आसमान छूते किराये के बीच जर्मन राजधानी में रेंट कैप लॉ की दूसरी स्टेज शुरू हो गई है. इसके दायरे में लाखों मकान हैं. मकान मालिकों और किरायेदारों के बीच ये कानून क्यों आया?
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निर्धारित सीमा (एक तरह का सर्किल रेट) से 20.01 फीसदी ज्यादा किराया वसूल रहे बर्लिन के मकान मालिकों को 23 नवंबर से किराया घटना ही है. ऐसा न करने पर भारी जुर्माना देना होगा. प्रांतीय सरकार के इस फैसले के खिलाफ संवैधानिक अदालत में गए मकान मालिकों को फिलहाल निराश होना पड़ा है.
यूरोप के जिंदादिल शहरों में शुमार बर्लिन में करीब 85 फीसदी लोग किराये के मकानों में रहते हैं. बर्लिन किरायेदार संघ (बीएमवी) के मुताबिक शहर के 3,65,000 अपार्टमेंट्स तुरंत किराया कम करने की श्रेणी में आते हैं. लेकिन इस संख्या को लेकर विवाद भी है. एफ प्लस बी रियल एस्टेट कंसल्टेंसी के मुताबिक ऐसे अपार्टमेंट्स की संख्या पांच लाख से ज्यादा है जो अधिक किराया वसूल रहे हैं.
बीएमवी के हेड राइनर विल्ड ने किराये पर लगाम लगाने वाले कानून का स्वागत करते हुए कहा, "यह बर्लिन के किरायेदारों के लिए एक सौभाग्यशाली ब्रेक है, वो भी कोविड-19 महामारी के चलते आए आर्थिक संकट के दौरान.” उन्होंने किराये में कटौती को "उपयुक्त, न्यायसंगत और समझदारी से भरा” बताया.
किराया कम करने वाला कानून ज्यादातर ऐसे रेंट एग्रीमेंट्स पर लागू होगा, जो बीते पांच छह साल में किए गए हैं. बर्लिन में 2014 से 2019 के बीच मकानों का किराया बहुत तेजी से बढ़ा. इस दौरान नए कॉन्ट्रैक्ट साइन करते वक्त किराया औसतन 30 फीसदी बढ़ा. बीएमवी के मुताबिक रेनोवेट किए गए मकानों में ऐसा सबसे ज्यादा देखा गया. 60 वर्गमीटर के अपार्टमेंट का किराया करीब 850 यूरो हो गया. यह जर्मनी में औसत हाउसहोल्ड कमाई का करीब एक तिहाई है.
किरायेदारों पर बोझ
राजधानी में अब भी ऐसे कई मकान मालिक हैं, जिन्हें लग रहा है कि उनके किरायेदारों को किराया घटाने वाले नए नियम का पता नहीं चलेगा. ऐसे में वे ऊंचा भाड़ा वसूलते रहेंगे. 23 नवंबर को ग्राहक अधिकारों के लिए काम करने वाले प्लेटफॉर्म कोनी ने अपने सर्वे के नतीजे जारी किए. रिजल्ट में पता चला कि उसके एक तिहाई ग्राहक किराये में कटौती के हकदार हैं, लेकिन ऐसे किरायेदारों को मकान मालिक की तरफ से कोई सूचना नहीं दी गई.
किराए के घरों में रहते हैं जर्मन लोग
जर्मनी में हर साल लगभग 80 लाख लोग घर बदलते हैं. अगर आप भी कभी जर्मनी में रहने आएं, तो देखिए घर लेते समय किन किन दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.
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किराए का घर पसंद
2018 के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार जर्मनी में 42 फीसदी लोगों के पास अपना खुद का घर है, जबकि 58 फीसदी किराए के घरों में रहते हैं. पूरे यूरोपीय संघ में जर्मनी में अपने घर में रहने वाले सबसे कम हैं. इसमें सबसे आगे है रोमानिया, जहां 96 फीसदी लोगों के पास अपना खुद का घर है.
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किराए से इतना लगाव क्यों?
इसका जवाब इतिहास में छिपा है. दूसरे विश्व युद्ध के बाद जर्मनी दो हिस्सों में बंटा. साम्यवादी पूर्वी हिस्से में लोगों के पास मकान खरीदने का हक नहीं था. वहीं पश्चिमी हिस्से में पुनर्निर्माण किया गया और सोशल हाउसिंग के तहत लोगों को किराए पर मकान दिए गए. आज भी किराए के घर में रहने का चलन बरकरार है.
