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"बत्तख जैसे चलती हैं जापानी महिलाएं"

२४ जून २०१६

फेमिनिस्ट और फैशन पुलिस दोनों को छेड़ने वाला कदम उठाया है जापान के हाई हील एसोसिएशन ने. कई दशकों से पारंपरिक पोशाक किमोनो पहनने वाली महिलाओं की झुक गई काठी को ठीक करने के लिए पेश किया है यह दिलचस्प उपाय.

Taifun "Nangka" erreicht Japan
तस्वीर: picture-alliance/dpa/E. Kennedy Brown

हाई हील एसोसिएशन का कहना है कि महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए उन्होंने अपना यह अभियान छेड़ा है. इसका तरीका है, महिलाओं को ऊंची एड़ी वाले जूते पहनने के लिए प्रोत्साहित करना. कंपनी का मानना है कि जापान में ऐतिहासिक रूप से किमोनो पहनने की संस्कृति के कारण कितनी ही औरतों का पोश्चर खराब हो चुका है और वे झुक गई हैं.

एसोसिएशन वाले महिलाओं का आह्वान करते हुए कहते हैं कि समय आ गया है कि वे व्यवहारिक के बजाए ऊंची एड़ी वाले जूते लें. इनका मानना है कि ऊंचे दिखने से ना केवल महिलाओं की चाल में सुधार आता है बल्कि उनका आत्मविश्वास भी बढ़ता है.

तस्वीर: Herlinde Koelbl

चाल पर बवाल

एसोसिएशन की मैनेजिंग डायरेक्टर 'मदाम' युमिको टोक्यो से बातचीत में टिप्पणी करती हैं, "जापानी महिलाएं बत्तख जैसे चलती हैं." यही नहीं युमिको कहती हैं कि महिलाएं "छोटे छोटे कदम लेती बत्तख की तरह लहराते हुए, कबूतर के पंजों के तरह पैर रखते हुए, और पिछवाड़े को बाहर निकाले ऐसे चलती हैं जैसे उन्हें टॉयलेट जाने की जरूरत हो. यह बहुत बुरा लगता है."

इस तस्वीर को सुधारने का बीड़ा उठाने वाली युमिको की कंपनी में केवल महिलाएं काम करती हैं. वे एटीकेट के पाठ पढ़ाने के लिए हजारों डॉलर की फीस लेती हैं और इसमें वे महिलाओं को सही तरीके से चलना भी सिखाती हैं, वो भी ऊंची एड़ी के जूतों में.

कई आलोचक इस विचार को बेहद सेक्सिस्ट और हास्यास्पद मानते हैं. जापानी समाज में आज तक पितृसत्तात्मक संस्कृति गहरी पैठ बनाए हुए है. आर्थिक विकास के मोर्चे पर झंडे गाड़ चुके जापान में महिलाएं खुद को आज भी समाज में बराबरी के दर्जे से काफी पीछे पाती हैं.

फिर भी युमिको के इस आइडिया को लपकने वाले बहुत लोग हैं. उनकी "वॉकिंग एटीकेट" क्लास काफी लोकप्रिय हो रही है. अब तक 4,000 से अधिक महिलाओं ने इसमें हिस्सा लिया है. और देश में ऐसे ही कई ट्रेनिंग स्कूल खुलते जा रहे हैं. 48 साल की पूर्व बैलेरीना युमिको देश के पारंपरिक कपड़ों को महिलाओं की खराब शारीरिक मुद्रा के लिए जिम्मेदार मानती हैं. वे कहती हैं, "चीनी या कोरियाई महिलाओं को तो ऐसी समस्या नहीं है... ये जापान के किमोनो कल्चर और भूसे से बने सैंडिलों में खिसक खिसक के चलने का नतीजा है."

तस्वीर: Colourbox/M. Tatarenko

हील वाली फेमिनिस्ट?

आजकल बहुत कम जापानी ही दिन भर किमोनो पहनते हैं. पश्चिमी सभ्यता के बारे में जानने की सलाह देने वाली युमिको इसीलिए ऊंची एड़ी के जूते पहनने की सलाह देती हैं. 19वीं सदी के आखिरी सालों में ही पारंपरिक जापानी ड्रेस किमोनो पहनने का चलन घटता चला गया. ऊंची एड़ी के जूतों ने तो 1980 के दशक में जापानी फैशन में जगह पाई.

जापान में हाई हील के लिए यह आह्वान और भी दिलचस्प हो जाता है क्योंकि ठीक इसी समय पश्चिमी देशों में इसे लेकर संघर्ष छिड़ा है कि महिलाओं को क्या पहनना चाहिए, इसके लिए नियम ना हों.

हॉलीवुट स्टार जूलिया रॉबर्ट्स ने इस साल कान फिल्म फेस्टिवल के दौरान नंगे पांव रेड कार्पेट पर चल कर एक खास संदेश दिया. बीते साल इसी समारोह में एक महिला को आने से इसलिए रोका गया था क्योंकि उसने ड्रेस कोड के अनुसार हाई हील्स नहीं पहनी थीं.

मई में 100,000 से अधिक ब्रिटिश लोगों ने संसद के सामने एक याचिका रखी है कि पहले से चले आ रहे ऐसे ड्रेस कोड बदले जाएं, जिसमें महिलाओं को दफ्तर में हील के जूते पहनना जरूरी है. अब इस अभियान को कई बड़े राजनेताओं का समर्थन मिल चुका है.

जापान की ही एक प्रतिष्ठित सामाजिक टीकाकार मित्सूको शिमोमुरा ने युमिको के हील वाले आइडिया को "बकवास" बताते हुए कहा है कि "ऊंची एड़ी के जूते पहनने और महिलाओं के सशक्त होने में कोई संबंध नहीं है. ऐसा सोचना भी पागलपन है."

आरपी/आईबी (एएफपी)

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