बलात्कार के दोषियों को मौत की सजा
१३ सितम्बर २०१३ कोर्ट के बाहर बड़ी संख्या में पुलिस तैनात थी और दंगे जैसी हालत से निपटने के लिए पूरी तैयार की गई थी. बैरीकेड लगा कर पूरे अदालत परिसर की घेरेबंदी कर दी गई थी. तय समय पर अदालती कार्रवाई शुरू हुई और ठीक ढाई बजे जस्टिस योगेश खन्ना ने दोषियों को सजा ए मौत सुना कर कलम तोड़ दी. फैसला सुनाते हुए जज ने कहा, "महिलाओं के खिलाफ बढ़ते यौन अपराधों की तरफ आंख मूंद कर नहीं रहा जा सकता." इस घटना ने "देश की सामूहिक अंतरात्मा को हिला कर रख दिया." उन्होंने कहा "संदेश देने की जरूरत है कि इसे सहन नहीं किया जाएगा."
कोर्ट से बाहर आकर बचाव पक्ष के वकील ए पी सिंह ने कहा, "हर किसी को मौत की सजा मिली है." मौत की सजा पाए अभियुक्तों में एक जिम ट्रेनर विनय शर्मा फैसला सुनने के बाद रो पड़ा. पुलिस उसे खींच कर कोर्ट से बाहर ले गई.
दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता तेजिंदर लूथरा ने कहा है कि मामले की छानबीन करने वाली "पुलिस की जांच टीम के लिए यह फैसला संतोष देने वाला है." इस बीच भारत के गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि पीड़ित और उसके परिवार को न्याय मिला है. कोर्ट ने यह नजीर रख दी है कि जुर्म करने वालों को सजा मिलेगी.
बचाव पक्ष के वकीलों का कहना है कि फैसला राजनीतिक दबाव और लोगों की भावनाओं को देखते हुए लिया गया है. इस फैसले के साथ ही सात महीने से चली आ रही सुनवाई पूरी हो गई जिसमें ज्यादातर जिरह बंद दरवाजों के बीच हुई. मामले के पांचवे आरोपी ने कुछ महीने पहले जेल में फांसी लगा ली जबकि छठा दोषी नाबालिग है. उसे तीन साल बाल सुधार गृह में रखने की सजा मिली है.
मौत की सजा को लेकर भारत के रुख के लिए यह परीक्षा की घड़ी है क्योंकि पूरी दुनिया में इस सजा को खत्म करने पर बहस चल रही है. भारत उन चुनिंदा देशों में है जहां अभी यह सजा दी जा रही है. हालांकि मौत की सजा दुर्लभों में दुर्लभ मामले में ही देने का प्रावधान है. भारत में हर साल करीब 130 मौत की सजा सुनाई जाती है हालांकि पिछले 17 सालों में केवल 3 लोगों को फांसी दी गई है.
एनआर/एमजे(पीटीआई,रॉयटर्स)