24 साल की इस युवती ने हाल ही में अदालत से गर्भपात की अनुमति मांगी थी. महिला का कहना है कि उसका अपहरण कर छह महीने तक उसे बंदी बना कर रखा गया और उसके साथ बलात्कार किया गया. जब तक वह अपहरणकर्ताओं की आंखों में धूल झोंक कर भाग निकलने में कामयाब हो पायी, वह कई महीने गर्भवती हो चुकी थी. इस कारण वह समय रहते गर्भपात नहीं करा सकी. सूरत की रहने वाली महिला विवाहित है और दो बच्चों की मां है.
अदालत ने महिला के स्वास्थ्य और कानून को ध्यान में रखते हुए 28वें हफ्ते में गर्भपात कराने की मांग को खारिज कर दिया है और महिला की सेहत का ध्यान रखे जाने और बच्चे के सुरक्षित जन्म को सुनिश्चित किए जाने के आदेश दिए हैं. अपना फैसला सुनाते हुए जस्टिस जेपी पर्दीवाला ने कहा, "उन्हें (महिला को) साहस दिखाते हुए अपनी गर्भावस्था को जारी रखना होगा और जब वक्त आएगा, तब बच्चे को जन्म भी देना होगा. मैं इस बात को अच्छी तरह समझता हूं कि एक जज के लिए अपने फैसले में ऐसा कहना बहुत आसान है लेकिन आखिरकार याचिकाकर्ता को आने वाले मुश्किल दिनों का सामना करना होगा. आपको भले ही यह कानून जितना भी सख्त लगे, यह कानून है और इसका सम्मान किया जाना चाहिए." जज ने कहा कि पीड़िता को यह समझना होगा कि इस समय गर्भपात करने से वह खुद अपने जीवन को भी खतरे में डाल देगी.
अर्जेंटीना में गर्भपात पर रोक है. फिर भी हर साल करीब पांच लाख महिलाएं गर्भपात को मजबूर होती हैं. वहां के तीन फोटोग्राफरों ने इस मुद्दे को उठाया.
तस्वीर: Lisa Franz, Guadalupe Gómez Verdi, Léa Meuriceमोनिका कहती हैं, 'यह मेरा शरीर है.' इस प्रदर्शनी के जरिए तीनो फोटोग्राफर अर्जेंटीना में गर्भपात के खिलाफ अभियान शुरू करना चाहते हैं. वहां के समाज में यह विषय वर्जित है.
तस्वीर: Lisa Franz, Guadalupe Gómez Verdi, Léa Meurice23 साल की एलुने को इस संघ ने मदद की. वे कहती हैं, "मैं खुद तय करना चाहूंगी कि मैं कब मां बनू." हालांकि जब दवाइयों से किए जाने वाले गर्भपात सही तरीके से नहीं किए जाते, तो खतरनाक साबित होते हैं. डॉक्टर अक्सर इतनी गंभीर दवाओं को बिना किसी जानकारी के बेच देते हैं.
तस्वीर: Lisa Franz, Guadalupe Gómez Verdi, Léa Meuriceसोनिया सांचेज से जबरन देह व्यापार करवाया जाता है. उनके पांच गर्भपात करवाए गए, सभी जेल में. उन्हें अवैध देह व्यापार के आरोप में पकड़ा जाता. वह ऐसे लोगों के कारण गर्भवती होती, जो चकला चलाने वाली को बिना कंडोम के सेक्स के लिए ज्यादा पैसा देते. अब महिला अधिकारों के लिए काम करने वाली सोनिया कहती हैं, 2012 में ऐसे गर्भपात को अनुमति दी गई, जो रेप के कारण हुआ हो या फिर जिससे महिला की जान को खतरा हो.
तस्वीर: Lisa Franz, Guadalupe Gómez Verdi, Léa Meuriceमेरा शरीर मेरा है, यह दलील अर्जेंटीना में नहीं चलती. यहां गर्भपात पर रोक है. लेकिन फिर भी 27 साल की कैमिला की तरह यहां कई सौ महिलाएं गर्भपात करवाती हैं. उन्होंने अपनी पीठ पर यह टैटू बनवाया है, जिस पर लिखा है, लिबर्टाड यानी आजादी. यह तस्वीर 11 हफ्ते, 23 घंटे, 59 मिनट, अर्जेंटीना में अवैध गर्भपात नाम की प्रदर्शनी का हिस्सा है.
तस्वीर: Goméz Verdi, Franz, Meuriceयह फोटो मारा की कहानी सुनाती है, जो 21 की उम्र में गर्भवती हो गई. उनके जीवनसाथी के परिवार ने धमकी दी कि अगर मारा ने बच्चा गिराया तो वे रिपोर्ट कर देंगे. उसका जीवनसाथी उसे छोड़ गया. 12 हफ्ते बाद उसने तय किया कि वह 2002 में नए साल की शाम अवैध क्लीनिक में गर्भपात करवाएगी.
