एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि मौसम में एक विशेष बदलाव की वजह से ग्रीनलैंड में गर्मी और अंधेरा बढ़ रहा है. इसके लिए बर्फबारी में बदलाव जिम्मेदार है. ताजा बर्फ ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर से दूर गिर रही है.
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अध्ययन में कहा गया है कि ताजा, हलके रंग की बर्फ की मात्रा कम होने से ज्यादा पुरानी और गहरे रंग की बर्फ सतह पर आ जाती है. ऐसा होने से बर्फ की चादर और ज्यादा गर्मी सोखती है और ज्यादा जल्दी पिघलती है. जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में छपे इस अध्ययन के सह-लेखक एरिक ऑस्टरबर्ग कहते हैं, "जैसे जैसे बर्फ घंटों और दिनों पुरानी होती जाती है उसकी परावर्तन (रिफ्लेक्शन) करने की क्षमता घटती जाती है और इसी वजह से ताजा बर्फ बहुत जरूरी होती है."
ऑस्टरबर्ग डार्टमाउथ कॉलेज में पृथ्वी विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर हैं. उन्होंने और उनके सहयोगियों ने बर्फबारी में गिरावट के लिए "अटमॉस्फेयरिक ब्लॉकिंग" नाम की एक मौसमीय घटना को जिम्मेदार बताया, जिसमें कई बार बर्फ की चादरों पर हवा का ज्यादा दबाव हफ्तों तक बना रहता है. इस तरह के हालात इस इलाके में 1990 के दशक की बाद से ज्यादा देखने को मिल रहे हैं.
इनसे पश्चिमी ग्रीनलैंड के ऊपर गर्म हवा रुक जाती है, रोशनी को रोकने वाले बादलों का घनत्व कम हो जाता है और बर्फीले तूफान उत्तर की तरफ धकेल दिए जाते हैं. ऑस्टरबर्ग कहते हैं कि इसका नतीजा होता है एक "तिहरी मार. ये सब मिल कर ग्रीनलैंड के और तेजी से पिघलने में योगदान देते हैं." कुछ शोधों में इन घटनाओं का इंसानी गतिविधियों की वजह से हो रहे जलवायु परिवर्तन से संबंध बताया गया है, लेकिन ऑस्टरबर्ग ने कहा कि ऐसा क्यों हो रहा है यह जानने के लिए और अध्ययन की जरूरत है.
नई बर्फ बनाम पुरानी बर्फ
उन्होंने एक ईमेल में बताया, "अटमॉस्फेयरिक ब्लॉकिंग" ग्रीनलैंड के लिए कितनी जरूरी है इस बात को ध्यान में रखते हुए मुझे लगता है कि इस पर शोध जरूरी है ताकि हम भविष्य में समुद्र स्तर के बढ़ने को लेकर अपने पूर्वानुमान को और सुधार सकें." अध्ययन के सह-लेखक गेब्रियल लुईस ने इसमें यह भी जोड़ा कि तापमान के बढ़ने की वजह सिर्फ बर्फबारी में कमी होना ही नहीं है, बल्कि दूसरे किस्म की बर्फ का बाकी रह जाना भी है.
उन्होंने कहा, "एक बार बर्फ जब गिरने के बाद धूप में बर्फ की चादर पर बैठ जाती है, तब उसका आकार बदलने लगता है और समय के साथ बर्फ के दाने और बड़े होते जाते हैं."यह बर्फ नई, क्रिस्टल के आकार की बर्फ के मुकाबले और गोल और कम परावर्तन करने वाली बन जाती है. इस टीम के मुताबिक, ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर की परावर्तन की क्षमता में अगर एक प्रतिशत का भी बदलाव आया तो उससे तीन सालों में 25 गीगाटन अतिरिक्त बर्फ नष्ट हो जाएगी.
इस अध्ययन में हवाला दिए गए शोध के मुताबिक 1982 से ले कर आज तक ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर करीब 2.7 डिग्री सेल्सियस गर्म हुई है और यह महाद्वीप कम से कम पिछले 450 सालों में बर्फ के पिघलने की सबसे तेज दरों का सामना कर रहा है.
सीके/एए (एएफपी)
जानिए ग्रीनलैंड के बारे में, जिसे खरीदना चाहते हैं ट्रंप
ग्रीनलैंड का ज्यादातर हिस्सा बर्फ से ढका हुआ है.आबादी काफी कम है. डेनमार्क और ग्रीनलैंड हमेशा से कहते रहे हैं कि यह क्षेत्र बिक्री का नहीं है. बावजूद इसके अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप इसे खरीदना चाहते हैं.
