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बलात्कार होने पर पुलिस ने भी नहीं दिया साथ

२ अगस्त २०१८

दुनिया भर में चल रहे 'मीट टू' कैंपेन ने महिलाओं को आवाज उठाने की हिम्मत तो दी है, लेकिन न्याय का रास्ता बेहद मुश्किल है. चीन में एक महिला जब अपने साथ हुए बलात्कार की रिपोर्ट लिखवाने गई, तो पुलिस ने उसी से बदसुलूकी की.

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तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/M. Fludra

चीन के किनडाओ शहर में पढ़ने वाली रिनी रेन ने कुछ हफ्ते पहले रेप की शिकायत दर्ज कराई. उन्हें लगा कि उनकी पीड़ा को यूनिवर्सिटी और पुलिस प्रशासन समझेगा, लेकिन कार्रवाई के नाम पर लीपापोती होती देख वह निराश हो गईं. यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम के अधिकारी चाहते हैं कि वह कैंपस में नहीं, बल्कि बाहर बने होटल में रहें. अपने साथ ऐसा व्यवहार होता देख रेन को यूनिवर्सिटी के खिलाफ केस करना पड़ा.

रेन ने इससे पहले पुलिस थाने के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज कराया था जो अपने किस्म का पहला मामला था. दरअसल, रेन ने पाया कि रेप की शिकायत दर्ज कराने के बाद भी कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हो रही है और उनके केस को कमजोर किया जा रहा है.

उनका आरोप है कि पुलिस बार-बार कोशिश कर रही थी कि जिस छात्र पर उन्होंने रेप का इल्जाम लगाया है, उस पर केस फाइल न हो. आरोप है कि पुलिस ने ना तो मेडिकल जांच की और ना ही सीसीटीवी कैमरों की रिकॉर्डिंग को कब्जे में लिया, जो उनके केस को मजबूत बनाता. यूनिवर्सिटी के अधिकारियों का कहना है कि वे कैमरे के पासवर्ड भूल गए थे जिसके बाद पुलिस ने कार्रवाई बंद कर दी.

इन सबसे निराश होकर रेन ने यूनिवर्सिटी कैंपस में छात्रों को संबोधित कर समर्थन जुटाना शुरू किया और बीजिंग जाकर कानून विशेषज्ञों से सलाह ली. यह यूनिवर्सिटी प्रशासन को नागवार गुजरा और कथित तौर पर चुप कराने की कोशिश की. रेन और उनके माता-पिता का आरोप है कि पिछले महीने किनडाओ में जब अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित हुआ, तो उन्हें होटल के अंदर ही हिरासत में ले लिया गया.

रेन की इस लड़ाई ने चीन में 'मी टू' कैंपेन के नए रास्ते खोल दिए हैं. पिछले हफ्ते करीब 2 दर्जन महिलाएं सामने आईं और अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न का इल्जाम लगाया. सीसीटीवी चैनल में काम करने वाली इंटर्न ने मशहूर होस्ट झू जुन पर गलत तरीके से छूने का इल्जाम लगाया. पीड़िता का कहना था कि पुलिस ने उन्हें जुन के खिलाफ केस वापस लेने के लिए दबाव बनाया क्योंकि वह पॉपुलर शो स्प्रिंग फेस्टिवल गाला के होस्ट हैं और आम लोगों पर उनका पॉजीटिव असर है. एक अन्य पीड़िता ने हाईनन एयरलाइंस के ट्रेनी पायलट पर रेप की कोशिश का आरोप लगाया और पुलिस के निराशाजनक रवैये की जानकारी दी.

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चीन की सरकार ने किसी अशांति से बचने के लिए सोशल मीडिया की बहस पर सेंसरशिप लगा दी है. हालांकि रेन और उनके जैसी अन्य महिलाओं की कहानियों ने यह बहस तेज कर दी है कि अगर कोई महिला यौन उत्पीड़न की शिकायत करना चाहे, तो उसके साथ कैसे बर्ताव और भेदभाव किया जाता है. पत्रकार सोफिया हुआंग कहती हैं कि चीन में रेप पीड़िता को सिर्फ आरोपी से ही नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम के साथ संघर्ष करना पड़ता है.

रेन का केस चीन के लिए बड़ा उदाहरण है. वहां की अदालतें सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के अधीन आती है. कानून विशेषज्ञ लु शिआओकान के मुताबिक, ''चीन में सरकार या सरकारी मशीनरी के खिलाफ केस जीतने के उदाहरण बेहद कम मिलेंगे. अगर रेन मुकदमा जीत जाती हैं तो यह आने वाले मामलों के लिए मजबूत उदाहरण बनेगा.''

वीसी/आईबी (डीपीए)

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