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कितना किराया दें?
किसी भी इलाके में घर लेने से पहले लोग "मीटश्पीगल" चेक करते हैं. इस शब्द का शब्दशः अनुवाद होगा, "किराए का आइना" और मतलब है एक ऐसा ग्राफ जो दिखाता है कि किसी भी इलाके में मकान के दाम क्या चल रहे हैं. सबसे ज्यादा किराया म्यूनिख के लोग चुकाते हैं. एक वर्ग मीटर के लिए लगभग 18 यूरो यानी करीब डेढ़ हजार रुपये.
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कैसा घर चाहेंगे?
"मुझे किराए का मकान चाहिए" - इतना कह देना काफी नहीं है. आपके सामने एक पूरी लिस्ट होगी. स्टैंड-अलोन घर चाहिए, या रो-हाउस या फिर किसी के साथ मकान शेयर करना चाहेंगे. और कुछ भी तय करें, याद रखें कि मकान मिलने में कई महीने लग जाएंगे.
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प्रतिस्पर्धा की कोई सीमा नहीं
एक ही मकान के लिए इतने लोग आवेदन देते हैं कि मकान मालिक कई बार आपका इंटरव्यू कर डालता है. कई बार तो लगता है जैसे आप किसी टैलेंट हंट में हिस्सा ले रहे हैं. आपके शौक, आपकी आदतों के बारे में खूब सवाल होते हैं.
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किराया - गर्म या ठंडा?
अजीब सवाल है ना! लेकिन जर्मनी में आम है. ठंडा मतलब सिर्फ जगह का किराया और गर्म मतलब बिजली, पानी और हीटिंग को मिला कर. क्योंकि जर्मनी में छह महीने सर्दी रहती है, इसलिए हर घर में सेंट्रल हीटिंग उपलब्ध होती है और इसका अच्छा खासा खर्च आता है.
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सिक्यूरिटी डिपॉजिट
मकान मालिक आपसे तीन महीने के किराए के बराबर सिक्यूरिटी डिपॉजिट मांग सकता है. मकान छोड़ने के बाद अगर मरम्मत की जरूरत पड़े, तो वह इसमें से काट लेता है और फिर कुछ छह महीने के इंतजार के बाद आपको बाकी की राशि वापस मिल जाती है. वैसे कुछ मकान मालिक अच्छे भी होते हैं.
आपने कभी सुना है कि पड़ोस में कोई शिफ्ट हुआ और अपनी रसोई साथ ले कर आया. जर्मनी में ऐसा ही होता है. मकान के साथ रसोई नहीं मिलती. उसे खुद फिट करना पड़ता है. और अधिकतर जर्मन फिटिंग और मरम्मत का काम भी खुद ही करते हैं. उन्हें किसी मिस्त्री की जरूरत नहीं पड़ती.
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जुगाड़ नहीं चलेगा
शिफ्ट होने से पहले आपको नगर पालिका को सूचित करना होगा कि आपको घर के बाहर कितने घंटों के लिए ट्रक खड़ा करने की जरूरत पड़ेगी. आप यूं ही ट्रक को सड़क पर खड़ा नहीं कर सकते और ना ही हाथ से लिखा बोर्ड लगा सकते हैं. वैसे, आम तौर पर ट्रक भी खुद ही चलाना पड़ता है.
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मिठाई नहीं नमक
चलिए, घर मिल गया, रसोई भी आ गई, फिट भी हो गई, ट्रक भी लौटा दिया. अब पार्टी करने का समय है. आखिरकार जिन लोगों ने ये सब करने में मदद की उनका शुक्रिया भी तो अदा करना है. और पार्टी में लोग आपके लिए ब्रेड और नमक लाएंगे. गृह प्रवेश के दौरान इसे शुभ माना जाता है. मतलब है कि आपके घर में कभी रोटी और नमक की कमी ना पड़े. (क्रिस्टीना बुराक/आईबी)
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इसका मतलब है कि किरायेदारों को खुद अपना किराया परखना होगा. प्रांतीय सरकार की वेबसाइट पर किराया चेक किया जा सकता है. बर्लिन में इस साल बीएमवी और कई ऐसी कंसल्टेंसी सेवाओं सक्रिय हुईं, जिन्होंने मकान मालिकों पर केस किए. बहुत ज्यादा किराया चुकाने वाले मामलों में पैसा वापस मांगने के क्लेम भी हैं.
