बहुमूल्य धातुएं तिजोरी में
१ अगस्त २०१३ये धातुएं धरती पर बहुत कम पाई जाती हैं और इसीलिए बेहद महंगी भी होती हैं. इनमें लैंथेनम, यूरोपियम, नियोडीमियम और इरिट्रियम शामिल हैं. पूर्वी जर्मन शहर केमनित्स में इस खास खनिज यानी रेअर अर्थ का यूरोप का सबसे बड़ा गोदाम है. यहां करीब अस्सी हजार टन रेअर अर्थ रखा जा सकता है. रेअर अर्थ से खूब पैसे कमाए जा सकते हैं और जर्मनी इसका फायदा उठा रहा है.
खनिज से धातु निकालने की प्रक्रिया महंगी है. कई बार आप एक टन खनिज से बिना ज्यादा नुकसान के पांच किलो तक रेअर अर्थ निकाल सकते हैं. इसके अलावा रेअर अर्थ को सुरक्षित करना भी अहम काम होता है. इसके लिए फ्रैंकफर्ट में दूसरे विश्व युद्ध के दौरान बनाए गए बंकर को तैयार किया जा रहा है. यहां केवल दरवाजा ही करीब चार टन का है.
इन धातुओं की कीमत सोने या चांदी से कम नहीं. लांथानम, यूरोपियम, जर्मेनियम सहित चौदह और धातुओं के बिना तकनीक आगे बढ़ने की क्षमता नहीं रखती. इनकी खोज और निष्कर्षण की तकनीक में विकास होने के साथ इनके दाम में पहले के मुकाबले कमी आई है. जर्मन कंपनी ट्राडियम इंकॉर्पोरेटड के महानिदेशक माथियास रूस कहते हैं, "इस समय एक छोटी सी बोतल की कीमत करीब 400 डॉलर है. लेकिन पता होना चाहिए कि इतिहास में पहली बार यह इतना सस्ता है. मतलब कि कुछ दिन पहले इस क्वालिटी के लिए हम ढाई हजार डॉलर दे रहे थे." इन दुर्लभ धातुओं को बेचने वाले व्यापारी इन्हें तिजोरी में रखते हैं.
दुर्लभ धातुओं को इतनी एहतियात से रखने की एक और वजह भी है. जर्मन कंपनी कमोडिटी ट्रेड प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजिंग पार्टनर इंगो वोल्फ ने बताया, "इन्हें अच्छी तरह सुरक्षित रखना होता है, एक ऐसी जगह में जहां कोई और नहीं आ सकता और इसकी वजह बहुत मामूली है. दुर्लभ धातुओं में मिलावट का खतरा रहता है. यह एक पाउडर की तरह दिखती हैं, नीले या सफेद रंग की. इसे मैदे में मिला दिया जाए तो एक अनुभवी व्यापारी भी तुरंत नहीं बता पाएगा कि इसमें मिलावट की गई है. इसलिए इन्हें ध्यान से रखना पड़ता है."
फिलहाल ज्यादातर दुर्लभ धातुएं जर्मनी में चीन से लाकर गोदामों में रखी जा रही हैं. 2018 से जर्मनी में दुर्लभ धातुओं को निकालना शुरू किया जाएगा. तब तक इस खजाने का विस्तार चलता रहेगा. उसके बाद यहां अरबों डॉलर के रेअर अर्थ रखे जाएंगे.
रिपोर्टः हागेन टोबर/एसएफ
संपादनः एन रंजन