हरियाणा में आए दिन हत्या, बलात्कार और अपहरण के मामले आ रहे हैं. रेवाड़ी के गैंगरेप मामले ने तो क्रूरता की हदें पार कर दीं हैं जिसमें एक सैनिक भी आरोपी बताया जाता है.
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कल्पना चावला और विमेश फोगाट का हरियाणा अजीब विरोधाभासों का राज्य है. खेलों में सबसे ज्यादा मेडल लाने वाला राज्य, खराब लिंगानुपात में सुधार करता राज्य, बेटियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी बनाता राज्य, आज महिलाओं के खिलाफ सबसे ज्यादा अपराध वाला राज्य भी बन गया है.
अपराधियों को कानून का डर नहीं रह गया है और वे अपनी मर्दवादी खूंखारी में खुलेआम घूम रहे हैं. बलात्कार जैसी बर्बरताएं सिर्फ हवस का मामला नहीं, ये वर्चस्ववादी पुरुष कुंठा भी है. वे महिलाओं की जीत और उनकी बुलंदी बर्दाश्त ही नही कर पा रहे हैं. बलात्कार की शिकार, सीबीएसई परीक्षा में टॉप करने वाली लड़की को भारत सरकार ने सम्मानित भी किया था. अपनी बेटी के लिए इंसाफ मांगती, लड़की की मां ने मीडिया से कहा, "सरकार बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ की बात करती है, लेकिन हमें अपनी बेटियों को पढ़ाने के लिए क्या यही कीमत चुकानी होगी?" इस सवाल का जवाब शायद किसी के पास नहीं है.
बेशक हरियाणा को अपनी पीठ थपथपानी चाहिए. राज्य के खिलाड़ियों ने एशियाई खेलों में पांच गोल्ड, पांच रजत और आठ कांस्य के साथ कुल 18 पदक जीते हैं. इसी तरह हरियाणा कॉमनवेल्थ खेलों में 22 पदकों के साथ देश में सबसे टॉप का राज्य है. लेकिन इन सुनहरी सफलताओं की रोशनी तले अंधेरा भी देखना चाहिए.
महिलाओं के लिए कितना खतरनाक है आपका राज्य
महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक है दिल्ली
भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों के देखते हुए कहा जा सकता है कि महिलाएं कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) ने हर राज्य के अपराध दर के अनुसार इन्हें महिलाओं के लिए यह रैंक दी है.
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1. दिल्ली
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2. असम
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3. ओडिशा
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4. तेलंगाना
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5. राजस्थान
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6. हरियाणा
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7. पश्चिम बंगाल
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8. मध्य प्रदेश
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9. आंध्र प्रदेश
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10. अरुणाचल प्रदेश
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11. चंडीगढ़
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12. केरल
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13. महाराष्ट्र
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14. त्रिपुरा
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15. सिक्किम
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16. जम्मू और कश्मीर
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17. उत्तर प्रदेश
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18. छत्तीसगढ़
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19. कर्नाटक
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20. गोवा
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21. अंडमान और निकोबार
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22. पंजाब
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23. दमन और दीव
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24. हिमाचल प्रदेश
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25. झारखंड
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26. उत्तराखंड
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27. गुजरात
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28. मेघालय
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29. बिहार
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30. मिजोरम
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31. लक्षद्वीप
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32. मणिपुर
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33. दादर और नागर हवेली
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34. तमिलनाडु
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35. पुद्दुचेरी
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36. नागालैंड
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हरियाणा में औरतों के खिलाफ हिंसा के मामलों में चिंताजनक बढ़ोत्तरी देखी गई है. 2015-16 में बलात्कार के 1026 मामले थे. 2016-17 में 1193 और 2017-18 में 1413. 2014-15 से अब तक बलात्कार के मामलों में 47 प्रतिशत और अपहरण के मामलों में 100 फीसदी से ज्यादा की वृद्धि हुई है. सितंबर 2014 से लेकर सिंतबर 2018 तक यौन उत्पीड़न के मामले 26 प्रतिशत बढ़ गए हैं.
सरकार ने माना कि अपराध बढ़ रहे हैं और महिला पुलिस थाने खोलने के बावजूद हालात सुधरे नहीं है. गैंगरेप के मामले में भी हरियाणा पूरे देश में सबसे बुरी स्थिति में है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के मुताबिक 2016 में राज्य में हर दो दिन में एक गैंगरेप मामला दर्ज हुआ है. इसी तरह हर रोज तीन मामले बलात्कार के भी पाए गए हैं. 2014 से एनसीआरबी ने गैंगरेप को बलात्कार की एक सब-कैटगरी के रूप में चिंहित करना शुरू किया था.
