एक राष्ट्र अभी अपने विमान के लापता होने के सदमे से उबर भी नहीं पाया था कि 298 यात्रियों के साथ उसका दूसरा यात्री विमान मार गिराया गया.
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इन हादसों ने मलेशियाई एयरलाइंस पर सवाल खड़े कर दिए लेकिन क्या इसमें उसका भी कसूर है. साल का दूसरा शुक्रवार था, जब मलेशियाई लोगों की नींद ऐसी खुली कि उनके होश उड़ गए. अखबारों के पहले पन्ने पर काले हादसे की दास्तान थी कि किस तरह उनका एक और विमान हादसे का शिकार हो गया और उसे यूक्रेन में मार गिराया गया.
दुर्घटनाग्रस्त एमएच 370 पर सफर कर रहे एक मुसाफिर के पिता जी सुब्रह्मण्यम ने कहा, "हमारे देश में शांति क्यों नहीं है. हमारे साथ हादसे के बाद हादसे हो रहे हैं." मलेशिया एयरलाइंस की फ्लाइट संख्या एमएच 17 क्वालालंपुर से एम्सटर्डम जा रही थी, जब पूर्वी यूक्रेन में इसे मार गिराया गया. इसमें 43 मलेशियाई नागरिक सवार थे.
अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि इसे जमीन से हवा में मार करने वाले मिसाइल ने गिराया है. इस इलाके में जबरदस्त यूक्रेन विरोधी और रूस समर्थित लोगों का जमावड़ा है. अभी पक्के तौर पर पता नहीं चला है कि क्यों इस पर हमला किया गया लेकिन इसकी वजह से एमएच 370 का मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया.
लगातार दो हादसों के बाद मलेशिया के पर्यटन क्षेत्र पर असर पड़ने का खतरा भी पैदा हो गया है. ताजा आंकड़ों से पता लगता है कि चीन से आने वाले पर्यटकों की संख्या लगभग 20 फीसदी कम हो गई है. मार्च में हादसे का शिकार हुए विमान में दो तिहाई यात्री चीन के थे, जबकि ताजा घटना में ज्यादातर मुसाफिर नीदरलैंड्स के.
मलेशिया की प्रमुख सर्वेक्षण कंपनी के इब्राहीम सूफियान का कहना है कि दोहरे मामलों ने मलेशिया की छवि को बुरी तरह बिगाड़ा है, "हमेशा से लगता था कि मलेशिया को त्रासदी और प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा मिली हुई है. तूफान, भूकंप और युद्ध - ये हमारे यहां नहीं बल्कि पड़ोसी देशों इंडोनेशिया, बर्मा और फिलिपींस में थे. लेकिन सुरक्षा का वह भाव अब जाता रहा."
बैडमिंटन चैंपियन ली चोंग वी ने कहा, "मैंने अभी अभी यह मनहूस खबर पढ़ी. मुझे नहीं लगता कि हम इतनी जल्दी दोबारा ऐसी खबर के लिए तैयार हैं." मार्च में हुए पिछले हवाई हादसे के बाद मलेशिया की सरकार पर जबरदस्त अंतरराष्ट्रीय दबाव है कि वे हवाई मामलों को ठीक ढंग से निपटाने में सक्षम नहीं हैं.
क्वालालंपुर से चीन की राजधानी बीजिंग जा रहा मलेशिया एयरलाइंस का एक विमान आठ मार्च को अचानक हवा में लापता हो गया और उसके बाद से इसका कोई पता नहीं लग पाया है. ऑस्ट्रेलिया के पास समुद्र में अच्छी खासी तलाशी के बाद भी इसके बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई. उस विमान में 239 लोग सवार थे. यात्रियों के परिवारों का कहना है कि सरकार इस मामले को ठीक ढंग से संभाल नहीं पाई.
मुस्लिम बहुलता वाले मलेशिया के लिए एमएच 17 हादसा खास तौर पर दर्द देने वाला है क्योंकि यह रमजान के पवित्र महीने में हुआ है. हालांकि सवाल यह भी उठ रहे हैं कि यात्री विमान एक युद्ध वाले क्षेत्र से क्यों गुजर रहा था. हालांकि प्रधानमंत्री रजीब रज्जाक सहित अधिकारी इसका बचाव कर रहे हैं.
