इराक में चार साल बाद फिर शुरु हुई रेल सेवा हजारों यात्रियों को पश्चिम में बसे फालुजा शहर से बगदाद तक की यात्रा कराएगी. इस्लामिक स्टेट ने बारूदी सुरंगों से उड़ा कर यह सेवा ठप कर दी थी.
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बगदाद के इस बड़े से मगर आधे खाली रेलवे स्टेशन पर एक ट्रेन फिर से शुरु हो रही है. ये ट्रेन बगदाद से इराक के पश्चिमी शहर फालुजा तक जाएगी. एक वक्त पर सुन्नी विद्रोहियों का गढ़ माने जाने वाले फालुजा में यह ट्रेन सेवा चार साल बाद शुरु हुई है.
ट्रेन के ड्राइवर और कंडक्टर आश्वासन देते हैं कि इस रास्ते की वे रेल पटरियां और पुल अब सुरक्षित हैं, जिन्हें कभी इस्लामिक स्टेट ने बारूदी सुरंगें बिछा कर उड़ा दिया था. 2014 के हमलों में यहां बहुत बर्बादी मचाने वाले आतंकियों को 2016 में अमेरिका समर्थित इराकी सेनाओं ने फालुजा से मार भगाया और फिर साल 2017 में पूरे इराक में उनको हरा दिया था. चार साल की रुकावट के बाद अब हजारों रेल यात्री राजधानी बगदाद से फालुजा का 50 किलोमीटर लंबा रास्ता एक घंटे से भी कम समय में तय कर पाएंगे. सड़क के रास्ते यह दूरी तय करने में कई घंटे लगते हैं.
इस रेल पर यात्रा करने वाले थामेर मोहम्मद ने बताया, "ट्रेन से सफर करने में समय और पैसा दोनों बचता है. बगदाद जाने वाली ट्रेन सुबह 8 बजे आ जाती है जो मेरे लिये ठीक है." 42 वर्षीय थामेर मोहम्मद फालुजा निवासी हैं और बगदाद में इतिहास विषय में डॉक्टरेट कि पड़ाई कर रहे हैं. वे कहते हैं, "आपको चेक-पॉइंट्स पर रुकने की जरूरत नहीं है और ये सुरक्षित भी है. आप सड़क दुर्घटनाओं से भी बच जाते हैं."
यह रेल सेवा ओटोमन साम्राज्य के समय के लंबे-चौड़े रेल नेटवर्क का हिस्सा हुआ करती थी. इसे फिर से शुरु कर इराक बीते दशकों की अशांति से उभरने की कोशिश कर रहा है. यात्री इस रेल सेवा को देश की बदलती तस्वीर की तरह देख रहे हैं, जहां सुरक्षा दिखती है और यात्री बिना रोक टोक के देश के देहाती इलाकों में भी जा सकते हैं. खास तौर पर वे देहाती इलाके जहां पर कई सालों तक इस्लामिक स्टेट और अल-कायदा के आतंकवादियों का कब्जा रहा है. हालांकि ट्रेनें पुरानी हैं और ज्यादा तेजी गति पकड़ते ही कांपने लगती हैं.
पटरियों की हालत के कारण ट्रेन 100 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा तेज नहीं चल सकती. मोहम्मद ने कहा, "मुझे उम्मीद है कि सेवा चलती रहेगी लेकिन पिछले कुछ दिनों में ट्रेन लेट हुई है. कभी कभी ईंधन खत्म हो जाता है और कुछ तकनीकी परेशानियां भी हुई हैं." इराकी रिपब्लिक रेलवे के मीडिया अधिकारी अब्दुल सिटर मुहसिन ने बताया कि कंपनी को सेवा जारी रखने के लिये पैसों की बहुत जरुरत हैं. उन्होंने कहा, "हमने ये सब कंपनी के पैसे से किया था और अभी हम घाटे में चल रहे हैं."
रेलवे अधिकारियों को उम्मीद हैं कि वो रेल यात्रा को सीरिया के बॉर्डर तक पहुंचा देंगे. इराक का रेल नेटवर्क ब्रिटिश राज में विकसित हुआ था और 1960 के दशक में बाथ पार्टी के शासन में तुर्की में इस्तांबुल तक और सीरिया में अलेप्पो तक फैली थी.
1980 के दशक में ईरान से जंग, 90 के दशक में संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध और उसके बाद से जारी हिंसा के कारण केवल बसरा और अब फालुजा के अलावा बाकी के सारे पुराने रेल नेटवर्क बर्बाद हो गये हैं. फालुजा के आगे रेल ले जाने की महत्वाकांक्षा फिलहाल मुश्किल लग रही है क्योंकि वहां पर पटरियां रेत के नीचे दबी हुई हैं. सीरिया में हुए इस्लामिक स्टेट के ताजा हमलों कि वजह से सेना को एक बार फिर से सीमा पर भेज दिया गया है. लेकिन अभी के लिये फालुजा तक की रेल सेवा सामान्य जनजीवन की ओर लौटने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है.
