भारत में प्यार छिपा कर होता है फिर सेक्स से जुड़ी चीजें कैसे खुलेआम बिक सकती हैं. कंडोम खरीदने में लोगों के पसीने छूट जाते हैं लेकिन प्यार और कारोबार कहां मानता है, पर्दे के पीछ ही सही ये बाजार बढ़ रहा है.
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भारत में सेक्स खिलौनों और सेक्स से जुड़ी दूसरी चीजों को न तो खुलेआम खरीदा बेचा जाता है और न ही इसकी अनुमति है. इस तरह के कारोबार को अपराध की श्रेणी में रखा गया है लेकिन फिर भी गैरकानूनी तरीके से बहुत सी जगहों पर सेक्स खिलौने बेचे जाते हैं. कुछ सर्वे और इन सामानों से जुड़े उद्योग पर नजर रखने वाले बताते हैं कि भारत में सेक्स से जुड़े खिलौने, उपकरण और दूसरे सामानों की भारी मांग है. हालांकि इन्हें पसंद करने वाले लोगों की दिक्कत यह है कि इस तरह के सामान आसानी से नहीं मिल पाते. दिल्ली के पालिका बाजार और मुंबई के क्राफर्ड मार्केट या मनीष मार्केट जैसे कुछ इलाकों में इस तरह के सामान चोरी छिपे बेचे जाते हैं. गैरकानूनी होने के बावजूद सेक्स खिलौने का एक बड़ा बाजार भारतीय समाज में इनकी जरूरत और इनके प्रति बदलते नजरिये का अहसास दिलाता है.
कानून के अनुसार भारत में 'सेक्स खिलौने' की बिक्री प्रतिबंधित है और इसे बेचने के लिए दो साल तक की सजा और दो हजार रुपए तक का जुर्माना हो सकता है. एडवोकेट लीकेश ढोलकिया बताते हैं कि भारतीय कानून में "सेक्स खिलौने" का जिक्र नहीं है लेकिन कहा गया है कि, ऐसी कोई भी चीज जो समाज में अश्लीलता फैलाए उसे बेचना कानूनन अपराध है.
सेक्स और अट्रैक्शनः 10 बातें
सेक्शुअल अट्रैक्शन का कोई एक आधार वैज्ञानिक नहीं खोज पाए हैं. लेकिन डॉ. जस्टिन लेमिलर कुछ मजेदार बातें बताते हैं. उन्होंने द साइकॉलजी ऑफ ह्यूमन सेक्शुऐलिटी नाम मशहूर किताब लिखी है. उन्हीं के ब्लॉग से कुछ मजेदार बातें.
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खुद से आकर्षण
हम अपने जैसे लोगों की ओर आकर्षित होते हैं. एक प्रयोग में लोगों को कुछ तस्वीरें दिखाई गईं और पूछा गया कि कौन सबसे आकर्षक है. एक तस्वीर उनकी अपनी भी थी जिसमें बदलाव कर दिए गए थे. सबसे ज्यादा लोगों ने उसी तस्वीर को चुना.
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माता-पिता से आकर्षण
जो लोग हमें अपने माता-पिता की याद दिलाते हैं हम उनकी ओर ज्यादा आकर्षित होते हैं. इसी तरह ज्यादा उम्र के माता-पिता की संतानें ज्यादा उम्र के लोगों की ओर अधिक आकर्षित होती हैं.
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एक्सरसाइज के बाद
एक्सरसाइज के बाद आपके दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं. उसी वक्त आप किसी से मिलें तो उसकी ओर आकर्षित होने की संभावना ज्यादा होगी क्योंकि आपका दिमाग समझेगा कि धड़कने उसे देखकर बढ़ी हैं.
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शराब का असर
रिसर्च से पता चला है कि नशे में लोग ज्यादा आकर्षित होते हैं. जितनी ज्यादा आप पिएंगे, सामने वाला आपको उतना ज्यादा आकर्षित करेगा.
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हलो का असर ज्यादा
रिसर्च बताती है कि पिक अप लाइन ज्यादा असर नहीं करतीं. उसके बजाय सीधा सादा हलो बोलकर दिलचस्प बातचीत करके आप सामने वाले को ज्यादा आकर्षित कर सकते हैं.
