दक्षिण अमेरिकी देश कोलंबिया में नीली चोंच वाला ब्लू बिल क्युरासाव पक्षी पाया जाता है. लेकिन आज यह पक्षी विलुप्त होने की कगार पर जा पहुंचा है. उस पर मंडराता खतरा कोलंबिया के कटते जंगलों की कहानी भी बताता है.
विज्ञापन
कोलंबिया के घने जंगल में पर्यावरण संरक्षक नीली चोंच वाले क्युरासाव को खोजकर उसे बचाने की कोशिश कर रहे हैं. क्रेसिड प्रजाति के ये पक्षी अब सिर्फ 300 से 500 रह गये हैं. वे सिर्फ इसी इलाके में पाये जाते हैं. प्रकृति संरक्षक सौभाग्यशाली हैं. उन्हें एक क्रैक्स अलबैर्ती मिल गया है. ये इस दुर्लभ पंछी का वैज्ञानिक नाम है. कोलंबिया के आदिवासियों के लिए क्युरासाव मिथकीय पक्षी है और उनकी जिंदगी का अहम हिस्सा है. उसे इलाके में हर कहीं सोने के मूर्तियों में देखा जा सकता है.
पर्यावरण संरक्षण संस्था प्रोआवेस के कर्मचारी लुई रुबेलिया कहते हैं, "ब्लू बिल क्युरासाव सिर्फ यहीं पाया जाता है. इसलिए प्रोआवेस ने ये जमीन खरीद ली है और इस इलाके के संरक्षण की जिम्मेदारी ली है. यह प्रजाति मुख्य रूप से लगातार जंगल कटने के कारण खतरे में है और बेरोकटोक शिकार के कारण भी. उनकी आबादी इतनी कम हो गई है कि वे लगभग खत्म हो चुके हैं."
प्रोआवेस ने एक खास इलाके को तो बचा लिया है लेकिन संरक्षित इलाके के बाहर जंगल का कटना अभी भी जारी है. मागदेलेना मिडियो इलाके में रोजाना आधा हेक्टर जंगल काट दिया जाता है. इसका खामियाजा अभी प्रकृति और देर सबेर लोगों को ही झेलना होगा. वैकल्पिक साधन न होने के कारण स्थानीय लोगों की जीविका लकड़ी के कारोबार और मवेशी पालन से ही चलती है. जहां पहले घना जंगल और प्रजाति विविधता हुआ करती थी, वहां आज बड़े बड़े चरागाह हैं. मिट्टी की गुणवत्ता कम हो रही है. इसलिए किसान खेती के लिए जंगलों को काटते जा रहे हैं.
पुयेर्तो पिजोन मोहल्ला संरक्षित क्षेत्र के पास है. यहां के लोग भी मुख्यतः दूध और पशुपालन पर निर्भर हैं. गांव में महिलाएं आमदनी के वैकल्पिक साधनों की तलाश में है. ताड़ के बीज से बनाए गये गहनों को बेचकर कमाई करना उनका नया बिजनेस आयडिया है. महिला कार्यकर्ता अलेखांद्रा कास्टेयोन इसकी एक और वजह बताती हैं, "ये प्रोजेक्ट हमारे लिए अहम है. ये हमें थोड़ी अतिरिक्त कमाई की संभावना देता है. अब तक सबकुछ यहां मवेशी पालन पर ही निर्भर है, लेकिन उसके जरिये हम जंगल और बहुत सी प्रजातियों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. हम दूसरा रास्ता अख्तियार करना चाहते हैं और जंगल को होने वाला नुकसान रोकना चाहते हैं."
दुनिया के सबसे रहस्यमयी जंगल
जंगल जीवन के लिए जरूरी ऑक्सीजन देते हैं. लेकिन कुछ ऐसे जंगल भी हैं जहां जाकर जान सूख जाए. देखिए ऐसे कुछ डरावने कुछ रहस्यमयी जंगल.
तस्वीर: AFP/Getty Images/J. Thys
ब्लैक फॉरेस्ट, जर्मनी
जर्मनी के ब्लैक फॉरेस्ट का तो नाम भी डरावना है. इसके बारे में जर्मनी में कई किस्से मशहूर हैं. भूतों, परियों और ऐसे कई चरित्रों की कहानियां इस पर आधारित हैं लेकिन दक्षिण पश्चिम जर्मनी के इस हिस्से में हाइकिंग के लिए जाने वाले इसे मजेदार अनुभव बताते हैं.
तस्वीर: picture alliance/dpa/D. Naupold
हेलेर्बोस फॉरेस्ट, बेल्जियम
हर साल बसंत में इस जंगल की धरती फूलों की चादर से ढक जाती है. यह है बैंगनी-नीले बेल्जियन फूलों का नजारा, जो यहां से गुजरने वालों को किसी परीलोक जैसा अनुभव कराता है.