सूफियान का कहना है कि आम तौर पर जातीय, राजनीतिक और धार्मिक मामलों में बंटा मलेशिया दुख के इस घड़ी में साथ खड़ा है. हालांकि इस बात को मानने वालों की कमी नहीं कि ताजा हादसे के बाद मलेशिया की राष्ट्रीय छवि पर तगड़ा झटका लगेगा.
मार्च में दुर्घटनाग्रस्त हुए विमान में सवार एक महिला के भारतीय पति केएस नरेंद्रन का कहना है, "राष्ट्रीय एयरलाइंस के प्रबंधन को लेकर उनकी गर्व वाली छवि एमएच 370 के मामले से ही धूमिल हुई है. लेकिन इस मामले के बाद तो उनका जीना दूभर हो जाएगा. उनके लिए खुद को बेदाग साबित करना और सफाई देना मुश्किल हो जाएगा."
एजेए/एमजी (एएफपी)
हादसे और उनकी वजह
दुनिया भर में रोज 76,000 से ज्यादा विमान लाखों यात्रियों को मंजिल तक पहुंचाते हैं. लेकिन जब कभी कोई हादसा होता है तो सुरक्षा के लिहाज से कान खड़े हो जाते हैं. एक नजर बीते पांच साल के बड़े हवाई हादसों और उनके कारणों पर.
तस्वीर: picture alliance/dpa
जर्मनविंग्स (24.03.2015)
जर्मन एयरलाइंस जर्मनविंग्स का एक विमान बार्सिलोना से डुसेलडॉर्फ जाते हुए फ्रांस में आल्प की पहाड़ियों में क्रैश हुआ. विमान में सवार सभी 150 लोगों की मौत हुई. को-पायलट ने जानबूझकर विमान को क्रैश किया.
तस्वीर: French Interior Ministry/DICOM/Y. Malenfer via Reuters
एयर एशिया (28.12.2014)
162 लोगों को लेकर जा रहा एयर एशिया का विमान एयर ट्रैफिक कंट्रोल से संपर्क टूटने के बाद लापता हो गया. साल भर बाद आई जांच रिपोर्ट के मुताबिक विमान के रडर सिस्टम में खराब उपकरण लगा था. हादसे के लिए पायलटों को भी जिम्मेदार ठहराया गया.
तस्वीर: Reuters/A. Berry
एयर अल्जेरी (24.07.2014)
बुर्किना फासो की राजधानी वागादुगू से अल्जीयर्स के लिए निकली एयर अल्जेरी की फ्लाइट उत्तरी माली में क्रैश हुई. पायलटों ने आखिरी बार एयर ट्रैफिक कंट्रोल को सूचना दी कि खराब मौसम के चलते वो रास्ता बदल रहे हैं. जुलाई में यह तीसरा विमान हादसा था.
तस्वीर: Reuters/Ouagadougou airport
एमएच17 (17.07.2014)
मलेशिया एयरलाइंस के लिए यह साल बेहद बुरा रहा. मार्च के हादसे के चार महीने बाद हॉलैंड से मलेशिया जा रही फ्लाइट एमएच17 यूक्रेन में क्रैश हो गई. हादसे में सभी 298 लोगों की मौत हो गई. विमान को यूक्रेन के संकटग्रस्त इलाके में एक मिसाइल ने मारा.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
ट्रांसेशिया एयरलाइंस (23.07.2014)
ताइवान के पेंघु द्वीप में ट्रांसेशिया एयरलाइंस का छोटा विमान खराब मौसम के चलते एयरपोर्ट से कुछ दूर क्रैश हो गया. हादसे में 48 लोगों को मौत हुई. तूफान में फंसी फ्लाइट को पायलट ने दूसरी बार इमरजेंसी लैंडिंग में उतारने की कोशिश की, जो नाकाम रही.