पुलिस का दावा है कि हरियाणा में अपराधों की संख्या में अधिकता दिखाती है कि एफआईआर ज्यादा लिखाई जा रही हैं. पुलिस के मुताबिक 20 प्रतिशत रेप के मामले खारिज भी हुए हैं क्योंकि वे जांच के बाद सही नहीं पाए जाते. 2017 में ऐसी 327 एफआईआर रद्द की गईं और इस साल जून तक 138 रद्द हुई. हरियाणा लिंगानुपात के मामले में कुख्यात रहा है. लेकिन इसे कुछ कम करते हुए हरियाणा ने 2017 में प्रति हजार लड़कों पर 914 लड़कियों का अनुपात बनाया है. इससे पहले के सालों में ये प्रति हजार पुरुष पर क्रमशः 900 और 871 स्त्रियों का था. 2011 में ये 834 था.
बच्चों की इन हरकतों को अनदेखा ना करें
बच्चों की इन हरकतों को अनदेखा ना करें
अपनी परेशानी को बच्चे हमेशा शब्दों में जाहिर नहीं कर पाते. अगर आपको अपने बच्चे में कुछ बदलाव दिख रहे हैं, तो उससे बात करें. यह सुनिश्चित करें कि वह यौन उत्पीड़न का शिकार तो नहीं हो रहा है.
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चुपचाप रहना
अगर आपका बच्चा अचानक ही चुपचाप रहने लगा है, तो इसे बच्चे का नखरा समझ कर अनदेखा मत कीजिए. शायद वह आपसे कुछ कहना चाहता है लेकिन कह नहीं पा रहा है. बच्चे से बात कीजिए.
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नींद ना आना
अगर किसी वजह से बच्चा कई कई रात सो नहीं पा रहा है या फिर बुरे सपनों की शिकायत कर रहा है, नींद से रोता हुआ जग रहा है, तो उससे उसके डर की वजह पूछिए.
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गुस्सा करना
हर उम्र में बच्चे अलग अलग तरह का बर्ताव सीखते हैं. कभी वे अचानक ही जिद्दी हो जाते हैं, कभी लड़ाके लेकिन अगर यह गुस्सा आम बर्ताव से बिलकुल ही अलग है, तो इसकी वजह समझने की कोशिश करें.
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अकेले रहना
अगर बच्चे के साथ कुछ ऐसा हुआ है, जिससे वह डर गया है, तो वह सबसे कट कर रहने लगता है क्योंकि उसे खुद से घृणा आती है. ऐसे में बच्चे को अकेला ना छोड़ें.
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किसी विशेष व्यक्ति या जगह से डर
अगर बच्चा स्कूल जाने से कतरा रहा है, परिवार के किसी मित्र या रिश्तेदार के पास जाने से मना कर रहा है, तो उससे प्यार से इसकी वजह पूछें. हो सकता है कि बच्चे के साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा हो.
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खाना ना खाना
खाना खाने में लगभग सभी बच्चे नखरे करते हैं लेकिन भूख ना लगने की वजह या तो बीमारी हो सकती है या फिर मानसिक तनाव. छोटे बच्चों को तनाव से निकालना बेहद जरूरी है.
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बिस्तर गीला करना
रात में सोते समय अगर बच्चा बिस्तर गीला कर रहा है, तो उसे डांट फटकार कर और बुरे महसूस ना कराएं. बतौर माता पिता उसकी तह तक पहुंचने की कोशिश करें.
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सेक्स से जुड़े नये शब्द
टीवी और स्कूल के जरिये बच्चे नये शब्द सीखते हैं लेकिन अगर यह शब्दावली अश्लील शब्दों की ओर जा रही है, तो हो सकता है कि कोई बच्चे को ऐसा सिखा रहा हो और उसका फायदा उठाना चाह रहा हो.
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पेशाब के दौरान दर्द
अगर बच्चा पेशाब के दौरान दर्द की शिकायत करता है तो फौरन उसे डॉक्टर के पास ले जाएं और सुनिश्चित करें कि उसके साथ यौन दुर्व्यवहार तो नहीं हुआ है. डॉक्टर से कोई भी बात ना छिपाएं.
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जननांगों के इर्दगिर्द चोट
अपने बच्चे को जननांगों के बारे में जानकारी दें. बच्चे को नहलाते वक्त ध्यान दें कि गुप्तांगों के इर्दगिर्द कहीं किसी तरह की कोई चोट तो नहीं है. और सबसे बढ़ कर बच्चे से प्यार से बात कर जानकारी हासिल करें.
