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बढ़ रही है बोतलबंद गंगाजल की मांग

१८ जुलाई २०१६

भारत में करोड़ों रुपए खर्च कर बड़े पैमाने पर तैयार परियोजना के बावजूद गंगा आज भी मैली है और इसकी सफाई के प्रति लोगों में खास दिलचस्पी भी नहीं है. लेकिन गंगाजल के प्रति लोगों की आस्था रत्ती भर भी कम नहीं हुई है.

Bunker in Donezk
तस्वीर: DW/K.Oganesyan

एक ओर गंगा नदी को साफ करने के लिए सरकार बड़े पैमाने पर प्रयास कर रही है तो दूसरी ओर गंगाजल के प्रति कश्मीर से कन्याकुमारी तक के लोगों की आस्था को ध्यान में रखते हुए ही भारतीय डाक विभाग ने गंगा का बोतलबंद पानी बेचने का फैसला किया है. और इस पानी की भारी मांग है.

भारत में गंगा नदी को मां कहा जाता है और इसके जल को बेहद पवित्र माना जाता है. देश के ज्यादातर नागरिक गंगा किनारे बसे ऋषिकेश, हरिद्वार या बनारस की यात्रा पर जाने पर वहां से बोतलों में भर कर गंगा का पानी लाना नहीं भूलते. हिंदू रीति-रिवाजों के तहत कोई भी शुभ काम गंगा जल के बिना संपन्न नहीं हो सकता. लेकिन लोगों को अब गंगोत्री और ऋषिकेश के पवित्र गंगाजल के लिये हजारों किलोमीटर का सफर तय कर गंगोत्री और ऋषिकेश नहीं जाना पड़ेगा. अब जिले के हर प्रधान डाकघर में ऋषिकेश व गंगोत्री का बोतलबंद गंगाजल उपलब्ध है. लोग चाहें तो ऑनलाइन बुकिंग कर इसे अपने घर भी मंगा सकते हैं.

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और मनोज सिन्हा ने इसी सप्ताह इस नई योजना का शुभारंभ किया है. यानी अब डाकिया सिर्फ चिठ्ठियां ही नहीं, बल्कि गंगा जल भी लोगों तक पहुंचाएगा. यह योजना भारत सरकार के डिजिटल इंडिया प्रोजेक्ट का ही हिस्सा है. भारतीय संस्कृति में गहरे रची-बसी गंगा नदी गंगोत्री से निकल कर पश्चिम बंगाल में हुगली के तौर पर बहते हुए कोलकाता से कोई सौ किमी दूर गंगासागर पहुंच कर अपना सफर पूरा करती है. घर में गंगा होने के बावजूद यहां गंगोत्री और ऋषिकेश के बोतलबंद गंगाजल की भारी मांग है और बिक्री शुरू होने के दो दिनों के भीतर ही पूरा स्टॉक खत्म हो गया. भारतीय डाक विभाग ने रविवार से ही गंगोत्री और ऋषिकेश का गंगाजल बोतलों में भर कर हेड पोस्ट आफिस के जरिए इसकी बिक्री शुरू की है.

तस्वीर: Getty Images/S.Kanojia

गंगोत्री और ऋषिकेश का पानी

यह बोतलबंद गंगाजल दो किस्म का है. एक को गंगोत्री में बोतलबंद किया गया है और दूसरे को ऋषिकेश में. गंगोत्री के पानी की कीमत कुछ ज्यादा है. इसकी वजह यह है कि गंगा वहां से कुछ दूर बने गोमुख से ही निकलती है और उस पानी को काफी साफ और पवित्र माना जाता है. यह दो सौ और पांच सौ मिलीमीटर की बोतलों में उपलब्ध है. पश्चिम बंगाल की चीफ पोस्टमास्टर जनरल अरुंधति घोष कहती हैं, "बोतलबंद गंगाजल की भारी मांग से हम हैरत में हैं. दो दिनों में ही हमारा पूरा स्टाक खत्म हो गया है."

अरुंधति घोष बताती हैं कि अब भी रोजाना काफी लोग इसे खरीदने के लिए आ रहे हैं. लेकिन डाक विभाग उनकी मांग पूरी करने में असमर्थ है. एक सवाल पर वह कहती हैं कि ऋषिकेश के गंगाजल के प्रति लोगों की भारी आस्था ही इसकी प्रमुख वजह है. इस योजना से आम लोग भी खुश हैं. गंगोत्री का गंगाजल खरीदने पहुंचे रामेश्वर भगत कहते हैं, "हमारे लिए काफी सहूलियत हो गई है. पहले हम बनारस या देवघर जाकर गंगा का पानी लाते थे. लेकिन अब यह घर बैठे ही मिलने लगा है."

ऑनलाइन बिक्री

अगर कोई व्यक्ति पोस्ट आफिस तक नहीं जाना चाहे तो वह घर बैठे ही इसका ऑर्डर दे सकता है. डाकिया उसकी चिठ्ठी के साथ बोतलबंद गंगाजल भी घर पहुंचा देगा. अरुधंति घोष कहती हैं, "लोग घर बैठे पानी के लिए ऑनलाइन आर्डर दे सकते हैं. इसके लिए पानी की कीमत के अलावा उनको स्पीड पोस्ट का खर्च देना होगा." डाक विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि दूरी के हिसाब से स्पीड पोस्ट के खर्च में अंतर हो सकता है.

तस्वीर: UNI

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इसकी बिक्री शुरू करते हुए कहा था कि इस योजना का मकसद मुनाफा कमाना नहीं है. गंगाजल के प्रति देश के लोगों की आस्था को ध्यान में रखते हुए ही डाक विभाग ने लोगों तक गंगाजल पहुंचाने की यह योजना शुरू की है. इस पहल से डाक विभाग को राजस्व बढ़ने की उम्मीद है जबकि लोगों को घर बैठे गंगाजल मिल जाएगा.

विरोध

लेकिन ऑनलाइन गंगा जल बुक कराने और डाक से भेजने की योजना का हरिद्वार में जमकर विरोध शुरू हो गया है. संत समाज ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए इसके खिलाफ दिल्ली में जंतर-मंतर पर धरना देने और जरूरत पड़ने पर अदालत का दरवाजा खटखटाने की चेतावनी दी है. उन्होंने इसे भारतीय संस्कृति और आस्था के खिलाफ बताया है. शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का कहना है, "गंगा से आम लोगों की आस्था और भावनाएं जुड़ी हैं. इसका बाजारीकरण नहीं किया जाना चाहिए."

हरिद्वार में एक मठ के प्रमुख स्वामी अच्युतानंद तीर्थ कहते हैं, "हम गंगा को मां कहते हैं और मां को बेचा नहीं जाता. यह बेहद अनुचित है. सरकार को तुरंत यह योजना बंद करनी चाहिए." लेकिन भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ ने केंद्र सरकार की इस पहला का स्वागत किया है. वह कहते हैं, "इसमें विरोध जैसी कोई बात नहीं है. आम लोगों की आस्था को ध्यान में रखते हुए घर-घर आसानी से गंगाजल पहुंचाना ही इस योजना का प्रमुख मकसद है."

रिपोर्ट:प्रभाकर

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