तस्वीर: Reuters
मलेशिया एयरलाइंस (08.03.2014)
8 मार्च 2014, मलेशिया एयरलाइंस की फ्लाइट कुआलालम्पुर से बीजिंग जाते वक्त दक्षिण चीन सागर के ऊपर लापता हो गई. विमान में सवार 227 यात्री और 12 चालक दल सवार थे. विमान के मलबे को ढूंढने का काम जारी रही है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
भोजा एयर (20.04.2012)
पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद के एयरपोर्ट पर लैंड करने से ठीक पहले भोजा एयर का बोइंग 737 क्रैश हो गया. हादसे में 127 लोग मारे गए. जांच में पायलट को हादसे के लिए जिम्मेदार ठहराया गया. को-पायलट की चेतावनी के बावजूद कैप्टन विमान को नीचे उतारता गया. धुंध में जमीन नहीं दिखी और विमान टकरा गया.
तस्वीर: Reuters
ईरान एयर (09.01.2011)
ईरान एयर का बोइंग विमान पश्चिमोत्तर ईरान में जमीन पर टकराकर हजारों टुकड़ों में बदल गया. हादसे में 77 लोग मारे गए. हादसे की जांच रिपोर्ट अभी सार्वजनिक नहीं हुई है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
एयर इंडिया (22.05.2010)
22 मई 2010, दुबई से लौट रहा एयर इंडिया का विमान मंगलौर एयरपोर्ट के रनवे को पार करता हुआ पहाड़ी से नीचे गिर गया. 152 लोगों की मौत हुई. हादसे के लिए पायलट को जिम्मेदार ठहराया गया. पायलट के परिवार के मुताबिक एयर इंडिया ने अचानक ड्यूटी बदलते हुए थके हुए पायलट को फिर से कॉकपिट में बैठाया. कई हादसों की जांच में यह साफ हो चुका है कि थके पायलट को हर कीमत पर आराम दिया जाना चाहिए.
तस्वीर: AP
अफ्रीक्याह एयरवेज (12.05.2010)
दक्षिण अफ्रीकी शहर जोहानिसबर्ग से लीबिया की राजधानी त्रिपोली के लिए निकला अफ्रीक्याह एयरवेज का एयरबस विमान लैंडिंग से ठीक पहले क्रैश हुआ. हादसे में 103 लोग मारे गए, सिर्फ एक नौ साल का बच्चा बचा. हादसे के लिए पायलट की थकान और उसकी गलती को जिम्मेदार माना गया.
तस्वीर: AP
राष्ट्रपति की मौत (10.04.2010)
रूस के स्मोलेस्क शहर के बाहर हुए हवाई हादसे में पोलैंड के राष्ट्रपति लेख काजिंस्की समेत 96 लोगों की मौत हो गई. विमान पोलैंड की वायु सेना का था. बदत्तर मौसम की वजह से पायलट विमान उतारना नहीं चाहते थे, लेकिन विमान में सवार अधिकारियों ने लैंडिंग का दबाव डाला.
तस्वीर: AP
यमेनिया (30.06.2009)
यमन की राजधानी सना से कोमोरोस आइलैंड के निकला एयरबस का विमान हिंद महासागर में क्रैश हुआ. हादसे में 153 लोग मारे गए. राहतकर्मियों को 13 घंटे बाद तैरते मलबे पर बैठी एक 12 साल की बच्ची जिंदा मिली. हादसे के लिए पायलट के जोखिम भरी कलाबाजियों को जिम्मेदार ठहराया गया.
तस्वीर: AP
एयर फ्रांस (01.06.2009)
ब्राजील के शहर रियो डे जेनेरो से पेरिस के लिए उड़ा एयर फ्रांस का एयरबस विमान अटलांटिक महासागर के ऊपर लापता हो गया. कई घंटे बाद पता चला कि विमान महासागर में क्रैश हुआ है. विमान में सवार सभी 228 लोग मारे गए. हादसे के लिए सेंसरों की गड़बड़ी और नए पायलट की अनुभवहीनता को जिम्मेदार माना गया.