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सारी इंद्रियों का कमाल
आप किसकी ओर आकर्षित हैं इसका फैसला सिर्फ आखें नहीं करतीं. सारी इंद्रियां मिलकर फैसला करती हैं. मसलन, उसकी गंध कैसी है, उसकी आवाज कैसी है और यह भी उसका स्वाद कैसा है.
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पीरियड्स का रोल
महिलाएं किस तरह के पुरुषों की ओर आकर्षित होंगी यह उनके माहवारी के दिनों पर भी निर्भर कर सकता है. मसलन, जब वे फर्टिलिटी के सबसे संवेदनशील दौर में होती हैं तब उन्हें भारी आवाज वाले गठीले और रौबीले मर्द ज्यादा अच्छे लगते हैं.
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रंगों का असर
पुरुषों पर रंगों का असर काफी होता है. उन्हें लाल रंग पहने हुए महिलाएं ज्यादा आकर्षित कर सकती हैं.
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मौसम का असर
सेक्शुअल अट्रैक्शन मौसम दर मौसम भी बदलती हैं. मसलन सर्दियों में पुरुष महिलाओं की ओर गर्मियों की अपेक्षा ज्यादा आकर्षित होते हैं.
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मुश्किल से मिले तो बेहतर
रिसर्च बताती हैं कि जिन्हें पाना जितना ज्यादा मुश्किल होता है, उनकी ओर आकर्षण उतना ही ज्यादा होता है.
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बड़ा बाजार
विशाल आबादी वाले भारत में तो हर तरह के कारोबार की बड़ी संभावना है लेकिन फिर भी कुछ चीजें सामाजिक दायरों और परंपराओं की वजह से खुले बाजार का हिस्सा नहीं बन पातीं. हालांकि तमाम प्रतिबंधो के बावजूद सेक्स उत्पादों के लिए भी भारत को बड़ा बाज़ार माना जा रहा है. बाजार की संभावना को देखते हुए माइक्रोसॉफ्ट में बड़ी नौकरी छोड़कर इस कारोबार में घुसने वाले समीर सरैया कहते हैं, "सेक्स से जुड़े सामान के कारोबार में काफी अवसर है." समीर ने बताया कि, बाजार का सर्वे करने के बाद उन्होंने अपने सहयोगियों के साथ "दैट्स पर्सनल डॉट कॉम" की शुरुआत की. उनकी कंपनी भारतीय कानून के दायरे में रहकर सेक्स से जुड़े सामानों (एडल्ट प्रोडक्ट) को ऑनलाइन बेचती है.
समीर सरैया के किए रिसर्च में 'भारतीय सेक्स खिलौना बाजार' से जुड़े कई चौंकाने वाले खुलासे हैं. समीर कहते हैं, "ये बाजार हर साल 35 फीसदी की दर से बढ़ रहा है." समीर के मुताबिक भारत में सेक्स से जुडे सामानों का कारोबार फिलहाल 1200-1500 करोड़ रुपए का है. मांग में तेज वृद्धि को देखते हुए आसार हैं कि 2016 में यह बाजार 2,450 करोड़ रुपए और 2020 में 8,700 करोड़ रुपए का हो जाएगा.
LGBTQ की ABCD
भारत समेत कई देशों में समलैंगिक अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ते रहे हैं. लेकिन जिन्हें हम एक शब्द "समलैंगिक" में समेट देते हैं, वे खुद को एलजीबीटीक्यू कम्यूनिटी कहते हैं. आखिर क्या है LGBTQ?
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एल से लेस्बियन
लेस्बियन यानी वे महिलाएं जो महिलाओं की ओर आकर्षित होती हैं. 1996 में आई फिल्म फायर ने जब इस मुद्दे को उठाया तब काफी बवाल हुआ. आज 20 साल बाद भी यह मुद्दा उतना ही संवेदनशील है.