तस्वीर: Lisa Franz, Guadalupe Gómez Verdi, Léa Meuriceगर्भपात सिर्फ महिलाओं को ही परेशानी में डालता है, ऐसा नहीं है. फोटोग्राफर लीजा फ्रांस, गुआदालुप गोमेज वर्डी और लिया मेउरीस की तस्वीरें यहीं बताती हैं. 24 साल के पेद्रो ने उनकी मित्र की सहायता की थी, जब 2012 में उसने गर्भपात का फैसला लिया. वो कहते हैं, "हमें अपराधियों सा महसूस हुआ."
तस्वीर: Lisa Franz, Guadalupe Gómez Verdi, Léa Meuriceकपड़ों के हैंगर, बुनाई की सलाई अंदर भोंक दी जाती है. सूचना की कमी, शिक्षा की कमी. विकल्प का मतलब महिलाओं के लिए है, गर्भपात के लिए घरेलू तरीके अपनाना. जो अक्सर जानलेवा साबित हो सकते हैं.
तस्वीर: Lisa Franz, Guadalupe Gómez Verdi, Léa Meuriceअर्जेंटीना के स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक गर्भपात के कारण पैदा हुई जटिलताओं और रक्तस्त्राव के कारण हर साल 60 से 80 हजार महिलाएं अस्पताल में भर्ती होती हैं. इनमें से 100 अंदरूनी चोटों या गलत तरीके से किए गए गर्भपात के कारण मर जाती हैं. यह देश के गरीब इलाकों में सामान्य है.
तस्वीर: Lisa Franz, Guadalupe Gómez Verdi, Léa Meuriceअवैध गर्भपात का धंधा फल फूल रहा है. डॉक्टर इसके लिए कम से कम 10,000 पेसो यानी करीब 65 से 75 हजार रुपये की मांग करते हैं. गर्भपात को कानूनी बनाने के लिए अभियान चला रहे डॉक्टर कार्दोसो ने भी गर्भपात करवाए हैं. और उन्होंने मरीजों की आय के हिसाब से उनसे फीस ली.
तस्वीर: Lisa Franz, Guadalupe Gómez Verdi, Léa Meuriceअर्जेंटीना का महिला संघ ला रेवुएल्टा मांग करता है, "टेक योर रोजरीस आउट ऑफ आर ओवरीज". कैथोलिक देश में यह एनजीओ गर्भपात को वैध करने की मांग कर रहा है. यह संघ महिलाओं को दवाओं का इस्तेमाल कर गर्भपात की सलाह देता है.
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भ्रूण को जीने का हक
फैसले के बाद महिला ने कहा, "मैं और मेरे दोनों बच्चे, मेरे पति और उनके परिवार के साथ रहते हैं. मेरे परिवार में कोई भी यह बच्चा नहीं चाहता था, इसीलिए हम अदालत के पास आए. लेकिन अगर अदालत को लगता है कि गर्भपात नहीं हो सकता तो हम कानून का पालन करेंगे." अपनी याचिका में महिला ने कहा था कि उसके पति को यह बच्चा मंजूर नहीं है और अगर वह उसे जन्म देती है, तो पति उसे घर से निकाल देगा.
बलात्कार के मुद्दे को ध्यान में रखते हुए जस्टिस पर्दीवाला ने कहा, "मैं यह बात समझता हूं कि एक महिला के लिए अपनी कोख में उस बच्चे को रखना, जो कि बलात्कार का नतीजा है, ना ही केवल बहुत दुखद है, बल्कि अपमानजनक, भयावह और मनोवैज्ञानिक दृष्टि से खौफनाक है. खास कर भारतीय समाज में आप तिरस्कार और घृणा का मुद्दा बन जाते हैं. यह दुर्भाग्यवश है." जज ने कहा कि इन मुद्दों को ध्यान में रखते हुए भी वे इस बात को नजरअंदाज नहीं कर सकते कि यदि 28वें हफ्ते में गर्भपात होता है, तो एक जीवित बच्चे का जन्म होगा. उन्होंने कहा कि कानूनी दृष्टि से भ्रूण को जीने का हक है और वह छीना नहीं जा सकता.
महिला के बलात्कार के मुद्दे में सात में से तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है. अदालत ने पुलिस को आदेश दिए हैं कि बाकी चार आरोपियों को जल्द से जल्द हिरासत में लिया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि महिला के साथ, उसके परिवार की ओर से भी, किसी तरह का उत्पीड़न ना हो.