बगदाद से फलूजा के बीच दौड़ने लगी है रेल
इराक में इस्लामिक स्टेट के खात्मे के बाद कई इलाकों में जिंदगी को सामान्य बनाने की कोशिशें तेज हो गई हैं. बगदाद से फलूजा के बीच अब रोज रेलगाड़ी दौड़ने लगी है.
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बगदाद से फलूजा
सुन्नी चरमपंथियों का मजबूत गढ़ रहे पश्चिमी इराक के फलूजा से राजधानी बगदाद के लिए अब हर रोज एक रेलगाड़ी चलाई जा रही है. रेलसेवा पहले भी थी लेकिन इस्लामिक स्टेट के दौर में इसे बंद कर दिया गया था.
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लैंड माइंस का खतरा
रेल के ड्राइवर और कंडक्टर को यह सुनिश्चित करना होता है कि जिन पटरियों पर वे रेलगाड़ी दौड़ा रहे हैं, वो इस्लामिक स्टेट के बिछाए बारूदी सुरंगों से मुक्त हैं. इतना ही नहीं, उन पुलों की भी मरम्मत कर ली गई है, जिन्हें इस्लामिक स्टेट ने 2014 में उड़ा दिया था.
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चार साल की बंदी
लगभग चार साल बंद रहने के बाद यह रेल सेवा दोबारा चालू हुई है. सैकड़ों यात्री इसका फायदा उठा रहे हैं, दोनों शहरों के बीच रोज यात्रा करने वाले यात्रियों की तादाद हजारों में हैं. एक महिला ने कहा, "यह बहुत अच्छा है. अब मैं अपनी बेटी से मिलने रोज फलूजा जा सकती हूं."
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फुरात नदी के किनारे फलूजा
फुरात नदी के किनारे बसे फलूजा शहर की जमीन कभी बेहद उपजाऊ हुआ करती थी. 2003 में अमेरिकी हमले के बाद से ही फलूजा धूल फांक रहा है. 2004 में यहां चार अमेरिकी नागरिकों की हत्या कर उनके शव पुल पर टांग दिए गए थे. तभी से यह शहर कुख्यात हो गया.
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अर्थव्यवस्था खस्ताहाल
रेल से यात्रा करने वालों में कुछ बेरोजगार हैं, जिन्हें काम की तलाश है. नौकरी, बिजली, पानी की कमी के विरोध में यहां अकसर प्रदर्शन होता है. सुरक्षा की हालत भी बहुत अच्छी नहीं है. हथियारबंद पुलिस ट्रेन में गश्त करती है.
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सस्ता, तेज और सुरक्षित सफर
बगदाद से फलूजा की दूरी करीब 50 किलोमीटर है, जो ट्रेन से महज एक घंटे में पूरी हो जाती है. कार से जाने पर यही रास्ता कई घंटों का होता है. यात्रा के लिए एक तरफ से करीब ढाई डॉलर का टिकट लगता है, जो कार के मुकाबले काफी सस्ता है. इतना ही नहीं सड़क के मुकाबले यात्री इसे सुरक्षित भी बताते हैं.
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सुधार की गुंजाइश
रेल विभाग ने सेवा तो शुरू कर दी है लेकिन इसकी हालत अभी बहुत अच्छी नहीं है. रेल की पटरियों पर फिलहाल 100 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा की रफ्तार पर ट्रेन नहीं दौड़ाई जा सकती. ट्रेन की कई खिड़कियों के शीशे भी बच्चों ने पत्थर मार कर तोड़ दिए हैं.
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फंड की कमी
रेलसेवा फिलहाल जैसे तैसे ही चल रही है और यात्रियों ने कई दिन ट्रेन के लेट चलने की भी शिकायत की. इराकी रिपब्लिक रेलवेज के अधिकारियों का कहना है कि कंपनी को अपनी सेवाएं चलाते रहने के लिए धन की जरूरत है. फिलहाल उसे काफी घाटा हो रहा है.
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बगदाद से इस्तांबुल
ब्रिटिश उपनिवेश और 1960 के दशक में बाथ पार्टी के दौर में इराकी रेल नेटवर्क का खूब विकास हुआ. एक समय था जब यह मोसुल होते हुए इस्तांबुल और सीरिया के अलेप्पो तक जाती थी. रेलवे अधिकारियों को उम्मीद है कि वे सीरिया की सीमा तक दोबारा रेल नेटवर्क बहाल कर सकेंगे.
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आधी सदी से पुरानी रेल सेवा
इराक में रेल सेवा ओटोमन साम्राज्य के दौर से ही है. रेल सेवा को फिर से चालू कर सरकार यहां रोजमर्रा की जिंदगी को पटरी पर लाने की कोशिशों में तेजी लाना चाहती है. इसी योजना के तहत रेल सेवा को दोबारा चालू किया गया है.