पुर्तगाल की संसद बलात्कार की परिभाषा बदल उसके दायरे को बढ़ाने जा रही है. कानून में सुधार कर बिना सहमति के किसी भी तरह के सेक्स को बलात्कार माना जाएगा.
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बलात्कार की इतनी विस्तृत और सरल परिभाषा फिलहाल केवल सात यूरोपीय देशों में ही है. इसमें आपसी सहमति पर सबसे ज्यादा जोर होता है. पुर्तगाली संसद में अब बिना सहमति के बनाए गए किसी भी सेक्स संबंध को बलात्कार कहे जाने का सुझाव है.
अब तक देश में लागू कानून में किसी को जबर्दस्ती बनाए गए सेक्स संबंध को साबित करने के लिए हिंसा के साक्ष्य देने पड़ते हैं. कानून को बदलने के लिए अभियान चलाने वाले लोगों का कहना है कि हिंसा के सबूत की शर्त के कारण ऐसे कई मामलों में न्याय नहीं हो पाता, जहां किसी से बेहोशी के हाल में या मर्जी के खिलाफ सेक्स किया गया हो.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहले से ही 'इस्तांबुल समझौता' मौजूद है, जिसका मकसद महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा से सुरक्षा है. इस कानून के साथ पुर्तगाल अंतरराष्ट्रीय समझौते की मान्यताओं के और करीब आ जाएगा.
यहां वैवाहिक बलात्कार पर नहीं मिलती सजा
भारत के अलावा और भी कई देशों में वैवाहिक बलात्कार पर कानून की कमी है. एक नजर एशिया के ऐसे देशों पर जहां पति को नहीं मिल सकती पत्नी के रेप पर सजा.
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अफगानिस्तान
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बांग्लादेश
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चीन
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इंडोनेशिया
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ईरान
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इराक
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कुवैत
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मलेशिया
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मंगोलिया
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म्यांमार
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सिंगापुर
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श्रीलंका
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वियतनाम
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संसद ने सर्वसम्मति से इस संशोधन को संसदीय समिति के पास भेज दिया है. अगला कदम समिति के मसौदे पर संसद में वोटिंग करने का होगा, जिसको लेकर व्यापक आम राय को देखते हुए इसका पास होना लगभग तय माना जा रहा है.
इस्तांबुल समझौते में पुर्तगाली सरकार ने 2012 में बदलाव लाए थे और फिर 2014 से वह लागू भी है. हालांकि सरकार के आलोचकों का कहना है कि प्रशासन उसे कानून की शक्ल में पूरी तरह लागू कराने में अब तक असफल रहा है.
सितंबर 2018 में प्यूर्तो रिको की अदालत के सामने आए एक मामले में दो पुरुषों पर 26 साल की एक बेहोश महिला से सेक्स करने का आरोप था. अदालत ने उन्हें बलात्कार का दोषी नहीं माना और उसे "परस्पर बहकावे" की घटना करार दिया.
पड़ोसी देश स्पेन में बीते सालों में ऐसे मामलों पर काफी प्रदर्शन हुए. 2016 की पैंपलोना बुल दौड़ के दौरान एक महिला पर पांच पुरुषों ने हमला कर उसे कोने में घेर लिया और फिर उससे जबर्दस्ती की. इन पुरुषों ने उस कृत्य को वीडियो में रिकॉर्ड भी किया था. गैंगरेप के आरोप वाले इस मामले में भी उन लोगों पर केवल यौन दुर्व्यहार के मामूली दोष सिद्ध हुए क्योंकि अदालत को हिंसा के पर्याप्त सबूत नहीं दिखाए गए.
अगर पुर्तगाल इस नए संशोधन को पास कर देता है तो वह बेल्जियम, साइप्रस, ब्रिटेन, जर्मनी, आइसलैंड और लक्जमबर्ग जैसे देशों की फेहरिस्त में आ जाएगा, जहां रेप का आधार आपसी सहमति को बनाया गया है ना कि हिंसा को.
एमनेस्टी इंटरनेशनल के अनुसार, यूरोपीय संघ की हर दस में से एक महिला को 15 वर्ष की उम्र के बाद किसी ना किसी तरह का यौन हिंसा झेलनी प़डती है. एमनेस्टी का कहना है, "रेप कानूनों से सब कुछ तो नहीं बदलेगा लेकिन सोच बदलने और न्याय पाने की दिशा में यह एक अहम कदम तो है ही."
आरपी/एनआर (रॉयटर्स)
रेप के लिए कहां कितनी सजा
हाल ही में जर्मनी ने अपने बलात्कार विरोधी कानून को और सख्त बनाने के लिए कदम उठाए हैं. जानिए, जर्मनी में और बाकी देशों में रेप के लिए क्या कानून है.
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जर्मनी
जर्मन कानून में अब तक रेप की कोशिश का विरोध न करने पर मामला रेप का नहीं बनता था. अब इस परिभाषा में बदलाव किया गया है. अब छूने, अंगों को टटोलने और दबोचने को भी यौन हिंसा के दायरे में लाया गया है.
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फ्रांस
फ्रांस में रेप का मतलब है ऐसी कोई भी यौन गतिविधि जिसमें दोनों की सहमति ना हो. वहां 20 साल तक की सजा हो सकती है. गाली-गलौज पर भी दो साल तक की सजा का प्रावधान है.
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इटली
1996 में इटली के रेप विरोधी कानून में व्यापक बदलाव किए गए. इसके बाद पत्नी के साथ जबर्दस्ती को भी रेप के दायरे में लाया गया. इसके लिए 10 साल तक की सजा हो सकती है.
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स्विट्जरलैंड
स्विट्जरलैंड में रेप तभी माना जाता है जब योनि संसर्ग हुआ हो. अन्य यौन हमलों को यौन हिंसा माना जाता है. इसके लिए 10 साल तक की जेल हो सकती है. 2014 के बाद शादी में भी रेप को अपराध माना गया है.
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स्वीडन
स्वीडन में जबरन किसी के कपड़े उतारने पर भी दो साल की कैद हो सकती है. मजबूर लोगों का यौन शोषण, मसलन सोते वक्त या नशे की हालत में या किसी तरह डरा कर सेक्स करने की कोशिश करना भी रेप है.
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अमेरिका
अमेरिका में अलग-अलग राज्यों में रेप की परिभाषा अलग-अलग है. लेकिन वहां सेक्स में सहमति पर जोर दिया गया है. सेक्स से पहले स्पष्ट सहमति जरूरी है.
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सऊदी अरब
यहां रेप के लिए मौत की सजा का प्रावधान है. हालांकि रेप को साबित करना बहुत मुश्किल है. जो महिलाएं रेप की शिकायत करती हैं अगर वे साबित ना कर पाईं तो उन्हें भी सजा हो सकती है.
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भारत
निर्भया कांड के बाद भारत में रेप विरोधी कानून में कई बदलाव किए गे हैं. अब रेप के लिए आमतौर पर सात साल से उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है. लेकिन विशेष परिस्थितियों में जैसे कि पुलिस हिरासत में रेप, रिश्तेदार या टीचर द्वारा रेप के मामले में 10 साल से उम्र कैद तक भी हो सकती है. अगर पीड़िता की मौत हो जाती है तो मौत की सजा भी हो सकती है.