बढ़ेगी जड़ी बूटियों की खेती
२३ अगस्त २०१३पुदीना, बबूना, सेंट जॉन्स वोर्ट जैसे औषधीय पौधे दवा और सौंदर्य उद्योग के लिए महत्वपूर्ण कच्चा माल होने के अलावा घरेलू इस्तेमाल के लिए चाय का काम करते हैं. जर्मनी में इनकी उपज जरूरत से कम मात्रा में होती है. जानकारों के अनुसार जर्मनी में इनकी जितनी जरूरत है, उसका सिर्फ 10 से 20 फीसदी ही उपजाया जाता है.
इस समय जर्मनी में करीब 12,000 हेक्टर जमीन पर जड़ी बूटी वाले पौधे उगाए जा रहे हैं. 2020 तक जर्मन सरकार इसे बढ़ाकर 20,000 हेक्टर करना चाहती है, ताकि इनके आयात पर निर्भरता घटे. हालांकि ऐसा करना आसान नहीं, क्योंकि उपयुक्त मशीनों के अभाव में इसकी राह बहुत मुश्किल है.
जर्मनी के पूर्वी प्रदेश थ्युरिंजिया के रानीस में इस समय पुदीने की खेती जोरशोर से हो रही है. खेतों में लगे पौधे लहलहा रहे हैं, इलाके के माहौल में मेंथॉल की सुगंध तैर रही है. खेतों में बीस साल पहले खत्म हो गए जीडीआर के जमाने की मशीनें काम कर रही हैं. लुडविषहोफ की कंपनी के प्रमुख गुन्नार युंगमिषेल कहते हैं, "फसल काटने की तकनीक अक्सर मशीन पर बैठे ड्राइवर से ज्यादा है." उनका कहना है कि बाजार में ऐसी मशीनें ही नहीं हैं जो उनकी कंपनी के लिए उपयुक्त हों. कृषि मशीन बनाने वाली कंपनियों के लिए यह इलाका बहुत छोटा होने के कारण दिलचस्प नहीं है.
युंगमिषेल की सहकारिता जर्मनी में दवा उत्पादन के लिए जड़ी बूटियां पैदा करने वाले बड़े फार्मों में एक है. इस साल उन्होंने 755 हेक्टर पर पुदीने, बबूने, बाल्ड्रियान और ट्रोपोलियम जैसे पौधे लगाए हैं. इस इलाके में इन पौधों को लगाने की परंपरा 50 साल पुरानी है. 1990 में जर्मन एकीकरण के बाद से जड़ी बूटियों को सुखाने की मशीनों पर भारी निवेश किया गया है. गर्मियों में युंगमिषेल को 60 अतिरिक्त कर्मियों की भर्ती करनी पड़ती है, जो खेतों की देखभाल, फसल काटने और उनकी प्रोसेसिंग में मदद करते हैं. खेतों में उगने वाले घासफूस को हाथ से निकालना पड़ता है. पौधों को काटकर सुखा कर, छांट कर और छोटा छोटा कर बेचा जाता है.
जड़ी बूटियों की खेती के लिए थ्युरिंजिया जर्मनी में अहम है. खेतों में पैदा होने वाले कच्चे माल पर एक ताजा सर्वे के अनुसार थ्युरिंजिया में 2303 हेक्टर जमीन पर औषधीय पेड़ पौधे लगाए जाते हैं, जबकि ब्राडेनबुर्ग में 2706 हेक्टर पर इनकी खेती होती है. वहां मुख्य रूप से तीसी की खेती होती है.इनके अलावा बवेरिया में 1886 हेक्टर और हेसेन में 1100 हेक्टर जमीन पर जड़ी बूटी उपजाया जाता है.
जर्मनी में जड़ी बूटियों की खेती बढ़ाने के इरादे को अमल में लाना आसान नहीं है. इस क्षेत्र के जानकार आंद्रेयास शुटे का कहना है कि 2020 तक यदि हम 20,000 हेक्टर पर इनकी खेती करना चाहते हैं तो हमें नए किसानों का दिल जीतना होगा. मौजूदा किसानों के लिए अपने खेतों को बढ़ाना संभव नहीं जबकि नए किसानों को फसल कटाई और ड्राइंग मशीनों में भारी निवेश करना होगा. जर्मन सरकार इस समय इस क्षेत्र में शोध और विकास पर 15 लाख यूरो खर्च कर रही है. वैज्ञानिक बबूने के फूल तोड़ने के लिए मशीन विकसित करने के अलावा ज्यादा फसल देने वाली नस्लें विकसित करने की कोशिश कर रहे हैं.
जानकारों का कहना है कि औपधीय पौधों की खेती से अधिक कमाई की जा सकती है. इसके अलावा वह कई उद्यमों के लिए कमाई का अतिरिक्त जरिया हो सकता है. मुश्किल यह है कि गेहूं और सरसों जैसी फसलों से हो रही अच्छी कमाई की वजह से किसान औषधीय पौधों की खेती की ओर कम ध्यान दे रहे हैं.
एमजे/एनआर (डीपीए)