तस्वीर: Reuters
जी से गे
गे यानी वे पुरुष जो पुरुषों की ओर आकर्षित होते हैं. दोस्ताना और कल हो ना हो जैसी फिल्मों में हंसी मजाक में समलैंगिक पुरुषों के मुद्दे को उठाया गया, तो हाल ही में आई अलीगढ़ में इसकी संजीदगी देखने को मिली.
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बी से बायसेक्शुअल
बायसेक्शुअल एक ऐसा व्यक्ति है जो महिला और पुरुष दोनों की ओर आकर्षित महसूस करे. ऐंजेलिना जोली और लेडी गागा खुल कर अपने बायसेक्शुअल होने की बात कह चुकी हैं.
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टी से ट्रांसजेंडर
एल, जी और बी से अलग ट्रांसजेंडर को उनके लैंगिक रुझान के अनुसार नहीं देखा जाता. भारत में जिन्हें हिजड़े या किन्नर कहा जाता है, वे भी ट्रांसजेंडर हैं और बॉलीवुड में जानेमाने बॉबी डार्लिंग जैसे वे लोग भी जो खुद अपना सेक्स बदलवाते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/M. Muheisen
क्यू से क्वीयर
इस शब्द का मतलब होता है अजीब. इसके जरिये हर उस व्यक्ति की बात की जा सकती है जो "सामान्य" नहीं है. चाहे जन्म से उस व्यक्ति में महिला और पुरुष दोनों के गुण हों और चाहे वह किसी की भी ओर आकर्षित हो.
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और भी हैं
यह सूची यहां खत्म नहीं होती. कई बार एलजीबीटीक्यू के आगे ए भी लगा दिखता है. इसका मतलब है एसेक्शुअल यानी ऐसा व्यक्ति जिसकी सेक्स में कोई रुचि ना हो. इनके अलावा क्रॉसड्रेसर भी होते हैं यानी वे लोग जो विपरीत लिंग की तरह कपड़े पहनना पसंद करते हैं.
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जर्मन प्यूर से लेकर कनाडाई शुंगा तक
जर्मनी में प्रचलित ‘प्यूर' और ‘प्रीमियम बॉडीवियर' कनाडा का ‘शुंगा', अमेरिका का ‘एलेगेंट मोमेंट्स' और ‘मेल बेसिक्स' जैसे सेक्स से जुड़े सामान भारतीय ग्राहकों को लुभा रहे हैं. भारत के कई शहरों में चीन में बने वाइब्रेटर, डिल्डो और फेटिश क्लॉथ्स बेचे जाते हैं. देसी जड़ी-बूटियों से सेक्स क्षमता बढ़ाने के दावे वाली दवाइयों की कमी नहीं है लेकिन सेक्स खिलौने बनाने में कोई भी भारतीय कंपनी मुकाबले में नहीं है. कुछ समय पहले भारत सरकार की एक कंपनी हिंदुस्तान लेटेक्स लिमिटेड ने कंडोम के पैक के साथ उत्तेजना पैदा करने वाला एक यंत्र बांटना शुरू किया था लेकिन यह विवादों में घिर गयी. वैसे यह यंत्र भी चीन में बना था.
महिलाएं भी मांगती हैं
सेक्स उत्पादों को बेचने वाली भारत की पहली कंपनी के सीईओ समीर बताते हैं कि महिला खरीदारों की संख्या भी कम नहीं है. महिलाओं के बीच एरोटिक लॉन्जिरी, लुब्रीकेंट्स और लोशन काफी लोकप्रिय है. कंडोम बनाने वाली कंपनी ड्यूरेक्स की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 13% महिलाएं "आर्गेनिक सेक्स टॉयज" का उपयोग करती हैं. समीर कहते हैं कि लोग घरेलू चीजों को अप्राकृतिक इस्तेमाल करते हैं जो नुकसानदेह हो सकता है.