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कुल मिलाकर आंकड़े डराते हैं और बड़ा दुख और अवसाद होता है कि आखिर ये देश किस ढलान में फिसल रहा है. महसूस होता है मानो प्रकट-अप्रकट खूंखार, घात लगाए घूम रहे हैं. अभियुक्त मुश्किल से पकड़े जाते हैं और एफआईआर लिखाने के खून पसीना एक कर देना होता है. पुलिस भी सत्ता और राजनीति के दबावों में घिरी है. अपराधियों को लगता है कि कोई उनका क्या बिगाड़ लेगा. बलात्कार जैसे अपराधों की दर बढ़ने की एक प्रमुख वजह ये भी है.
अव्वल तो पीड़ित पक्ष ही कई बार लोकलाज के भय में आगे नहीं आता, फिर रिपोर्ट दर्ज कराने को लेकर जो झेलना पड़ता है, वो किसी यातना से कम नहीं, फिर अदालतों का चक्कर. समाज के ताने, फब्तियां, नैतिकता की ठेकेदारी- पीड़ितों को इस तरह शारीरिक और मानसिक यंत्रणाओं से गुजरना पड़ता है. बलात्कारी जानते हैं कि समाज उन्हें आंख दिखाने की हिम्मत नहीं करेगा. और ये सब तब भी हो रहा है जबकि कड़े कानून बन गए हैं, अदालतों को फास्ट ट्रैक चलाने के आदेश हैं.
इधर कुछ मामलों में अपराधियों को सजाएं भी हुई हैं लेकिन इन सजाओं और सख्तियों का कोई संदेश, अपराधियों को डराने या उन्हें काबू में करने में सफल होता नहीं दिखता. हरियाणा हो या केरल, जहां भी आप नजर दौड़ाएं, बलात्कार जैसी घटनाओं की रोकथाम के लिए वैधानिक, दंडात्मक, नैतिक, सामाजिक जो भी उपाय या उपकरण हैं, वे फीके ही नजर आते हैं. ऐसे में यही उम्मीद करनी चाहिए कि अपराध से लड़ने का साहस और प्रतिरोध बना रहे.
रेप के लिए कहां कितनी सजा
रेप के लिए कहां कितनी सजा
हाल ही में जर्मनी ने अपने बलात्कार विरोधी कानून को और सख्त बनाने के लिए कदम उठाए हैं. जानिए, जर्मनी में और बाकी देशों में रेप के लिए क्या कानून है.
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जर्मनी
जर्मन कानून में अब तक रेप की कोशिश का विरोध न करने पर मामला रेप का नहीं बनता था. अब इस परिभाषा में बदलाव किया गया है. अब छूने, अंगों को टटोलने और दबोचने को भी यौन हिंसा के दायरे में लाया गया है.
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फ्रांस
फ्रांस में रेप का मतलब है ऐसी कोई भी यौन गतिविधि जिसमें दोनों की सहमति ना हो. वहां 20 साल तक की सजा हो सकती है. गाली-गलौज पर भी दो साल तक की सजा का प्रावधान है.
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इटली
1996 में इटली के रेप विरोधी कानून में व्यापक बदलाव किए गए. इसके बाद पत्नी के साथ जबर्दस्ती को भी रेप के दायरे में लाया गया. इसके लिए 10 साल तक की सजा हो सकती है.
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स्विट्जरलैंड
स्विट्जरलैंड में रेप तभी माना जाता है जब योनि संसर्ग हुआ हो. अन्य यौन हमलों को यौन हिंसा माना जाता है. इसके लिए 10 साल तक की जेल हो सकती है. 2014 के बाद शादी में भी रेप को अपराध माना गया है.
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स्वीडन
स्वीडन में जबरन किसी के कपड़े उतारने पर भी दो साल की कैद हो सकती है. मजबूर लोगों का यौन शोषण, मसलन सोते वक्त या नशे की हालत में या किसी तरह डरा कर सेक्स करने की कोशिश करना भी रेप है.
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अमेरिका
अमेरिका में अलग-अलग राज्यों में रेप की परिभाषा अलग-अलग है. लेकिन वहां सेक्स में सहमति पर जोर दिया गया है. सेक्स से पहले स्पष्ट सहमति जरूरी है.
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सऊदी अरब
यहां रेप के लिए मौत की सजा का प्रावधान है. हालांकि रेप को साबित करना बहुत मुश्किल है. जो महिलाएं रेप की शिकायत करती हैं अगर वे साबित ना कर पाईं तो उन्हें भी सजा हो सकती है.
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भारत
निर्भया कांड के बाद भारत में रेप विरोधी कानून में कई बदलाव किए गे हैं. अब रेप के लिए आमतौर पर सात साल से उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है. लेकिन विशेष परिस्थितियों में जैसे कि पुलिस हिरासत में रेप, रिश्तेदार या टीचर द्वारा रेप के मामले में 10 साल से उम्र कैद तक भी हो सकती है. अगर पीड़िता की मौत हो जाती है तो मौत की सजा भी हो सकती है.