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बढ़ती गरीबी के कारण यूनीलीवर ने बदली रणनीति

२७ अगस्त २०१२

सरकारें जो भी दावे करे, उद्यमों को गरीबी का ज्यादा पता होता है. यूरोपीय संकट के चलते उपभोक्ता सामग्री बेचने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनी यूनीलीवर अपनी रणनीति बदल रही है और कम आय वाले लोगों को लुभाने की कोशिश कर रही है.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

जर्मन मीडिया रिपोर्टों के अनुसार यूरोप में गरीबी वापस आ रही है और उपभोक्ता माल की दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी कंपनी ने अपना माल बेचने के लिए एशियाई देशों की रणनीति अपनानी शुरू कर दी है. भविष्य में वह इंडोनेशिया जैसे देशों से सीखी रणनीति लागू करेगी और प्रीमियम ब्रांड को कम करेगी और बडे़ पैकेटों के बदले छोटे छोटे पैकेट में सामान बेचेगी.

यूनीलीवर ने कम आय वाले ग्राहकों को लुभाने के लिए आक्रामक रणनीति अख्तियार की है. कंपनी के यूरोप प्रमुख यान जीदरवेल्ड का कहना है कि यूरोप में गरीबी वापस लौट रही है. उन्होंने वित्तीय दैनिक फाइनैंशियल टाइम्स डॉयचलंड को बताया, "यदि स्पेन के लोग हर खरीदारी पर औसत सिर्फ 17 यूरो खर्च कर रहे हैं तो हम उन्हें उनके बजट के आधे का वॉशिंग पॉउडर नहीं बेच सकते." इसलिए अब एशियाई देशों के सबक को यूरोप में लागू करने की कोशिश हो रही है.

चीन में नॉर का उत्पादनतस्वीर: picture-alliance/dpa

जीदरवेल्ड कहते हैं, "इंडोशिया में हम शैंपू का एक डब्बा दो से तीन सेंट में बेचते हैं, इसके बावजूद कमाते हैं. हमें पता है कि कैसे कमाया जाता है, लेकिन यूरोप में संकट से पहले हम इसे भूल चुके हैं." यूरो जोन इस समय आर्थिक मंदी का सामना कर रहा है. हालांकि जर्मनी में हल्की आर्थिक प्रगति हुई है, दूसरी तिमाही में 17 देशों वाले यूरो जोन की अर्थव्यवस्था में 0.2 फीसदी का सिकुड़ाव हुआ है. स्पेन, पुर्तगाल और इटली में अर्थव्यवस्था और ज्यादा सिकुड़ी है. ग्रीस पिछले पांच साल से लगातार मंदी का शिकार है.

ग्रीस में यूनीलीवर ने अपना प्रोडक्ट मिनी पैकेटों में बाजार में लाना शुरू कर दिया है. चाय और जैतून के तेल जैसे उत्पाद ग्रीक ब्रांड के तहत बेचे जा रहे हैं जिनकी कीमत जाने माने ब्रांड से कम है. स्पेन में यह कंपनी वॉशिंग पॉउडर के ऐसे पैकेट बेच रही है जिनसे सिर्फ पांच बार धुलाई की जा सकती है. अब उसने ब्रिटेन में भी यही रणनीति अपनानी शुरू कर दी है.

एक होटल में यूनीलीवर कमरातस्वीर: picture-alliance/dpa

यूनीलीवर नेस्ले और क्राफ्ट के बाद उपभोक्ता सामान बनाने वाली दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी कंपनी है और उसे नॉर और लांगनेजे जैसे ब्रांड के लिए जाना जाता है. अब तक उपभोक्ता माल बेचने वाली कंपनियां पश्चिमी देशों में महंगे बायो प्रोडक्ट और प्रीमियम ब्रांड बेचकर अपने कारोबार को बढ़ाने और सस्ते प्रोडक्ट से अलग दिखने की कोशिश कर रहे थे. लेकिन जीदरवेल्ड ने 2011 के शुरू में कंपनी का यूरोप प्रमुख बनने के बाद रणनीति बदली है. अब तक नई रणनीति में कामयाबी दिख रही है. 2011 में कंपनी को 0.7 फीसदी का मुनाफा हुआ है.

यूनीलीवर का कारोबार तीन इलाकों में बंटा हुआ है, जिसमें पश्चिम यूरोप का हिस्सा करीब एक चौथाई है. पिछले साल कुल 12.3 अरब यूरो का टर्नओवर हुआ है और 17 फीसदी के मुनाफे के साथ वह यूनीलीवर के बाकी इलाकों में चोटी पर है.

एमजे/एएम (एएफपी, रॉयटर्स)

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