बर्लिन दीवार को गिरे आज 25 साल हो चुके हैं, लोगों की आजादी और जर्मनी के एकीकरण के लिए यह बेहद जरूरी था. 1989 मेरे बचपन के दिन थे यानि मेरी आयु लगभग पांच वर्ष की थी. जब 10 साल की उम्र में पहुंचा तब पारिवारिक सदस्यों से इसके बारे में पता चला कि यह दीवार कब, किसलिए और क्यों बनाई गयी थी. 9 नवंबर 1989 को इंसानी रिश्तों और उनकी आजादी के बीच खड़ी यह बर्लिन दीवार क्यों गिराई गयी आज मैं बखूबी समझता हूं. क्योंकि बर्लिन दीवार का यह अंत जर्मन एकीकरण और एक नए जर्मनी का उदय था. बर्लिन दीवार की यह शांतिपूर्ण क्रांति न सिर्फ जर्मनी, बल्कि विश्व के लिए खास महत्व रखती है. बर्लिन वॉल की शांतिपूर्ण क्रांति पर प्रकाश डालते आज के इस इतिहास के लिए शुक्रिया, डॉयचे वेले. - आबिद अली मंसूरी
अंतरिक्ष ईश्वर का ही अनंत विस्तार है, धरती उसमें मात्र एक कण के सामान है. उस अंतरिक्ष से धरती पर मानव द्वारा खींची गयी रेखा खोजना अत्यंत हास्यास्पद है. - सुरेंद्र प्रताप सिंह "अंतरिक्ष से सीमाओं का कोई महत्व नहीं" लेख पर.
एकीकरण की वार्ता लेकर आज ही के दिन जर्मनी सारे विश्व को सजग करता है. इस विषय को स्मरण करके डीडब्ल्यू आपने जो कर्तव्य दिखाया इसके लिए डीडब्ल्यू का शुक्रिया. - बिधान चंद्र सान्याल
बर्लिन की दिवार गिरने से जीडीआर और एफआरजी में रहने वाले जर्मन नागरिकों का 40 सालों से झेल रहे तनाव और भय समाप्त हो गया. उन्हें एक नया और स्वछंद जीवन मिला. उनके आपसी संबंध और प्रगाढ़ हुए, जर्मनी और मजबूत हुआ. यह एक एतिहासिक घटना थी और पूरे विश्व समुदाय को इससे सीखना चाहिए और आपस में मिलकर रहना चाहिए. - प्रेम कुमार श्रीवास्तव
अगस्त 1968 से नवंबर 1989 तक 28 साल के लिए 155 किलोमीटर लंबी बर्लिन की दीवार के पतन के 25 साल के स्मरण में "ढह गई जुदा करने वाली दीवार" शीर्षक 11 तस्वीरों और तथ्यों के साथ डॉयचे वेले की सार्थक और सफल पेशकश बहुत अच्छी लगी. हमें दो बार बर्लिन घूमने का सौभाग्य हुया था, बर्लिन में बॉर्नहाइमर स्ट्रासे स्मारक स्थल पर बर्लिन की दीवार को पार करने की कोशिश में मारे गए लोगों की प्रदर्शित फोटो को याद करते हुए आज भी मेरा मन दर्द से भर जाता है. - सुभाष चक्रबर्ती, नई दिल्ली
28 सालों तक पूर्व और पश्चिम जर्मनी को विभाजित रखने वाली दीवार 9 नवंबर 1989 को गिरा दी गई. एकीकरण के 25 सालों का जश्न शहर भर में रोशनी की दीवार बनाकर मनाया गया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/K. Nietfeld8,000 गुब्बारों से बनी दीवार तीन दिन तक बर्लिन की दीवार की याद दिलाती रही. बोर्नहोल्मर स्ट्रासे से ब्रांडेनबुर्ग गेट, चेकप्वाइंट चार्ली और ईस्ट साइड गैलरी से गुजरती हुई.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/K. Nietfeldइस कला के नमूने के उद्घाटन के लिए चेकप्वाइंट चार्ली पर सोवियत संघ के पूर्व राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचोव आए. जर्मनी के एकीकरण की राह में खड़ी शीत युद्ध की बाधा को घटाने में उनकी अहम भूमिका रही.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/J. Kalaeneपूर्व और पश्चिम के बीच बोर्नहोल्मर स्ट्रासे बॉर्डर वह पहली क्रॉसिंग थी जहां सैनिकों ने नागरिकों के लिए सबसे पहले गेट खोले. रोशनी की लकीर के साथ चलते हुए लोगों ने दीवार पार करने के उस पुराने रास्ते को याद किया.
तस्वीर: Reuters/P. Kopczynskiबर्लिन का यह बॉर्डर नदी के किनारे किनारे कुछ यूं ही चला जा रहा था. तस्वीर में नजर आ रहा टीवी टावर एकीकरण से पहले पूर्वी बर्लिन का हिस्सा था.
तस्वीर: Reuters/F. Benschइस कलाकृति को तैयार करने का आइडिया दो भाइयों क्रिस्टोफर और मार्क बाउडर का था. वे बर्लिन की दीवार से जुड़ी भावनाओं को किसी ताकतवर माध्यम के जरिए दोबारा जीवित करना चाहते थे.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/K. Nietfeldपूर्व और पश्चिम बर्लिन के बीच की दीवार ब्रांडनबुर्ग गेट के बहुत पास से होकर गुजरती थी.
तस्वीर: Kulturprojekte Berlin_WHITEvoid/Christopher Bauder,Foto:Daniel Bücheबर्लिन की दीवार जर्मन संसद के सामने से होकर गुजरती थी. एकीकरण के बाद इस इलाके में कई सरकारी इमारतें बन गई हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/K. Nietfeldपूर्वी बर्लिन के इलाका प्रेंसलावरबैर्ग को पश्चिम बर्लिन से बर्लिन की दीवार अलग करती थी. अब यहां माउएर पार्क यानि दीवार वाला पार्क है.
तस्वीर: Reuters/P. Kopczynskiबर्लिन आने वाले ईस्ट साइड गैलरी देखने जरूर जाते हैं. बर्लिन दीवार का अब तक साबुत बचा सबसे बड़ा टुकड़ा यही है. इस दिवार पर दुनिया भर से कलाकारों ने कलाकृतियां बनाई हैं.
तस्वीर: Reuters/Hannibalइन सफेद गुब्बारों के भीतर लाइट लगाई गईं. 60 सेंटीमीटर व्यास वाले गुब्बारों को 2.5 मीटर लंबे रॉड की मदद से शहर भर में खड़ा किया गया.
तस्वीर: Reuters/P. Kopczynskiइस प्रोजेक्ट को अंजाम देने के लिए बर्लिन वालों को शामिल होने का न्योता दिया गया था. नौ नवंबर की रात सबने अपने अपने गुब्बारे हवा में छोड़े.
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