बयान से पलटी मार गए मुशर्रफ़
१७ सितम्बर २००९लंबे वक्त से पाकिस्तान से बाहर रह रहे मुशर्रफ़ ने अमेरिकी राज्य फ़िलाडेलफ़िया में एक बयान जारी कर कहा कि उन्होंने अमेरिका से मिलने वाली मदद में कभी समझौते से विश्वासघात नहीं किया. वह इन दिनों एक लेक्चर के सिलसिले में अमेरिका में हैं.
बयान में उन्होंने कहा, "जहां तक फ़ौज को सैनिक साजोसामान मिलने की बात है, उन्हें वहीं तैनात किया गया, जहां फ़ौज की यूनिट तैनात थीं. अमेरिका को भी पता था कि हम क्या कर रहे हैं."
उन्होंने तीन दिन पहले पाकिस्तान के एक टेलीविज़न को दिए इंटरव्यू में कहा था कि उनके राष्ट्रपति काल में आतंकवाद के ख़िलाफ़ युद्ध के लिए अमेरिकी सहायता को भारत के ख़िलाफ़ रक्षा के लिए इस्तेमाल किया गया था. मुशर्रफ़ ने यह भी कहा था कि उन्हें इस बात की परवाह नहीं थी कि क्या इस क़दम से अमेरिका नाराज़ तो नहीं हो जाएगा.
अब जारी अपने बयान में मुशर्रफ़ ने कहा, "आतंकवाद से लड़ने के लिए मिली अमेरिकी सहायता के बारे में इस इंटरव्यू में कोई सवाल ही नहीं पूछा गया था. मैंने कभी नहीं कहा है कि पाकिस्तान ने कभी किसी समझौते का उल्लंघन किया."
मुशर्रफ़ के बयान से काफ़ी विवाद मचा है और अमेरिका ने कहा है कि वह इस मामले को बेहद गंभीरता से ले रहा है. हालांकि उसने यह नहीं बताया कि क्या इस मामले की जांच की जाएगी.
न्यू यॉर्क पर 9/11 की आतंकवादी घटना के बाद पाकिस्तान ने आतंकवाद के ख़िलाफ़ युद्ध में अमेरिका का साथ देने का फ़ैसला किया था. उस वक्त परवेज़ मुशर्रफ़ ही राष्ट्रपति थे. इसके बाद से अमेरिका ने आतंकवाद के ख़िलाफ़ युद्ध के लिए पाकिस्तान को सात अरब डॉलर से ज़्यादा की मदद की है.
मुशर्रफ़ की सफ़ाई ऐसे दिन आई है, जब पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने आरोप लगाया है कि ऐसे बयान देकर मुशर्रफ़ राष्ट्र को नुक़सान पहुंचा रहे हैं. क़ुरैशी ने कहा, "अगर मुशर्रफ़ ने वह कहा है, जो अख़बारों में छपा है, तो वह राष्ट्र की कोई सेवा नहीं कर रहे हैं. अगर उन्होंने ऐसा कहा है तो वह पाकिस्तान को मज़बूत करने का काम नहीं कर रहे हैं."
मुशर्रफ़ के बयान के बाद भारत ने कहा था कि उसे इस बात से कोई ताज्जुब नहीं हुआ क्योंकि वह तो बहुत पहले से यह बात कहता आया है. भारत के विदेश मंत्री शशि थरूर ने कहा था कि भारत हमेशा से इस बात पर चिंता जताता आया है कि अमेरिका से मिलने वाली सहायता का पाकिस्तान ग़लत इस्तेमाल कर रहा है.
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ का तख़्ता पलट करने के बाद परवेज़ मुशर्रफ़ पाकिस्तान के राष्ट्रपति बने थे और लगभग नौ साल बाद पिछले साल 2008 में उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया था.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल
संपादनः एम गोपालाकृष्णन