तस्वीर: AFP/Getty Images/J. Thys
गॉब्लिन के जंगल, न्यूजीलैंड
इन जंगलों की खासियत है चमकने वाले हरे पेड़. चूंकि जमीन के इस हिस्से में साल के ज्यादातर वक्त बारिश होती रहती है, इसलिए सभी पेड़ों पर हरी काई जम जाती है. इससे पेड़ों में एक अलग तरह की चमक होती है.
तस्वीर: picture-alliance/blickwinkel/S. Sailer
राटा फॉरेस्ट, न्यूजीलैंड
ये जंगल ऐसे पेड़ों से भरा है जिनके टेढ़े मेढ़े सूखे तने और शाखाएं होती हैं. इस जंगल से हाइकिंग के कई रास्ते होकर निकलते हैं.
अब तक पता नहीं चला है कि इस जंगल के सभी पेड़ों का निचला हिस्सा एक ही तरह क्यों मुड़ा होता है. यहां 1930 के आसपास पाइन पेड़ों को उगाना शुरू हुआ. माना जाता है कि प्राकृतिक रूप से मुड़े हुए पेड़ पाने के लिए ही यहां पेड़ लगाए गए. लेकिन इसका रहस्य कोई नहीं जानता.
तस्वीर: picture-alliance/L. Halbauer
मॉस स्वॉम्प फॉरेस्ट, रोमानिया
रोमानिया सुंदर पहाड़ों और जंगलों वाला देश है. लेकिन यहां के जंगलों में बॉग मॉस से ढके हिस्सों में पहुंचने के लिए शायद पहले से थोड़ा रिसर्च करने की जरूरत पड़े.
तस्वीर: Imago/Nature Picture Library
आओकीगहोरो, जापान
यह जंगल जापान में माउंट फिजी की तलचटी में स्थित हैं. इसे पेड़ों का समंदर भी कहा जाता है क्योंकि यह बहुत घना जंगल है. अगर सावधानी ना बरती जाए, तो कोई भी इंसान खो सकता है. पैदल चलने वालों को यहां से गुजरते हुए पेड़ों पर निशान बनाते हुए चलने की हिदायत दी जाती है.
तस्वीर: cc-by-sa/ajari
होइया फॉरेस्ट, रोमानिया
होइया-बासिउ जंगल को दुनिया का सबसे पापी जंगल भी कहा जाता है. इसके बारे में धारणा वैसी ही है जैसे बरमूडा ट्राएंगल की. इसे "ट्रांसिल्वेनिया का बरमूडा ट्राइंगल" भी कहते हैं. किसी ने यहां यूएफओ यानी दूसरे ग्रहों के प्राणी देखने की बात कही है तो किसी ने भूत देखने की. जंगल के बीचोबीच एक ऐसे गोले की भी कहानियां प्रचलित हैं, जहां कई अजीब अजीब चीजें होती हैं.
तस्वीर: cc
ओजारेटा फॉरेस्ट, स्पेन
स्पेन के इस जंगल में खूबसूरत गोर्बिया नैचुरल पार्क भी स्थित है. यहां कई प्राचीन पेड़ पाए जाते हैं और वातावरण ज्यादातर धुंध से भरा होता है. इसी कारण यह जंगल एक रहस्यमयी आवरण में लिपटा मालूम पड़ता है.
तस्वीर: imago/Westend61
सिंगी जंगल, मैडागास्कर
इन्हें नुकीले जंगल भी कहा जाता है क्योंकि जंगल के इस हिस्से में चूना पत्थर के कई नुकीले सिरों वाली चट्टानें हैं. ये 70 मीटर तक ऊंची होती हैं और इन जंगलों का ऐसा भूगोल ही इसे दुनिया के सबसे खतरनाक राष्ट्रीय वनों में एक बनाता है. (आरपी/एके)
तस्वीर: cc-by-nc-sa-Ralph Kränzlein
10 तस्वीरें1 | 10
संरक्षित इलाके में महिलाएं ताड़ की खेती भी कर रही हैं ताकि उनके बीजों से वे आभूषण बनाया जा सके. यहां प्रकृति संरक्षक और स्थानीय निवासी मिलजुलकर काम कर रहे हैं. प्रोआवेस महिलाओं की तार की खेती में मदद कर रहा है और उनके द्वारा बनाये गये गहनों को देश भर में पर्यटकों के बीच बेचता भी है. पर्यटन यहां के लोगों के लिए उम्मीद की नई किरण है. नये लॉज बनाये जा रहे हैं जो कोलंबिया के दूर दराज के इलाकों से भी पर्यटकों और पक्षी प्रेमियों को आकर्षित करेंगे. बर्ड वॉचरों में ये संरक्षित इलाका बहुत लोकप्रिय है. यहां 350 प्रकार के पक्षियों का बसेरा है.
