9 जनवरी 2015 को सऊदी अरब के ब्लॉगर रइफ बदावी को इस्लाम के अपमान के आरोप में सार्वजनिक रूप से 50 कोड़े मारे गए. सऊदी अरब की सर्वोच्च अदालत ने उन्हें 10 साल कैद और 1,000 कोड़े की सजा के अलावा 2,66,000 डॉलर के जुर्माने की सख्त सजा बरकरार रखी है. 11 सितंबर को डीडब्ल्यू की ओर से बदावी को दिए गए फ्रीडम ऑफ स्पीच पुरस्कार को ग्रहण करने के लिए उनकी पत्नी इंसाफ हैदर जर्मनी पहुंची.
#FreeRaif के साथ पूरा विश्व बदावी को मुक्त कराने के अभियान में लगा है.
इंटरनेट ने समाज को लोकतांत्रिक बनाने का काम किया है और ब्लॉगरों ने लोकतांत्रिक बहस को नई दिशा दी है. लेकिन आलोचना सरकारों को रास नहीं आ रही है और ब्लॉगरों को हर कहीं दमन का शिकार बनाया जा रहा है.
तस्वीर: DW/H. Kieselसउदी ब्लॉगर रइफ बदावी को इस्लाम के कथित अपमान के लिए सुनाई गई 1,000 कोड़ों की सजा जनता में शासन का डर बनाए रखने का एक क्रूर तरीका है. मई 2014 में सुनाई गई सजा को बरकरार रखते हुए सउदी कोर्ट ने बदावी को हर हफ्ते सार्वजनिक रूप से 50 कोड़े मारे जाने के अलावा 10 साल की जेल की सजा भी सुनाई है.
तस्वीर: privatपहली बार जनवरी 2015 में बदावी को जेद्दाह में सार्वजनिक रूप से 50 कोड़े मारे गए. इसके विरोध में नीदरलैंड्स के द हेग में प्रदर्शन हुए. दुनिया भर में सजा का विरोध हुआ. अब इस सजा के खिलाफ किसी कोर्ट में अपील करना संभव नहीं है. अब केवल सउदी किंग सलमान बिन अब्दुलअजीज ही 31 साल के बदावी को क्षमादान दे सकते हैं.
तस्वीर: Beekman/AFP/Getty Imagesब्लॉगर रइफ बदावी 2012 से सउदी अरब में कैद हैं. उनकी वेबसाइट को बंद कर दिया गया है. बदावी पर धर्मनिरपेक्षता की तारीफ करने का आरोप है.
तस्वीर: Beekman/AFP/Getty Imagesबदावी की सजा के खिलाफ मॉन्ट्रियल में हुए प्रदर्शन में उनकी पत्नी इंसाफ हैदर ने भी भाग लिया. उन्होंने कोड़ों की सजा की तुलना मुस्लिम आतंकवादियों के हमलों से की.
तस्वीर: picture alliance/empicsबदावी अपने इंटरनेट पेज पर सउदी अरब में वहाबी इस्लाम का कड़ाई का पालन करवाने के लिए धार्मिक पुलिस की नियमित रूप से आलोचना करते थे. एमनेस्टी इंटरनेशनल सजा के खिलाफ अभियान चला रहा है.
तस्वीर: DW/A.-S. Philippiईरान के सोहैल अराबी को फेसबुक पर टिप्पणियों के लिए इमामों के अपमान का आरोप लगाकर सजा दी गई है. वे अभी भी जेल में हैं.
तस्वीर: Privatबांग्लादेश के रसेल परवेज ने भौतिकी की पढ़ाई कर देश में धार्मिक मान्यताओं को चुनौती देने की कोशिश की. ईशनिंदा के आरोप में उन्हें जेल की सजा मिली.
तस्वीर: Sharat Choudhuryमिस्र के प्रमुख ब्लॉगर अला अब्देल फतह पिछले साल एक मुकदमे के दौरान अदालत के पिंजड़े में. उन पर देश के विरोध प्रदर्शन कानून को तोड़ने के लिए मुकदमा चलाया गया.
तस्वीर: picture-alliance/AP/Ravy Shakerब्लॉगरों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के साथ ऐसा बर्ताव सिर्फ इस्लामी देशों में ही नहीं होता. पुतिन विरोधी अलेक्सी नवाल्नी को भी सरकार की ताकत का दंश झेलना पड़ा है.
तस्वीर: Reuters/Tatyana Makeyeva 31 साल के बदावी को यूरोपीय संसद द्वारा दिए जाने वाले सम्मानीय साखारोव मानवाधिकार पुरस्कार के लिए भी नामांकित किया गया है. बदावी के अलावा रूस के विपक्ष के नेता रहे बोरिस नेमत्सोव भी हैं, जिनकी हत्या कर दी गई. यह पुरस्कार हर साल उन व्यक्तियों को दिया जाता है जिन्होंने असहिष्णुता, कट्टरपंथ और उत्पीड़न को रोकने की दिशा में काम किया हो.
यूरोपीय संसद ने वदावी की सजा के खिलाफ बयान दिया, "मृत्युदंड को स्वीकार नहीं किया जा सकता और यह मानव गरिमा के विरुद्ध है." बदावी के पत्नी इंसाफ हैदर दुनिया भर में बदावी को आजाद कराने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बरकरार रखने के लिए अभियान चला रही हैं.
डीडब्ल्यू के फ्रीडम ऑफ स्पीच अवार्ड को स्वीकार करते हुए इंसाफ हैदर ने जर्मनी से मिले सहयोग के लिए आभार जताया. यूरोप का प्रतिष्ठित साखारोव मानवाधिकार पुरस्कार इसके पहले पाकिस्तान की मलाला युसुफजई, दक्षिण अफ्रीकी नेता स्वर्गीय नेल्सन मंडेला और म्यांमार की आंग सान सू ची को दिया जा चुका है. 50,000 यूरो के इस पुरस्कार के विजेता की घोषणा अक्टूबर में होगी.
आरआर/आईबी (एएफपी)