहीं होती.

तस्वीर: dapd

42 साल तक लीबिया पर राज करने वाले गद्दाफी गुरुवार को मार दिये गए. उन्होंने अपनी जिंदगी के आखिरी एक घंटे में वह सारी क्रूरता देखी, जिसके आरोप उन पर भी लगते रहे. घायल होने के बाद और मरने से पहले विद्रोहियों ने उनके साथ बेरहमी से सुलूक किया. उनके बाल पकड़कर घसीटा गया और एक ट्रक के ऊपर उनका खून से लथपथ शरीर रखकर उसकी नुमाइश की गई.

एक युग का अंत, एक की शुरुआत

गद्दाफी की मौत के साथ लीबिया में एक युग का अंत हो गया, एक ऐसा युग जिसने तेल से लबालब देश लीबिया को पूरी दुनिया के सामने एक विद्रोही के रूप में खड़ा रखा. और इसके साथ ही नए लीबिया के लिए रास्ते खुल गए हैं जो आसान नहीं हैं. नए नेतृत्व के सामने पूरे देश को जोड़कर एक साथ चलाने की बड़ी चुनौती है. हालांकि फिलहाल देश युग के अंत के जश्न में मश्गूल है.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

लीबिया के अंतरिम प्रधानमंत्री महमूद जिब्रिल ने त्रिपोली में कहा, "हम बहुत देर से इस ऐतिहासिक लम्हे का इंतजार कर रहे थे. मुअम्मर गद्दाफी मारा गया. अब मैं लीबिया के लोगों से कहूंगा कि अपनी सारी नाराजगियां भुला दें और सिर्फ एक शब्द कहें- लीबिया, लीबिया, लीबिया."

अरब वसंत के नाम से मशहूर हुई अरब देशों की इन क्रांतियों ने कई शासकों की सत्ता की बलि ली है, लेकिन इसमें मारे जाने वाले गद्दाफी पहले नेता हैं. उन्हें उनके ही गृह नगर सिर्ते में गोली मार दी गई. सिर्ते की जंग में ही गद्दाफी का बेटा मोतास्सिम भी मारा गया जबकि दूसरा बेटा सैफ अल इस्लाम घायल हालत में पकड़ा गया. समाचार एजेंसी एपी के एक रिपोर्टर ने मोतास्सिम के शव पर सिगरेट के जले के निशान देखे.

बेरहम आखिरी लम्हे

गद्दाफी के आखिरी लम्हों की तस्वीरों ने ये सवाल उठाए हैं कि उनकी मौत किस तरह हुई. उन्हें जिंदा पकड़ा गया था. हालांकि तब वह घायल थे. अरब जगत के कई टेलीविजन चैनलों पर दिखाए गए एक वीडियो में कई विद्रोही लड़ाके गद्दाफी को घसीटते नजर आए. तब गद्दाफी का चेहरा खून से लथपथ था और उनकी कमीज से भी खून टपक रहा था.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

गद्दाफी ने उनके खिलाफ संघर्ष किया. वह चीखे, चिल्लाए, गुस्साए. लेकिन उन्माद भरे लड़ाकों ने उन्हें उठाकर एक ट्रक के बोनट पर पटक दिया. एक लड़ाका उनके ऊपर चढ़ गया. ट्रक को कई मिनट तक चलाया गया, जो जीत की नुमाइश करने जैसा था. उन हो हल्ले की आवाजों के बीच किसी ने कहा, "हमें वह जिंदा चाहिए. हमें वह जिंदा चाहिए." तब कुछ लड़ाके उसे बालों से घसीटते हुए एंबुलेंस की ओर ले गए.

बाद में कुछ वीडियो में देखा गया कि लड़ाके गद्दाफी के बेजान शरीर को घसीट रहे थे. उनकी कमीज उतार दी गई थी. उनके सिर के नीचे खून ही खून था. उस बेजान शरीर को एक कार में मिसराता की गलियों में घुमाया गया. सड़कों के किनारे खड़ी भीड़ उसे देखकर चिल्ला रही थी, "अल्लाह हो अकबर." लोग हवा में गोलियां दाग रहे थे. रात तक भी हवा में सल्फर की गंध महसूस की जा सकती थी. एक तरह की क्रूरता ने दूसरी तरह की क्रूरता का अंत कर दिया था.

रिपोर्टः एपी/वी कुमार

संपादनः ए कुमार

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