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'बढ़ी हुई कीमतें वापस ले केंद्र सरकार'

२५ जून २०११

भारत की विपक्षी पार्टियों ने डीजल, केरोसिन और एलपीजी की कीमतें बढा़ए जाने का विरोध किया. केरल में बसों की हड़ताल होगी. विपक्ष ने सरकार से मूल्यवृद्धि वापस लेने की मांग की है.

तस्वीर: UNI

भारत सरकार ने शुक्रवार को डीजल के दाम तीन रुपये, केरोसिन के दाम दो रुपये प्रति लीटर और रसोई गैस के दाम 50 रुपये प्रति सिलेंडर बढ़ा दिए. मूल्यवृद्धि के खिलाफ विरोध की आग शनिवार को देश के कई हिस्सों में दिखाई पड़ी. दिल्ली में जंतर मंतर पर बीजेपी समर्थकों ने प्रदर्शन किया.

बीजेपी के नेता वीके मल्होत्रा ने कहा, "ईंधन और रसोई गैस की कीमतों में हुई वृद्धि को सही नहीं ठहराया जा सकता. आम आदमी की शिकायतें सुनने के बजाए सरकार अतिआवश्यक चीजों के दाम बढ़ा कर बेरहमी दिखा रही है. हम मूल्यवृद्धि वापस लेने की मांग करते हैं."

केरल में केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ प्रदर्शन हुए हैं. सीपीएम की युवा ईकाई डीवाईएफआई ने राज्य भर में प्रदर्शन किए. केरल में प्राइवेट बस ऑपरेटरों की समिति ने 29 जून को हड़ताल का एलान किया है. बस ऑपरेटरों का कहना है कि डीजल की कीमतें बढ़ाने से किराया बढ़ जाएगा. ऐसी स्थिति में गरीब परिवारों के लिए इधर उधर जाना मुश्किल होने लगेगा.

भारत में इस वक्त मंहगाई की औसत दर 9.13 फीसदी है. माना जा रहा है कि सरकार के इस कदम से मंहगाई और ज्यादा बढ़ेगी. डीजल मंहगा होने से ट्रकों का ढुलाई भाड़ा भी बढ़ जाएगा, जिसका सीधा असर सब्जी, दूध और फलों से लेकर हर एक सामान पर पड़ेगा. मंहगे डीजल की मार किसानों पर भी पड़ेगी. उनके लिए ट्रैक्टर और डीजल पंप चलाना मंहगा हो जाएगा. सरकार की दलील है कि तेल कंपनियों को हो रहे नुकसान को कम करने के ईंधन के दाम बढ़ाए गए हैं.

लेकिन सरकार के पास इस बात का कोई जबाव नहीं है कि एक दो बड़े शहरों के अलावा देश के बाकी हिस्सों में घरों तक गैस पाइप लाइन बिछाने का काम क्यों नहीं आगे बढ़ पा रहा है. दिल्ली की तरह देश के बाकी हिस्सों में सार्वजनिक परिवहन के लिए सीएनजी से चलने वाले वाहनों का इस्तेमाल क्यों नहीं हो रहा है, केंद्र और राज्य सरकारें इस पर चुप हैं. सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था की लचर हालत की वजह से भारत में निजी वाहनों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. जाहिर है यह संख्या तेल की मांग को भी लगातार बढ़ा रही है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: महेश झा

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