बढ़ती ताकत है भारत: जॉन केरी
२४ जून २०१३ रविवार को दोहा से नई दिल्ली पहुंचे अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने आपसी निवेश संधि करने पर जोर दिया ताकि निवेशकों का भरोसा भारत में बढ़े. उत्तराखंड में मारे गए लोगों के प्रति शोक जताते हुए उन्होंने डेढ़ लाख अमेरिकी डॉलर की सहायता राशि की घोषणा की.
केरी ने कहा कि वह एक और एक ग्यारह होते हैं की कहावत में विश्वास रखते हैं. और दोनों देश मिलकर दुनिया की सबसे कड़ी चुनौतियों से पार पा सकते हैं.
सोमवार से शुरू होने वाले भारत अमेरिकी रणनीतिक संवाद में आपसी व्यापार, रक्षा, ऊर्जा, उच्च शिक्षा और सुरक्षा साझेदारी पर बातचीत होगी.
केरी ने भारत को जलवायु परिवर्तन पर कदम लेने की सलाह दी. "भारत में इतिहास और विज्ञान की इतनी बड़ी धरोहर है. हमें पहचानना होगा कि आज जलवायु परिवर्तन हमें ठोस कदम उठाने को कह रहा है."
यात्रा से पहले अमेरिका ने भारत का बढ़ती ताकत के तौर पर स्वागत किया है. और यह भी कहा है कि वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को स्थाई सदस्यता देने की पैरवी करता है.
भारत अमेरिकी रणनीतिक वार्ता से पहले एक वीडियो संदेश में केरी ने नमस्कार बोलते हुए कहा, "यह हमारा पक्का विश्वास दिखाता है कि मजबूत भारत अमेरिका के राष्ट्रीय हित में है. अमेरिका भारत का बढ़ती ताकत के तौर पर ही स्वागत नहीं करता, हम इसका पूरा समर्थन भी करते हैं. इसीलिए राष्ट्रपति बराक ओबामा और मैं भारत को संशोधित और विस्तृत यूएन सुरक्षा परिषद में शामिल करने की पैरवी करते हैं."
केरी ने कहा कि वह नई दिल्ली में कुछ ऐतिहासिक जगहों पर जरूर जाना चाहेंगे और नेताओं की युवा पीढ़ी से मिलना चाहेंगे.
उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका भारत का सहयोग आज जितना अहम है पहले कभी नहीं था, "जैसा कि राष्ट्रपति ओबामा कहते हैं कि दोनों देशों के बीच दोस्ती 21वीं सदी में साझेदारी को पारिभाषित करने वाली है. आज अमेरिका और भारत कई क्षेत्रों में साझेदारी कर रहे हैं. हम साथ मिल कर साझा चुनौतियों से जूझ रहे हैं और नए मौके बना रहे हैं. उच्च शिक्षा से लेकर साफ ऊर्जा तक, आतंक निरोधी मामलों से अंतरिक्ष यात्रा तक, साथ काम करने के नए मौके बना रहे हैं. और इस दौरान हम दोनों देशों के लोगों की संपन्नता और सुरक्षा बढ़ा रहे हैं."
अफगानिस्तान की शांति में भारत की भूमिका के बारे में उन्होंने कहा, "भारत पुनर्निमाण और विकास के काम में मदद कर अपना योगदान दे रहा है. हम एशिया प्रशांत इलाके में भारत के नेतृत्व की भी सराहना करते हैं."
उधर अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि माइकल फ्रोमैन ने कहा, "भारत में निवेश और इनोवेशन को लेकर हमें बड़ी चिंताएं हैं. इन पर हम बहुत केंद्रित हैं.
इन चिंताओं में भारत का अमेरिकी दवाओं के पेंटेंट को निलंबित करने का कंपल्सरी लाइसेंस और स्थानीयकरण की नीति शामिल है जो विदेशी माल के प्रति भेदभाव करती हैं.
हाल के दिनों में अमेरिकी कांग्रेस के कई नेताओं ने राष्ट्रपति बराक ओबामा से अपील की है कि वह भारत के खिलाफ इस मुद्दे पर कड़ा फैसला लें. फ्रोमैन ने यह भी कहा कि वह अगले हफ्ते अमरिका इंडिया ट्रेड पॉलिसी फोरम के दौरान इस विषय को उठाएंगे.
एएम/आईबी (पीटीआई, रॉयटर्स)