तस्वीर: Imago Images/UIG
कई सारे रिकॉर्ड
ग्रीनलैंड के पास कई वर्ल्ड रिकॉर्ड हैं. यह दुनिया का सबसे बड़ा द्वीप है. यह पृथ्वी पर सबसे कम जनसंख्या घनत्व वाला क्षेत्र है. अंटार्कटिका के बाद सिर्फ ग्रीनलैंड ही ऐसा क्षेत्र है जहां हमेशा बर्फ की चादर बिछी रहती है. इसके 56,000 निवासियों में से अधिकांश इनुइट हैं. ये उन लोगों के वंशज हैं जो 13 वीं शताब्दी में कनाडा से यहां आए थे.
तस्वीर: Imago Images/UIG
अपना शासन
ग्रीनलैंड को 1979 में डेनमार्क ने स्व-शासन का अधिकार दिया था. 2008 में ग्रीनलैंडर्स ने एक ऐसे अधिनियम के पक्ष में मतदान किया जिसने उनकी सरकार को और भी अधिक शक्ति दी. डेनिश क्षेत्र होने से पहले, ग्रीनलैंड नॉर्वे के अधीन रहा है. 1499 में कुछ समय के लिए पुर्तगालियों ने भी इस पर नियंत्रण का दावा किया.
तस्वीर: Reuters/L. Jackson
संता का मेलबॉक्स
राजधानी नुक में ग्रीनलैंड की एक तिहाई आबादी रहती है. तस्वीर में आपको 'संता का मेलबॉक्स' दिख रहा है. संत निकोलस के नाम से हजारों पत्र हर साल क्रिसमस के आसपास यहां पहुंचते थे. कुछ कार्यकर्ता बच्चों की चिट्ठियों का हाथ से लिखे पत्रों के जरिए जवाब भी देते थे. हालांकि 2018 में 'मेलबॉक्स' को बंद कर दिया गया.
तस्वीर: picture-alliance/Chromorange/T. Wenning
पिघलती बर्फ
ग्रीनलैंड के लोगों ने ही सबसे पहली बार जलवायु परिवर्तन के असर को महसूस किया. समुद्र के बढ़ते जल स्तर के साथ साथ आर्कटिक की पिघतली बर्फ ने उन्हें जलवायु में बदलाव का अहसास कराया. हाल के दिनों में वैज्ञानिकों ने इस द्वीप पर एक बड़े पैमाने पर बर्फ पिघलने की घटना दर्ज की, जिसके बारे में भविष्यवाणी की गई थी कि ऐसा 2070 तक नहीं होगा.
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कस्तूरी बैल के बारे में आगाह
ग्रीनलैंड में एक संकेत पर्यटकों को कस्तूरी बैल के बारे में आगाह करता है. ये तीव्र गंध के लिए प्रसिद्ध हैं. वे सिर्फ ग्रीनलैंड, उत्तरी कनाडा और अलास्का में पाए जाते हैं. सदियों से अंधाधुंध शिकार की वजह से इनकी आबादी कम हो गई थी लेकिन अब शिकार पर रोक लगा दी गई है. इस वजह से ये फिर से नजर आने लगे हैं.
तस्वीर: DW/Irene Quaile
प्रत्येक साल मारी जाती है हजारों सील मछली
ग्रीनलैंड की अर्थव्यवस्था बहुत हद तक मछली उद्योग पर निर्भर है. मछली पकड़ने का एक विवादास्पद तरीका सील मछली का शिकार है, जिसकी इजाजत अभी भी है. बर्फ की चादर पर बैठी सीलों को गोलीमार इसका शिकार किया जाता है. वैश्विक स्तर पर इस बात को माना गया है कि हत्या की वजह से सील प्रजाति ही विलुप्त हो सकती है लेकिन देश के कुछ लोग अपनी आजीविका के लिए पूरी तरह से सील के शिकार पर निर्भर हैं.
तस्वीर: Inuit Sila
वैकल्पिक परिवहन
ग्रीनलैंड के कुछ इलाकों में रोड नहीं हैं. बर्फ पर चलने वाली गाड़ियां काफी महंगी होती है. ऐसे में, ग्रामीण एक गांव से दूसरे गांव या समुंद्र तक जाने के लिए कुत्तों की गाड़ियां का इस्तेमाल करते हैं.
तस्वीर: Henry Tenenbaum
ट्रंप ने जताई खरीदने में दिलचस्पी
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने रविवार को एक बार फिर से पुष्टि किया कि उनका प्रशासन डेनमार्क से ग्रीनलैंड को खरीदने की सभी संभावनाओं को देख रहा है. उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र रणनीतिक रूप से काफी दिलचस्प है.