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बहरीन में सेना तैनात, अमेरिका परेशान

१८ फ़रवरी २०११

अरब मुल्कों में अपने करीबी साथी बहरीन में राजनीतिक संकट को देखते हुए अमेरिका परेशान हो गया है, जबकि विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों से निपटने के लिए बहरीन ने सेना को तैनात कर दिया है.

तस्वीर: AP

मध्य पूर्व के इस देश में सरकारी तंत्र ने जब पुलिस और सेना का प्रयोग शुरू किया, तो अमेरिका ने बहरीन से अपील की कि उसे लोगों पर बल प्रयोग नहीं करना चाहिए. बहरीन में पिछले कई दशकों से इस तरह का प्रदर्शन नहीं हुआ है. अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने बहरीन के विदेश मंत्री शेख खालिद बिन अहमद अल खलीफा से फोन पर बात की और कहा कि शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद देश में हिंसा नहीं होनी चाहिए.

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क्लिंटन ने कहा, "बहरीन हमारा दोस्त और साथी है. यह कई सालों से हमारा साथी है. हमने सरकार से कहा है कि वह संयम बरते और उन लोगों की जवाबदेही तय करे, जिन्होंने अत्यधिक बल प्रयोग किया है."

अमेरिकी विदेश मंत्री ने अरब राष्ट्रों से कहा है कि वे अपने नागरिकों की बातों पर ध्यान दे. यही बात उन्होंने सुन्नी मुस्लिम प्रशासित बहरीन सरकार से भी कही है.

बहरीन में संकट को लेकर अमेरिका भी दुविधा में पड़ा है. खाड़ी क्षेत्र का यह छोटा सा द्वीपीय देश अमेरिका के लिए बड़े कारगर सैनिक ठिकाने का काम करता है, जहां से अमेरिकी सैनिक बेड़े खाड़ी देशों, अफगानिस्तान और अफ्रीकी देशों में भी बड़ी आसानी से आ जा सकते हैं. यहां से वह ईरान, सोमालिया, यमन और अफगानिस्तान पर नजर भी रख सकता है.

तस्वीर: picture alliance/dpa

क्या करेगा विपक्ष

अगर बहरीन में विपक्षी शिया गुटों को अधिक अधिकार मिलता है तो इस बात का खतरा है कि वे अमेरिकी सैनिक अड्डों का विरोध करें. ईरान भी शिया बहुल राष्ट्र है, जो बहरीन के पास में है और जो अमेरिका का कट्टर विरोधी है.

बहरीन में अमेरिका के 30 युद्धक विमान तैनात हैं, जिनमें परमाणु हथियारों को ढोने में सक्षम पोत भी शामिल हैं. वहां तैनात अमेरिका के फिफ्थ फ्लीट में 30,000 सैनिक लगे हैं. यहां अमेरिका का पैट्रियट मिसाइल भी है, जिसका रुख ईरान की तरफ है. पश्चिमी देशों का कहना है कि ईरान परमाणु हथियार बना रहा है. ईरान इससे इनकार करता है.

तस्वीर: AP

बहरीन से पहले अमेरिका के समर्थक दो राष्ट्रों ट्यूनीशिया और मिस्र में सत्ता पलट चुकी है. अब इलाके में अस्थिरता से यहां के देशों के साथ साझेदारी बढ़ाने की अमेरिकी कोशिशों को झटका लग सकता है.

अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने बताया कि रक्षा मंत्री रॉबर्ट गेट्स ने टेलीफोन पर बहरीन के क्राउन प्रिंस शेख सलमान बिन हमाद अल खलीफा से बात की. हालांकि बातचीत का ब्योरा नहीं दिया गया.

इस बीच डेमोक्रैट नेता जॉन केरी ने बहरीन प्रशासन की भर्त्सना करते हुए कहा है कि प्रशासन का तरीका ठीक नहीं. उन्होंने कहा, "शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर आंसू गैस, लाठियां और रबर की गोलियों का इस्तेमाल ठीक नहीं है."

बहरीन का संकट

बहरीन में शिया बहुसंख्यक हैं लेकिन सत्ता सुन्नी परिवार के हाथों में है. यह तेल का बड़ा उत्पादक देश है और फारस की खाड़ी का मोती नाम से मशहूर है. जानकारों का कहना है कि अल खलीफा परिवार देश में लोकतंत्र स्थापित करने में नाकाम रहा है. हालांकि बहरीन की शिया आबादी ईरान के शिया प्रशासन से बहुत प्रभावित नहीं है.

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन अरब देशों में विरोध प्रदर्शन करने वालों का साथ तो देते दिख रहे हैं लेकिन खुल कर विपक्षी पार्टियों के हक में नहीं बोल रहे हैं. अमेरिका को कहीं न कहीं इस बात का खतरा सता रहा होगा कि अमेरिका के सहयोगी देशों में विपक्ष के मजबूत होने से अरब देशों के बीच उनके प्रमुख सहयोगी इस्राएल की स्थिति कमजोर हो सकती है.

बहरीन में सत्ता विरोधी प्रदर्शनों में तीन लोगों की मौत हो गई है, जबकि 200 से ज्यादा घायल हो गए हैं. सरकार ने विरोध प्रदर्शन रोकने के लिए सेना को तैनात कर दिया है और राजधानी मनामा की सड़कों पर बख्तरबंद गाड़ियों के साथ टैंकें भी दिख रही हैं.

रिपोर्टः रॉयटर्स/ए जमाल

संपादनः एन रंजन

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