बदबूदार फल से मोबाइल चार्ज और मकड़ी के जाले से लेंस
२८ दिसम्बर २०२०![Australien Spinnenwebe nach Überflutungen in Wagga Wagga (2012)](https://static.dw.com/image/45493103_800.webp)
जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता को हो रहे नुकसान के कारण प्रकृति पर खाने से लेकर सांस लेने वाली हवा तक के लिए हमारी निर्भरता का तेजी से पता चल रहा है. प्रकृति के पास ही हमारी दूसरी समस्याओं का भी समाधान है. वैज्ञानिकों को समाधान के अप्रत्याशित तरीके ढूंढने के लिए प्रेरणा मिल रही है. अब बदबूदार छोटा सा फल दूरियन इलेक्ट्रिक कारों को चार्ज कर सकता है तो समुद्री स्पंज बेहतर अंतरिक्षयान बनाने में भी काम आ सकते हैं.
ततैया से सीख कर बनी सुई
बिना ज्यादा चीरफाड़ किए ट्यूमर और खून के थक्कों को निकालना अब और भी आसान हो जाएगा. एक ऐसी सुई की खोज हुई है जिसकी प्रेरणा परजीवी ततैया से मिली है. ये कीट अपने अंडे कैटरपिलर जैसे परपोसियों में एक खोखली सुई की मदद से डाल देते हैं. इस सुई का नाम है ओविपोसिटर. नीदरलैंड की डेल्फ्ट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने ओविपोसिटर की यांत्रिकी का अध्ययन किया तो देखा कि उसमें ब्लेड बारी बारी से ऊपर और नीचे जाते हैं. इससे पैदा हुआ घर्षण अंडों को आगे धकेलता है. इसकी मदद से रिसर्चरों ने ऐसी सुई डिजाइन की है जिसमें ओविपोसिटर की तरह ही स्लाइडिंग रॉड लगे हैं. उनका कहना है कि यह सुई शरीर के अंदरूनी हिस्सों तक पहुंच कर वहां से नुकसानदेह संरचनाओं को बाहर निकालने और दवाइयों को वहां तक पहुंचाने में कारगर है. इससे मरीज को कम तकलीफ होगी और वह जल्दी से ठीक भी हो सकेंगे. अब ये किसने सोचा था कि कैटरपिलर परपोसी को अंदर ही अंदर खाने वाले ततैया के परजीवी लार्वा से सीख कर ऐसी सुई भी बनाई जा सकेगी.
मकड़े के जाल से लेंस
मकड़े अपने जाले से हर तरह के कीटों को फांस लेते हैं, अब इंसान इन्हीं जालों का इस्तेमाल कर ऐसे ऑप्टिकल लेंस बना रहा है जो इंसान की नंगी आंखों से नहीं दिखने वाले वायरसों की तस्वीर ले सकेंगे. जर्नल ऑफ अप्लायड साइंस में जून में प्रकाशित एक रिसर्च रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने बताया कि उन्होंने नर मकड़े के पैर से निकलने वाले जालों की मदद से लेंसों के लिए सपोर्ट तैयार किया है.
प्रयोगों के दौरान वैज्ञानिकों ने मकड़े के जालों को मोम से ढंक दिया और फिर इस पर राल उड़ेल दिया. जब यह गाढ़ा हुआ तो स्वाभाविक रूप से जालों ने गुंबदों की शक्ल ले ली. फिर रिसर्चरों ने इसे अल्ट्रावॉयलेट अवन में पका लिया. इससे तैयार हुआ ऑप्टिकल लेंस लाल रक्त कोशिका के आकार का है, इसका इस्तेमाल वायरस या किसी जैव ऊतक के भीतरी हिस्से की तस्वीर लेने में हो सकता है. यह पूरी तरह से प्राकृतिक है और जहरीला भी नहीं है, इसलिए इसे शरीर के भीतर भी आराम से इस्तेमाल किया जा सकता है.
