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बढ़ती जबरन शादियों से चिंतित जर्मनी

१० नवम्बर २०११

भारत में घरवालों की मर्जी से शादी सामान्य बात है. लेकिन जर्मनी में इस शादी का अलग ही रूप है जो भयानक हो जाता है. इसे जबरन शादी कहते हैं. यानी माता पिता बच्चे को शादी के लिए मजबूर करें. और ऐसी हजारों शादियां होती हैं.

तस्वीर: Valeriy Lebedev-Fotolia.com

जर्मन परिवार मंत्रालय ने पहली बार देश में होने वाली जबरन शादियों पर रिपोर्ट जारी की है. यह रिपोर्ट देश भर में परामर्श केंद्रों की खोजबीन पर आधारित है.

जर्मनी में जबरन शादी होती है, यह पता तो सबको है लेकिन इसकी गंभीरता के बारे में अब तक कभी बात नहीं हुई. इसलिए परिवार मंत्रालय ने इस बारे में अध्ययन कराया है जिसे बर्लिन में बुधवार को पेश किया गया. इस रिपोर्ट में पहली बार उन लोगों के बारे में बात की गई है जो जबरन शादियों से प्रभावित हैं और परामर्श केंद्रों के पास आते हैं. परिवार मामलों की मंत्री क्रिस्टीना श्रोएडर ने यह रिपोर्ट पेश करते हुए कहा, "जर्मनी में जबरन शादी एक अपराध है. लेकिन सच उससे कहीं ज्यादा जटिल है, जैसा कानून की किताब की एक लाइन पढ़कर लगता है."

क्रिस्टीना श्रोएडर और मारिया बोहमरतस्वीर: DW/Jülide Danısman

हजारों मामले

इस अध्ययन में जर्मनी के लगभग 830 परामर्श केंद्रों से सूचना जमा की गई है. हैम्बर्ग की लावाएत्स फाउंडेशन और महिला अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था टेरे डेस फेमेस ने यह अध्ययन किया. इसके मुताबिक 2008 में जबरन शादियों के 3,443 मामले परामर्श केंद्रों में दर्ज हुए. और श्रोएडर इस बात पर जोर देती हैं कि परामर्श केंद्रों तक सारे लोग नहीं पहुंच पाते. वह कहती हैं कि बहादुर लोग ही मदद मांगने भी आ पाते हैं. जो लोग जबरन शादियों का विरोध करते हैं उनके सामने परिवार से अलग कर दिए जाने का खतरा होता है. इसलिए जबरन शादियों की असल संख्या कहीं ज्यादा हो सकती है.

इस अध्ययन से यह बात सामने आई है कि प्रभावितों में ज्यादातर लोग विदेशी मूल के हैं. इसका सबसे ज्यादा असर तुर्की से आए प्रवासियों पर दिखता है. जबरन शादियों के 23 फीसदी मामले उन्हीं के हैं. उसके बाद आठ फीसदी लोग सर्बिया, कोसोवो और मोंटेनेग्रो से हैं. इराक और अफगानिस्तान के छह छह फीसदी लोग हैं. सीरिया से 5, मोरक्को से 3 और अल्बानिया, लेबनान और पाकिस्तान के दो फीसदी लोग हैं.

मुसलमान नेताओं की भूमिका

प्रभावितों में 32 फीसदी जर्मनी में ही पैदा हुए हैं जबकि 44 फीसदी के पास जर्मन राष्ट्रीयता है. लेकिन अध्ययन के मुताबिक जर्मन पासपोर्ट होने से पारिवारिक दबाव से बचना आसान नहीं हो पाता. रिपोर्ट से यह बात भी पता चली कि जिन बच्चों की जबरन शादी हुई उनमें से 83.4 फीसदी के माता पिता मुसलमान हैं. और जिन लोगों की जबरन शादी हुई या उनके साथ कोशिश की गई, उनमें से लगभग एक तिहाई 17 साल या उससे कम उम्र के हैं. 40 फीसदी लड़के लड़कियां 18 से 21 के बीच के हैं.

श्रोएडर कहती हैं कि मुस्लिम समुदाय के नेताओं को इस मसले के हल में शामिल किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, "हमें इस बात पर कम बहस करनी चाहिए कि इस्लाम इस समस्या का हिस्सा है. बल्कि हमें यह सोचना चाहिए कि क्या इस्लाम को इसके हल का हिस्सा बनाया जा सकता है. इसलिए जर्मनी के मुस्लिम अधिकारियों को जबरन विवाह को हतोत्साहित करने में और जरूरत पड़े तो दखल देने में गंभीर भूमिका निभानी चाहिए."

क्रिस्टीना श्रोएडरतस्वीर: K. Schröder

स्कूल की मदद

समस्या का हल तलाशने के लिए स्कूलों को भी अभियान का हिस्सा बनाया जा रहा है. जर्मन सरकार में एकीकरण के लिए जिम्मेदार मारिया बोहमर कहती हैं कि जरबन शादी का मतलब होता है ट्रेनिंग और शिक्षा को बीच में ही रोक देना, इसलिए स्कूलों को भी इस मुद्दे पर जागरूक करना होगा. उन्होंने कहा, "जबरन शादियों के मुद्दे को पढ़ाई में जगह देनी होगी. शिक्षकों की ट्रेनिंग के दौरान भी इस बारे में बात करनी होगी."

रिपोर्ट के मुताबिक दो तिहाई स्कूल इस मुद्दे पर कोई बात नहीं करते.

इस बारे में बोहमर जर्मन भाषा को भी अहम हथियार बनाना चाहती हैं. वह कहती हैं कि प्रवासी लोग बेहतर जर्मन सीख कर आत्मविश्वास पा सकते हैं. वह कहती हैं, "बेहतर जर्मन आत्मविश्वास, अपनी मर्जी की जिंदगी और आत्मनिर्भरता की कुंजी है."

जबरन शादियों का संबंध घरेलू हिंसा से भी है. रिपोर्ट कहती है कि जबरन शादी से प्रभावित दो तिहाई लोग घरेलू हिंसा का शिकार हैं. इसलिए घरेलू हिंसा या जबरन शादी से प्रभावित महिलाओं के लिए एक हॉटलाइन भी शुरू की जा रही है. हालांकि यह अगले साल के आखिर तक ही शुरू हो पाएगी.

रिपोर्टः सबीने रिपोरगेर/वी कुमार

संपादनः ए कुमार

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