बांग्लादेशी छात्र पर आतंक का आरोप
१८ अक्टूबर २०१२![](https://static.dw.com/image/16312950_800.webp)
न्यूयॉर्क के अधिकारियों का कहना है कि नफीस के अमेरिका आने का "मकसद आतंकी हमले करना" था और यहां आने के बाद वह सक्रिय रूप से अल कायदा के संपर्क में रहा. हालांकि 21 साल के नफीस के परिवार वालों का कहना है कि उसमें कभी भी कट्टर प्रवृतियां नहीं दिखाई पड़ीं. वह एक सच्चा मुसलमान था जिसकी गिरफ्तारी से उन्हें गहरा धक्का पहुंचा है. नफीस के पिता काजी मुहम्मद अहसानुल्लाह ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "हम हैरान हैं. नफीस कट्टर नहीं था. वह दिन में पांचों वक्त नमाज अदा करता है और हर रोज पवित्र कुरान और हदीस का पढ़ता है. मैंने उसे कभी भी जिहाद पर कोई किताब पढ़ते नहीं देखा. हम नहीं मानते कि वह ऐसा कर सकता है."
नफीस ने कथित रूप से एक बयान लिखा है जिसमें उसने साजिश बना कर हमला करने की जिम्मेदारी कबूली है. इस बयान में उसने कहा है कि वह "अमेरिका को खत्म" करना चाहता है साथ ही उसने अल कायदा के संस्थापक ओसामा बिन लादेन को अपना "प्रिय" कहा है. नफीस पर महाविनाश के हथियार का इस्तेमाल करने और अल कायदा को मदद की कोशिश करने का आरोप लगा है. संघीय अभियोजन विभाग ने कहा है कि उसने, "अमेरिका के भीतर आतंकी गुट बनाने के लिए लोगों की भर्ती करने की कोशिश की."
उधर नफीस के पिता का कहना है कि उनके बेटे की मुख्य चिंता कंप्यूटर साइंस के कोर्स की फीस की थी. इसके साथ ही क्वींस में जिस अपार्टमेंट में वह अपने किसी रिश्तेदार के साथ रह रहा था उसका किराया चुकाना भी उसके लिए भारी पड़ रहा था. अहसानुल्लाह के मुताबिक इसके लिए वह हर दिन होटल में 10 घंटे काम कर रहा था.
नफीस का परिवार राजधानी ढाका के दक्षिणपूर्व में मध्यमवर्गीय इलाके उत्तरी जात्राबाड़ी में रहता है. उसके पिता नेशनल बैंक के सीनियर वाइस प्रेसीडेंट हैं और उसकी बहन डॉक्टर है. नफीस के जीजा आरिक ने कहा कि गिरफ्तारी से कुछ ही घंटे पहले उन्होंने नफीस से बात की थी और उस दौरान उसके लिए दुल्हन पर भी चर्चा हुई. आरिक ने कहा, "हमें सुबह सुबह यह खबर मिली कि घर में सारे लोग रो रहे हैं. बांग्लादेश में नफीस ने कभी किसी तरह की कोई कट्टरता नहीं दिखाई."
नफीस हाईस्कूल में अच्छा छात्र था. बाद में उसने नॉर्थ साउथ यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया जो देश की सबसे उदार और महंगी यूनिवर्सिटी है. नॉर्थ साउथ यूनिवर्सिटी एक निजी संस्थान है जहां ज्यादातर उच्चवर्गीय छात्र पढ़ने आते हैं. यहां लड़के लड़कियां आसानी से एक दूसरे से मिलते हैं और आमतौर पर पश्चिमी देशों जैसे कपड़े पहनते हैं. यूनिवर्सिटी के अधिकारियों का कहना है कि नफीस यहां इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग एंड टेलीकम्युनिकेशन का छात्र था. आठवें सेमेस्टर में उसके पढ़ाई की स्थिति अच्छी नहीं थी और परीक्षा में खराब नंबर आने के बाद उसे पढ़ाई छोड़ने पर विवश होना पड़ा. यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता बिलाल अहमद ने बताया, "पिछले साल दिसंबर में उसने परीक्षा में सबसे कम नंबर पाए. वह पहले से ही तीन सेमेस्टर से प्रोबेशन पर चल रहा था."
नफीस के परिवार वालों ने जानकारी दी और उसके फेसबुक पेज से पता चला है कि इसके बाद वह अमेरिका चला आया जहां उसने पहले मिसौरी सदर्न स्टेट यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया. उसके पिता का कहना है, "हम डरे हुए थे कि वह अमेरिका जाने के बाद बिगड़ जाएगा लेकिन उसने भरोसा दिया कि वह सच्चा मुसलमान बना रहेगा. उसने मिसौरी यूनिवर्सिटी में सिर्फ एक सेमेस्टर की पढ़ाई लेकिन वह बहुत खर्चीला था. उसके बाद वह न्यूयॉर्क चला गया और एक होटल में नौकरी कर ली."
एनआर/ओएसजे (एएफपी)