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बर्लिन के स्कूलों में सेना के भर्ती अभियान पर विवाद

१ अप्रैल २०१९

जर्मनी में चुनाव तो नहीं है, लेकिन फिर भी जर्मन सेना पर विवाद है. वजह है राजधानी में सत्तारूढ़ सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी नहीं चाहती कि सेना के प्रतिनिधि स्कूलों में भर्ती के लिए प्रचार करें.

Bundeswehr Schule Politische Bildung
तस्वीर: picture-alliance/dpa

जर्मन सेना अपनी कतारों में भावी सैनिकों की कमी से जूझ रही है. युवाओं को आकर्षित करने के लिए वह न सिर्फ बड़े पैमाने पर विज्ञापनों का सहारा ले रही है बल्कि उन्हें आकर्षित करने के लिए स्कूलों में भी जा रही है. लेकिन बर्लिन में सत्ताधारी सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी ऐसा नहीं चाहती. उसने प्रांतीय पार्टी सम्मेलन में फैसला किया है कि जर्मन सेना बुंडेसवेयर अब स्कूलों में विज्ञापन नहीं कर पाएगी. उसका प्रस्ताव है कि बर्लिन के स्कूल कानून में परिवर्तन कर सैनिक संगठनों में स्कूलों में भर्ती के लिए प्रचार पर रोक लगे.

ये कानून बर्लिन में तभी बन सकता है जब वहां गठबंधन सरकार में शामिल ग्रीन पार्टी और लेफ्ट पार्टी भी एसपीडी का समर्थन करे. लेकिन एसपीडी के अंदर ही इस मांग का विरोध शुरू हो गया है. एसपीडी के संसदीय दल के नेता रहे थॉमस ओपरमन ने पार्टी की बर्लिन ईकाई के फैसले पर क्षोभ व्यक्त करते हुए कहा है कि जो इस तरह की बेकार बातें तय करता है उसे खुद हमारे स्कूलों से दूर रहना चाहिए. एक ट्वीट में उन्होंने कहा है, "जर्मन सेना लोकतांत्रिक है, वह संसदीय सेना है. सेना के जवान हमारे आदर के अधिकारी हैं."

तस्वीर: picture-alliance/dpa/dpa-Zentralbild/S. Sauer

बर्लिन की एसपीडी ईकाई ने भी अपने प्रस्ताव में सेना को संसदीय सेना बताया है लेकिन उनकी दलील स्कूली बच्चों के नाबालिग होने को लेकर है. उसका कहना है कि नाबालिगों को सेना में भर्ती होने का आकर्षण देकर सेना अपने स्पष्ट अधिकार क्षेत्र का हनन कर रही है. प्रस्ताव में कहा गया है, "मरने और मारने के लिए विज्ञापन नहीं किया जाता."

पिछले सालों में जर्मन सेना ने स्कूलों में अपनी सक्रियता बढ़ाई है. एक आंकड़े के अनुसार 2017 में उसने लेक्चर, सेमिनार और गोष्ठियों की मदद से करीब 5,00,000 युवाओं से संपर्क किया. सेना ने बूट कैंपों के लिए अपने विवादित विज्ञापनों के जरिए युवाओं को आकर्षित करने की कोशिश की. इसके अलावा उप पर आरोप लगे कि यूट्यूब पर चलाए गए सिरियल द रिक्रूट्स में सेना का खतरों से विहीन जीवन दिखाया गया.

जर्मनी के रक्षा मंत्रालय ने भी बर्लिन की एसपीडी के फैसले की आलोचना की है और कहा है कि बुंडेसवेयर संसदीय सेना है जिसकी संविधान में लिखित जिम्मेदारी है. मंत्रालय ने कहा है कि युवा अधिकारियों और कैरियर की सलाह देने वाले अधिकारियों का स्कूलों में जाना भी इसी जिम्मेदारी का हिस्सा है.

रिपोर्ट: महेश झा (डीपीए)

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