कोनी के सीईओ डानिएल हाल्मर कहते हैं, "इसकी पूरी संभावना है कि सारे मकान मालिक इस कानून पर अमल नहीं करेंगे.” बीएमवी के राइनर विल्ड कहते हैं, "हमें डर है कि निजी तौर पर मकान किराये पर देने वाले लोग खास तौर पर अपना किराया कम नहीं करेंगे.” विल्ड किरायेदारों से खुद अपना किराया परखने की अपील कर रहे हैं.
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मकान मालिकों का नजरिया
किराये पर लगाम लगाने की शुरुआत फरवरी 2020 में हुई. तब सरकार ने शहर के 15 लाख अपार्टमेंट्स पर अगले पांच साल तक किराया बढ़ाने पर रोक लगा दी. मकान मालिक इसे अपना बड़ा नुकसान बता रहे हैं. एफ प्लस बी कंसल्टेंसी के इंडेक्स के मुताबिक इस नियम से पूरे बर्लिन के मकान मालिकों को कुल 25 लाख यूरो की चपत लग रही है. हर अपार्टमेंट पर औसतन 40 यूरो का नुकसान हो रहा है.
कानून से बचने के लिए मकान मालिक नई जुगत भी निकाल रहे हैं. बर्लिन के लोकल सरकारी प्रसारक आरबीबी ने पिछले हफ्ते अपनी रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी. रिपोर्ट के मुताबिक सैकड़ों मकान मालिकों ने स्थानीय सरकारी बैंक में किराया बढ़ाने के लिए एप्लीकेशन दी है. मकान मालिकों का कहना है कि वे आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं. जिंदगी गुजारने के लिए करीब करीब पूरी तरह किराये के भरोसे रहने वाले मकान मालिकों की सुरक्षा के लिए सरकारी बैंकों में यह प्रावधान है. लेकिन ऐसे मकान मालिकों की संख्या बहुत कम हैं.
अब इस बात पर कानूनी लड़ाई अगले साल होगी कि क्या बर्लिन की प्रांतीय सरकार को किराये पर इस तरह लगाम लगाने का अधिकार है या नहीं? इस कानूनी कुश्ती के बीच कई मकान मालिक अपने नए अपार्टमेंट्स का विज्ञापन दे रहे हैं. विज्ञापनों में शैडो रेंट का जिक्र किया गया है, यानि अगर संवैधानिक अदालत बाद में उनके पक्ष में फैसला सुनाती है तो वे बकाया किराया वसूलेंगे.
लंदन, न्यूयॉर्क, म्यूनिख या सिंगापुर, इन शहरों में नौकरी करना आसान है, लेकिन रहना मुश्किल. किराया ही कमर तोड़ देता है. देखिए किराये के लिहाज से सबसे मंहगे शहर.
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रोम, इटली
सिंगल बेडरूम अपार्टमेंट का किराया 700 से 1,100 डॉलर.
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टोक्यो, जापान
वन बेडरूम अपार्टमेंट का किराया 700 से 1,150 डॉलर.
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म्यूनिख, जर्मनी
एक बेडरूम अपार्टमेंट का किराया 800 से 1,200 डॉलर.
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पेरिस, फ्रांस
वन बेडरूम अपार्टमेंट का किराया 870 से 1,200 डॉलर.
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ओस्लो, नॉर्वे
वन बेडरूम अपार्टमेंट का किराया 1,000 से 1400 डॉलर.
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दुबई, यूएई
एक बेडरूम अपार्टमेंट का किराया 1,200 से 2,000 डॉलर.
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सिंगापुर, सिंगापुर
एक बेडरूम अपार्टमेंट का किराया 1,300 से 2,000 डॉलर.
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हांग कांग
वन बेडरूम अपार्टमेंट का किराया 1,400 से 2,200 डॉलर.
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लंदन, ब्रिटेन
वन बेडरूम अपार्टमेंट का किराया 1,500 से 2,200 डॉलर.
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न्यूयॉर्क, अमेरिका
एक बेडरूम अपार्टमेंट का किराया 2,000 से 3,000 डॉलर.