अलोंसो कुयेवेडो प्रोआवेस के डायरेक्टर हैं. पर्यावरण संरक्षण के लिए पैसा जुटाने की उनके पास एक रणनीति है, "संरक्षित क्षेत्र को बनाए रखने और उसके लिए धन जुटाने की हमारी रणनीति इको टूरिज्म और खासकर बर्ड वॉचिंग पर आधारित है. इसकी मदद से हम संरक्षित क्षेत्रों में स्थायी काम करवाने और उसे भावी पीढ़ियों के लिए बनाये रखने की कोशिश कर रहे हैं." यहां वन्य अधिकारी सिर्फ पक्षियों का ही ख्याल नहीं रखते, पशुओं को भी जीने लायक माहौल उपलब्ध कराते हैं. यहां की जीव विविधता में 80 प्रकार के रेंगने वाले जीव और उभयचर शामिल हैं. एक तरह से यह जीव जंतुओं के लिए सुरक्षित संसार है, लेकिन कोलंबिया में यह हरा भरा संसार लगातार सिमटता जा रहा है.
(भविष्य में नहीं दिखेंगे ये जानवर)
भविष्य में नहीं दिखेंगे ये जानवर
धरती पर जीवों और पेड़ पौधों की प्रजातियां लगातार कम होती जा रही हैं. 1970 की तुलना में कई जीवों की संख्या आधी हो गई है. विश्व वन्य जीव कोष के लिविंग प्लानेट इंडेक्स में यह जानकारी दी गई है.
तस्वीर: Broker Robert Harding
खेती के लिए
इस इंडेक्स के मुताबिक जर्मनी अपनी जरूरतों से दुगना ज्यादा संसाधन इस्तेमाल करता है. खास तौर पर खेती के मामले में. इस कारण बहुत बड़ी मात्रा में जानवरों का चारा आयात किया जाता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
मांस की बजाए सोया
जर्मनी दूसरे देशों की जैविक क्षमता का भी शोषण करता है. सिर्फ जर्मनी के लिए दक्षिण अमेरिका में 22 लाख हेक्टर इलाके में सोया पैदा की जाती है और अक्सर इस खेती की बलि चढ़ते हैं वर्षावन.
तस्वीर: Reuters
खतरे में गोरिल्ला
इन प्राणियों की संख्या पिछले 30 साल में 39 प्रतिशत घट गई है. वर्षावनों की कटाई और जंगलों के कम होने के कारण इनके निवास खत्म हो रहे हैं. रही सही कसर शिकारी पूरी कर देते हैं क्योंकि बंदरों का मांस खास माना जाता है.
तस्वीर: WWF/Brent Stirton
बेघर लीमर
लीमरों की तरह दिखने वाले ये बंदर मेडागास्कर में पाए जाते हैं और इस बीच विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुके हैं. वर्षावन इनके घर हैं जो लगातार कम हो रहे हैं. इसलिए 94 फीसदी लीमर खत्म होने का खतरा झेल रहे हैं. इसकी 22 प्रजातियां विलुप्त होने की स्थिति में हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
जंग से ओकापी को खतरा
जिराफ जैसे ये प्राणी कांगो में रहते हैं. इनकी कितनी संख्या बची है इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. 1990 के आंकड़ों के मुताबिक पश्चिमोत्तर कांगो में वन्यजीव अभयारण्य में 4,400 ओकापी रहते थे. दस साल बाद इनकी संख्या आधी हो गई. कांगो में जारी लड़ाई के कारण ये जीव खतरे में हैं.
तस्वीर: cc-by-sa-3.0/Raul654
घटते एशियाई हाथी
एशियाई हाथियों की संख्या 40,000 से 50,000 के बीच आंकी गई है. ये विशालकाय जीव भी खतरे में हैं. पिछली तीन पीढ़ियों से उनकी संख्या लगातार कम हो रही है. एशियाई हाथी बांग्लादेश, भूटान, भारत, चीन और इंडोनेशिया में पाए जाते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/Horst Galuschka
समुद्री जीव 40 प्रतिशत घटे
सालों से इंसान मांस, अंडो और कवच के लिए समुद्री कछुओं का शिकार कर रहा है. स्थिति यहां तक आ गई है कि वह विलुप्ति की कगार पर आ पहुंचे हैं. समंदर की प्रजातियां पिछले 30 साल में 39 फीसदी कम हो गई है.
तस्वीर: Broker Robert Harding
नदियों और झीलों में मरते जीव
मीठे पानी में रहने वाले जीव भी माहौल में बदलाव का शिकार हो रहे हैं. नदी की घाटी में बदलाव और नदियों के बहाव में बदलाव के कारण उनके जीवन पर असर पड़ रहा है. साथ ही नदियों और झीलों का प्रदूषण भी कई प्रजातियों को खत्म कर रहा है.
तस्वीर: Voith Hydro
प्रोटीन की जरूरत
मछलियों और झींगा से इंसानी भोजन में प्रोटीन की 15 फीसदी जरूरत पूरी होती है. अफ्रीका और एशिया के कई देशों में ये खाने में आधे से ज्यादा प्रोटीन देते हैं.