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समाज

बनारस में खुला कचरा बैंक, पैसों से भरेगा आपकी जेब

५ अप्रैल २०२१

वाराणसी में पयार्वारण को साफ रखने के लिए एक अनोखा बैंक खुला है. इसमें प्लास्टिक के कचरे से लेन-देन होता है.

Indien Plastikmüll in Varanasi
तस्वीर: IANS

वाराणसी में मलदहिया स्थित यह बैंक अपने आप में अनोखा बैंक है . इस बैंक का नाम 'प्लास्टिक वेस्ट बैंक' है. यह प्लास्टिक शहर के लोग, प्लास्टिक वेस्ट बैंक के वॉलिंटियर, उपभोक्ता यहां लाकर जमा करते हैं. प्लास्टिक कम है तो उसे उस प्लास्टिक के कचरे के बदले कपड़े का झोला या फेस मास्क दिया जाता है. प्लास्टिक अधिक मात्रा में लाने पर वजन अनुसार पैसे दिए जाते है. यह बैंक कचरे के बदले लोगों की जेब भरने में सहायक हो रहा है.

तस्वीर: IANS

नगर आयुक्त गौरांग राठी के अनुसार पीपीई मॉडल पर केजीएन और यूएनडीपी काम कर रही है. दस मीट्रिक टन का प्लांट आशापुर में लगा है. करीब 150 सफाई मित्र काम कर रहे हैं. पॉलीथीन शहर में बंद है, टेट्रा पैक और पानी की बोतलें चलन में है जिसका निस्तारण इसे रिसाइकिल करके किया जा रहा है.

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केजीएन कंपनी के निदेशक साबिर अली ने बताया कि एक किलो पॉलीथिन के बदले 6 रूपये दिए जाते है, जो आठ से दस रूपये किलो बिकता है. शहर से रोजाना करीब दो टन पॉलीथीन कचरा एकत्र होता है. इसके अलावा 25 रुपये किलो पीईटी यानी इस्तेमाल की हुई पीने के पानी की बोतल खरीदी जाती है. प्रोसेसिंग के बाद यह करीब 32 -38 रुपये किलो बिकता है.

तस्वीर: IANS

उन्होंने बताया कि किचन में इस्तेमाल होने वाला प्लास्टिक बाल्टी, डिब्बे, मग आदि यानी पीपी, एलडीपी 10 रुपये किलो में खरीदा जाता है जो चार से पांच रुपये की बचत करके बिक जाता है. कार्डबोर्ड आदि रीसाइकिल होने वाला कचरा भी बैंक लेता है. इस बैंक में जमा प्लास्टिक के कचरे को आशापुर स्थित प्लांट पर जमा किया जाता है. प्लास्टिक के कचरे को प्रेशर मशीने से दबाया जाता है.

तस्वीर: IANS

प्लास्टिक को अलग किया जाता है जिनमें पीइटी बोतल को हाइड्रोलिक बैलिंग मशीन से दबाकर बंडल बनाकर आगे के प्रोसेस के लिए भेजा जाता है. अन्य प्लास्टिक कचरे को अलग करके उनको भी रीसाईकल करने भेज दिया जाता है. फिर इसे कानपुर समेत दूसरी जगहों पर भेजा जाता है, जहां मशीन द्वारा प्लास्टिक के कचरे से प्लास्टिक की पाइप, पॉलिएस्टर के धागे, जूते के फीते और अन्य सामग्री बनाई जाएगी. प्लास्टिक के कचरे को निस्तारण के लिए इस बैंक का निर्माण हुआ है .

तस्वीर: IANS

महामना मालवीय गंगा शोध केंद्र बीएचयू के चेयरमैन वीडी त्रिपाठी ने बताया कि पॉलीथीन जलाने पर कार्बन के मॉलिक्यूल छोटे और हल्के होते हैं, जो नाक के अंदर घुस जाते हैं. उससे मनुष्य की सांस लेने की क्षमता कम हो जाती है. प्लास्टिक गलता भी नहीं है. इसे रिसाइकिल किया जाता है. यह जल या खाने में निगलने पर जीव का पेट फूल जाता है. उसकी मौत हो जाती है. सड़क में फेंकने से गाय व अन्य जानवर भी खाने से उनके लिए नुकसानदायक है. ऐसे बैंक बनने से एक तरफ पर्यावरण की रक्षा होगी तो वहीं लोगों को रोजगार भी मिलेगा.

आईएएनएस/आईबी

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