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बर्लुस्कोनी की जीत, सड़कों पर फूटा गुस्सा

१५ दिसम्बर २०१०

इटली में विश्वासमत प्रस्ताव में प्रधानमंत्री सिल्वियो बर्लुस्कोनी की जीत के बाद राजधानी रोम की सड़कों पर प्रदर्शनकारियों ने कारों को आग लगा दी और पुलिस पर पथराव किया. पुलिस से झड़पों में लगभग 90 लोग घायल हुए.

तस्वीर: AP

पुलिस ने भीड़ को तितर बितर करने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया. यह घटना रोम के उस इलाके की है जहां बहुत से सैलानी घूमते हैं. अधिकारियों के मुताबिक पुलिस और प्रदर्शनकारियों की झड़प में 40 लोग और 50 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं. एक 24 वर्षीय प्रदर्शनकारी ने बताया, "मुझे इटली का नागरिक होने पर बहुत शर्म आ रही है. आज इटली में लोकतंत्र का खात्मा हो गया."

तस्वीर: AP

ये झड़पें रोम में शांतिपूर्ण बर्लुस्कोनी विरोधी मार्च के बाद हुईं जिसमें छात्रों, बेरोजगारों और लाकिला शहर में भूकंप से बेघर हुए लोगों ने हिस्सा लिया. आयोजकों का कहना है कि रोम के विरोध प्रदर्शन में एक लाख लोगों ने हिस्सा लिया.

मिलान, नेपल्स, तुरीन और बारी समेत इटली के दूसरे शहरों से भी ऐसे ही प्रदर्शनों की खबर है. विश्वासमत से पहले 17 वर्षीय विक्टर ह्यूगो सांतोस ने कहा, "उम्मीद है कि यह सरकार आज गिर जाएगी. यह सरकार युवाओं के लिए ठीक नहीं है. वह भविष्य के बारे में कुछ नहीं सोचती."

लेकिन जैसे ही प्रधानमंत्री बर्लुस्कोनी के विश्वासमत जीतने की खबर आई तो कई प्रदर्शनकारी सिटी सेंटर में दुकानों के शटर्स को जोर जोर से पीटने लगे.

तस्वीर: dpa

हेल्मेट पहने प्रदर्शनकारी हाथों में लोहे की छड़े लिए हुए थे. कुछ प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन पर पेंट और पटाखे भी फेंके जबकि कई लोग कांच और बोतलें फेंकते देखे गए. प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की एक गाड़ी समेत कई वाहनों को आग लगा दी. कई घायलों को तो पुलिस ने अस्पताल पहुंचाया. इनमें कुछ लोगों के मुंह पर खून बह रहा था. घायलों में से 22 को अस्पताल में भर्ती कराया गया है. आधिकारियों ने बताया कि 41 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है.

रोम के दक्षिणपंथी मेयर गियानी अलेमानो का कहना है कि शहर में 1970 के दशक के बाद ऐसी हिंसा नहीं देखी गई. 1970 का दशक इटली में बड़े सामाजिक और राजनीतिक अशांति का दशक रहा. वह कहते हैं, "बहुत वर्षों बाद यह पहला मौका है जब रोम में इस तरह की हिंसा हुई है."

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः एस गौड़

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