समुद्री स्पंज से अंतरिक्षयान
प्रशांत महासागर की गहराई में एक बेहद जालीदार समुद्री स्पंज मिलता है जिसे वीनस नाम दिया गया है. यह मजबूत गगनचुंबी इमारतों, लंबें पुलों और हल्के अंतरिक्षयान बनाने में काफी मददगार है. नेचर मटीरियल्स की सितंबर में प्रकाशित एक रिसर्च रिपोर्ट में यह दावा किया गया है.
स्पंज का इस्तेमाल इमारतों और पुलों में तो कई सदियों से हो रहा है लेकिन वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि वीनस स्ंपज की नलीदार अस्थियां इसे पारंपरिक स्पंज के मुकाबले वजन के अनुपात में ज्यादा ताकतवर बनाती हैं. हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक और रिसर्च रिपोर्ट के सहलेखक जेम्स वीवर का कहना है, "हम स्पंज के कंकाल तंत्र में उसकी संरचना और काम के बीच संबंध का 20 से ज्यादा साल से अध्ययन कर रहे हैं और यह प्रजाति हमें लगातात हैरान कर रही है."
दूरियन से सेकेंडों में मोबाइल चार्ज
कुछ लोगों के लिए दूरियन रसदार और स्वादिष्ट हैं तो कुछ लोगों के लिए इतने बदबूदार कि उन्हें दक्षिण एशिया के होटलों में प्रतिबंधित कर दिया है. हालांकि दूरियन का फल अब अपने मशहूर होने की कुछ और वजहें सामने लाया है. यह मोबाइल फोन और इलेक्ट्रिक कारों को चार्ज कर सकता है.
फरवरी में जर्नल ऑफ इनर्जी स्टोरेज में छपी एक रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने ब्यौरा दिया कि कैसे उन्होंने इस फल से मिलने वाले एक बेहद हल्का और छिद्रित मटीरियल बनाने में कामयाबी हासिल की है. इसे एयरोजेल्स कहा जाता है. सिडनी यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर विंसेंट गोम्स के मुताबिक एयरोजेल "ग्रेट सुपर- कैपेसिटर" जो ऊर्जा के भंडार के रूप में उसे रखने और फिर बांटने का काम कर सकते हैं. गोम्स ने बताया, "सुपर कैपेसिटर छोटे आकार की बैटरी में भी बड़ी मात्रा में और वो भी बेहद कम समय में ऊर्जा का भंडार जमा कर सकती हैं." यह ऊर्जा मोबाइल फोन, टेबलेट और लैपटॉप को कुछ ही सेकेंड के भीतर चार्ज कर सकती है.
और मजबूत होगा बांस
कार, विमान और इमारतें आमतौर पर स्टील, कंक्रीट या ईंटों से बनते हैं. हाल ही में निर्माण के क्षेत्र में बांस ने लोगों का ध्यान खींचा है लेकिन क्या यह इतना ताकतवर है. एसीएस नैनो के मई अंक में प्रकाशित एक रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्हें इसका जवाब मिल गया है. वैज्ञानिकों के मुताबिक बांस में से आंशिक रूप से लिग्निन को हटा कर और इसे माक्रोवेव में पकाकर इसकी मजबूती को दोगुना किया जा सकता है. लिग्निन एक कार्बनिक पदार्थ है जो लकड़ी के ऊतक तैयार करता है.
बांस का इस्तेमाल पहले ही मकान और पुलों को बनाने में होता रहा है लेकिन इस नई खोज से इसकी लोकप्रियता और बढ़ जाएगी. हल्का, तेजी से बढ़ने वाला मजबूत बांस, प्रदूषण फैलाने वाली चीजों का एक टिकाऊ विकल्प बन सकता है.
हमारे आस पास से लेकर समंदर की गहराइयों तक प्रकृति में ऐसी कई चीजें हैं जो हमारी रोजमर्रा या दीर्घकालीन जरूरतों को पूरा करने का जरिया बन सकती हैं. जरूरत है तो प्रकृति को और जानने और समाधान ढूंढने पर थोड़ी मेहनत करने की.
एनआर/एके(एएफपी)
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