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बर्ड फ्लू पर रिसर्च से जैविक हमले का खतरा

२१ दिसम्बर २०११

बर्ड फ्लू को समझने के लिए मानव निर्मित वायरस तैयार हो गया है. लेकिन यह खुशी से ज्यादा चिंता लेकर आया है. अमेरिका को डर है कि कहीं आतंकवादी इसका जैविक हथियार के तौर पर इस्तेमाल न कर बैठें.

तस्वीर: AP

दुनिया की दो मशहूर विज्ञान पत्रिकाओं साइंस और नेचर से कहा गया है कि वे इस रिसर्च से जुड़े आंकड़ों को जारी न करें. अमेरिकी सरकार की विज्ञान सलाहकार समिति ने डर जताया है कि इस रिसर्च से जुड़े अहम तथ्य सामने आने के बाद आतंकवादी संस्थाएं इसका इस्तेमाल जैविक हथियार के तौर पर कर सकती हैं, जिससे लाखों लाख लोगों की जान जा सकती है.

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नेशनल साइंस एडवाइजरी बोर्ड फॉर बायोसिक्योरिटी (एनएसएबीबी) ने इस रिसर्च से जुड़े दो रिपोर्टों को देखने के बाद यह फैसला किया है. बोर्ड ने दोनों पत्रिकाओं से कहा है कि इस रिसर्च के मूल रिपोर्ट में बदलाव करें. बयान जारी कर कहा गया है, "सार्वजनिक स्वास्थ्य और रिसर्च समुदाय के लिए इस रिसर्च की रिपोर्ट की महत्ता को देखते हुए एनएसएबीबी सिफारिश करती है कि इस रिपोर्ट की मुख्य बातों को तो प्रकाशित किया जाए, लेकिन इसे तैयार करने के बारे में जानकारी न छापी जाए. ताकि इसका इस्तेमाल वे लोग न कर सकें, जो इससे किसी तरह का नुकसान पहुंचा सकते हैं."

यह वायरस एक एच5एन1 वायरस (बर्ड फ्लू का वायरस) है, जिसे नीदरलैंड्स के एक प्रयोगशाला में तैयार किया गया है और यह मवेशियों में बड़ी तेजी से फैलता है. इसका मतलब है कि यह मानव में भी तेजी से फैल सकता है और अगर इसे प्रकृति में छोड़ दिया जाए, तो मानव के लिए यह महामारी बन सकता है. विशेषज्ञों की राय है कि अगर आतंकवादी इसका इस्तेमाल करने में सफल हो गए, तो अनर्थ हो सकता है.

एच5एन1 वायरस बेहद जानलेवा होता है और इससे संक्रमित होने के बाद 60 फीसदी मामलों में जान जाने का खतरा रहता है. फिर भी इस बीमारी से सिर्फ 350 लोगों के मारे जाने की रिपोर्ट है क्योंकि यह मनुष्य से मनुष्य में संक्रमित नहीं होता. साइंस और नेचर पत्रिका के संपादकों ने कहा है कि वह अमेरिकी सरकार की गुजारिश पर विचार कर रहे हैं.

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साइंस के प्रमुख संपादक ब्रूस अल्बर्ट्स ने एक बयान जारी कर कहा, "एनएसएबीबी के इस अनुरोध को साइंस पत्रिका बेहद गंभीरता से ले रही है. वह इसके खतरे को समझ रही है लेकिन साथ ही यह भी सोच रही है कि एक बेहद महत्वपूर्ण रिसर्च के नतीजों को क्या दूसरे रिसर्चरों तक पहुंचने से रोका जाए." अल्बर्ट्स का कहना है कि इस नई रिसर्च से वैज्ञानिकों को काफी फायदा पहुंच सकता है, जिन्हें इंफ्लूएंजा और दूसरी मिलती जुलती बीमारियों के इलाज में काफी मदद मिल सकती है.

दूसरी तरफ नेचर के प्रमुख संपादक फिलिप कैम्पबेल ने कहा कि वह एक रिपोर्ट को छापना चाहते हैं और इसके रिसर्चरों के संपर्क में हैं. उन्होंने एक बयान जारी कर कहा, "हमें एनएसएबीबी की ऐसी सिफारिश मिली है, जो पहले कभी नहीं मिली थी. हम उस पर विचार कर रहे हैं. विज्ञान समुदाय के लिए यह जरूरी है कि बर्ड फ्लू पर किया गया कोई भी रिसर्च दूसरे रिसर्चरों के पास जाए. अब हम इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि इससे जुड़े आंकड़े जरूरी जगहों पर कैसे पहुंचाए जा सकते हैं."

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नीदरलैंड्स की टीम ने रॉटरडम में यह प्रयोग किया है. टीम ने अपनी रिसर्च के बाद सितंबर में ही कह दिया था कि उन्होंने ऐसा कृत्रिम एच5एन1 वायरस तैयार कर लिया है, जो स्तनधारियों में बड़ी तेजी से फैल सकता है. इस टीम में शामिल रॉन फॉशियर ने कहा कि उन्हें लगता है कि यह वायरस मनुष्यों में और तेजी से फैल सकता है.

एनएसएबीबी के प्रमुख पॉल काइम भी एक जीव विज्ञानी हैं. वह कह चुके हैं कि मानव निर्मित वायरस से ज्यादा खतरनाक कोई चीज नहीं हो सकती.

रिपोर्टः एएफपी, रॉयटर्स/ए जमाल

संपादनः महेश झा

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