पिछले 4 महीने से सेक्स से जुड़े सामानों की मार्केटिंग से जुड़े सलाउद्दीन काजी बताते हैं, "18 से 23 वर्ष के लड़के-लड़कियों में "लिप-बाम" काफी लोकप्रिय है. ये बाम चुम्बन को मजेदार बनाते हैं. इसके अलावा फन अंडरवियर सभी उम्र और वर्गों में लोकप्रिय है." वे आगे कहते हैं कि इन दिनों ‘खाये जा सकने (एडिबल) वाले इनर वियर' भी मांगे जा रहे हैं. समीर बताते हैं कि "सेक्स खिलौने" की भारी मांग है और प्रतिबंध के चलते आपूर्ति ना के बराबर है. गैरकानूनी तरीके से बाजार में बेचे जा रहे सेक्स खिलौनों में चीन से आए सामानों का कब्जा है.
सेक्स से पहले न करें ऐसा
सेक्स एक अलौकिक अनुभव है. लेकिन इसे आप बर्बाद कर सकते हैं छोटी-छोटी बातों को नजरअंदाज करके. इन बातों का ध्यान रखें तो सेक्स का मजा कई गुना हो जाएगा. तो, सेक्स से पहले ऐसा न करें.
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पेशाब
सेक्स के बाद पेशाब करने से बैक्टीरिया बह जाते हैं. लेकिन उससे पहले ऐसा न करें. न्यूयॉर्क के यूरोलॉजिस्ट डेविड कॉफमान कहते हैं कि इससे यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन का खतरा होता है.
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ऐंटि अलर्जी दवा
ऐंटिहिस्टामाइन अलर्जी दूर करने के लिए ली जाती है, जैसे बहती नाक को सुखाने के लिए. लेकिन यह दवा सेक्स ऑर्गन्स को भी सुखा देती है. योनी में ड्राईनेस तकलीफदेह हो सकती है.
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अल्कोहल
कई बार अल्कोहल कामेच्छा बढ़ाता भी है लेकिन जरूरत से ज्यादा मात्रा में अल्कोहल पुरुषों के लिए कई तरह की बाधाएं पैदा कर देता है. इससे बचना चाहिए.
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छोटे या बड़े कॉन्डम
सेफ्टी तो जरूरी है. लेकिन सही साइज का चुनाव भी उतना ही जरूरी है. गलत साइज का कॉन्डम सुरक्षा को तो खतरे में डालेगा ही, मजा भी खराब कर देगा.
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उन अंगों की शेविगं
क्लिनिकल एक्सपर्ट चेतावनी देते हैं कि सेक्स से पहले प्राइवेट पार्ट्स की शेविंग इन्फेक्शन की वजह बन सकती है. इसलिए इससे बचें.
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सेक्स टॉयज की सफाई
आप सेक्स टॉयज इस्तेमाल करते हैं और सेक्स से पहले उन्हें साफ नहीं किया तो क्या फायदा. जैसे शरीर साफ होना चाहिए वैसे ही टॉयज भी साफ होने चाहिए.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
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विरोध भी समर्थन भी
भारतीय समाज में एक वर्ग है जो सेक्स से जुड़ी इस तरह की चीजों के इस्तेमाल को गलत नहीं मानता, लेकिन खुलकर बात करने वालों की संख्या आज भी ज्यादा नहीं है. समाज का बड़ा वर्ग इस तरह के सामानों को भारतीय संस्कृति के खिलाफ मानता है. महिलाओं की तरफ से भी इन्हें खुले आम बेचने का विरोध होता आया है. पिछले २ वर्षों से सेक्स का आनंद बढ़ाने वाले सामानों का उपयोग कर रहे जॉन (बदला हुआ नाम ) कहते हैं कि सेक्स खिलौनों पर प्रतिबंध समझ से परे है. वर्तमान जीवन शैली में इसके महत्व को इनकार नहीं किया जा सकता. जॉन कहते हैं कि इन के बारे में उन्हें तब पता चला जब उनके एक मित्र ने उन्हें तोहफे के रूप में दिया.
एक और खरीदार ने सकुचाते हुए कहा कि अगर दुकान में मिलना शुरू भी हो जाय तब भी वह ऑनलाइन खरीदारी ही पसंद करेंगे. मनोवैज्ञानिक और चिकित्सक इनके उपयोग को गलत नहीं मानते. उनके मुताबिक सेक्स में असंतुष्टि की वजह से होने वाले तनाव को कम करने में ये उत्पाद कारगर साबित हो सकते हैं.