ट्री मैन के नाम से मशहूर बांग्लादेश के अब्दुल बाजनदार जल्द ही अपने इलाज के बाद अस्पताल से घर जा सकेंगे. 10 साल पहले उनके हाथ और पैरों से पेड़ जैसी लताएं निकलने लगीं थी जिसके बाद पिछले साल से उनका इलाज शुरू किया गया था.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/S.Ramany
विज्ञापन
बाजनदार के हाथ और पैरों का अतिरिक्त 5 किलो वजन निकालने के लिए अब तक 16 सर्जरियों की जा चुकी हैं और पिछले एक साल से वे डॉक्टरों की निगरानी में हैं. इस बीमारी के पहले 27 साल के बाजनदार बांग्लादेश में ही रिक्शा चलाते थे. ये दुनिया के चौथे ऐसे इंसान है जिनमें यह बीमारी पाई गई है अब तक दुनिया में इपिडरमोडिप्लासिया वेरयुफोरमिस नामक इस अजीबोगरीब बीमारी के चार ही मामले सामने आए हैं, जिसे आम बोलचाल में ट्री मैन बीमारी कहा जाता है. इस बीमारी के चलते बाजनदार अपनी तीन साल की बेटी तक को उठाने में असमर्थ थे.
ढाका मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के प्लास्टिक सर्जरी कॉर्डिनेटर समांत लाल सेन कहते हैं कि बाजनदार का इलाज चिकित्सा जगत के इतिहास में मील का पत्थर साबित होगा. उन्होंने बताया कि बाजनदार के शरीर से इन लताओं को हटाने के लिए 16 ऑपरेशन किए गए हैं, और अब इनके हाथ-पैर एकदम ठीक है और इन्हें अगले 30 दिनों में अस्पताल से घर जाने की इजाजत भी मिल जाएगी. लेकिन इस बीच इनके हाथ-पैरों को सामान्य हालत में लाने के लिए कुछ छोटे-मोटे ऑपरेशन किए जाएंगे.
जानिए एंटीबायोटिक खाने के कायदे
एंटीबायोटिक खाने के कायदे
एंटीबायोटिक के खतरे को लेकर दुनियाभर में बात हो रही है. इन दवाओं का अनियमित इस्तेमाल बहुत नुकसान पहुंचा रहा है. जानिए, क्या हैं इन दवाओं को खाने के कायदे...
तस्वीर: picture-alliance/dpa/F. May
जानलेवा संक्रमणों से लड़ने के लिए एंटीबायोटिक अब भी एक कारगर हथियार है लेकिन इसके नुकसान बहुत हैं. इसीलिए दुनिया फिक्रमंद है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/F. May
भारत में एंटीबायोटिक के प्रतिरोधी संक्रमणों से कारण हर साल 50 हजार से ज्यादा बच्चों की जान जा रही है. इसे सुपरबग कहा जाता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
एंटीबायोटिक का असर कम होने के कारण बैक्टीरिया इतने मजबूत हो चुके हैं कि हर साल सात लाख लोग इस कारण जान से जा रहे हैं. 2050 तक यह तादाद करोड़ों में पहुंच सकती है.
तस्वीर: Isna
एंटीबायोटिक दवाएं लड़ती हैं बैक्टीरिया से पैदा होने वाली बीमारियों से. इसका मतलब है कि वे वायरस से नहीं लड़ सकतीं. इसलिए सर्दी जुकाम जैसी बीमारियों में एंटीबायोटिक नहीं लेनी चाहिए.
तस्वीर: Fotolia
यह दवा सिर्फ पानी के साथ खाई जानी चाहिए. दूध आदि डेयरी प्रॉडक्ट्स इसके प्रभाव को कम कर देते हैं. एक पूरा गिलास पानी पीकर दवा लेनी चाहिए और उसके दो घंटे बाद तक दूध से बनी चीज न खाएं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/K.Remmers
एंटीबायोटिक का पूरा एक कोर्स होता है. इसे अचानक नहीं छोड़ना चाहिए. अगर आप थोड़ा सा आराम महसूस होते ही दवा खाना बंद कर देते हैं तो बीमारी के बैक्टीरिया और ताकतवर हो जाते हैं.
तस्वीर: DW
पुरानी एंटीबायोटिक दवाएं लगातार कम असरदार होती जा रही हैं क्योंकि जीवाणुओं ने उनके खिलाफ प्रतिक्षमता पैदा कर ली हैं. इसलिए पुरानी दवाएं लेने से परहेज करें.
तस्वीर: picture-alliance/ZB/H. Wiedl
कुदरती एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल करें. जैसे कि शहद.
तस्वीर: Colourbox
वायरस का हमला होने पर कुदरती चीजों का इस्तेमाल शरीर की प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाता है. जैसे कि सर्दी होने पर अदरक की चाय शरीर को मजबूत करती है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/P. Pleul
बच्चों के लिए मां का दूध एंटीबायोटिक का ही काम करता है और उनकी बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ाता है.
तस्वीर: Fotolia/evgenyatamanenko
10 तस्वीरें1 | 10
सेन का भरोसा है कि अब्दुल इस बीमारी से निजात पाने वाले दुनिया के पहले इंसान होंगे और फिर से इनके शरीर पर लताएं नहीं उगेंगी. पिछले वर्ष एक इंडोनेशियाई व्यक्ति की इस बीमारी के चलते मौत हो गई थी.
ढाका मेडिकल कॉलेज अस्पताल इनका मुफ्त इलाज कर रहा है. अस्पताल के अपने बिस्तर से बात करते हुए बाजनदार कहते हैं कि उनका यह दर्द असहनीय था, अपने हाथ पर बंधी पट्टियों की ओर देखते हुए वह कहते हैं कि मैंने कभी नहीं सोचा था कि किसी दिन मैं अपने बच्चे को अपने हाथों में उठा सकूंगा. बाजनदार ने कहा कि अब मुझे बेहतर महसूस हो रहा है अब मैं अपनी बेटी को गोद में ले सकता हूं और उसके साथ खेल भी सकता हूं, मुझसे तो घर जाने का इंतजार ही नहीं हो रहा है.
हजारों रुपये में मिलता है गधी का एक लीटर दूध, देखिए
गधी के दूध की बढ़ी मांग, हजारों में मिलता है एक लीटर
दक्षिण पूर्वी यूरोप के देश मोंटेनीग्रो में इन दिनों गधी के दूध की मांग खासी बढ़ गई है. इस दूध को बेहद स्वास्थ्यवर्धक बताया जा रहा है और एक लीटर 50 यूरो यानी साढ़े तीन हजार रुपए तक में बिक रहा है.
तस्वीर: Reuters
नई जिंदगी
समाचार एजेंसी एएफपी ने खबर दी है कि गधी के दूध की बढ़ती मांग को देखते हुए मोंटेनीग्री में गधों को एक नई जिंदगी मिल गई है.
तस्वीर: DW/G. Tedla
सेहत के लिए
गधी का दूध खरीदने वालों का कहना है कि यह सेहत के लिए बहुत ही अच्छा होता है.
तस्वीर: picture alliance/WILDLIFE
कम मिलता है दूध
डारको बताते हैं कि गधी से उतना दूध हासिल नहीं किया जा सकता है जैसे गाय और भैंस से मिलता है. यह जानवर बहुत कम मात्रा में दूध देता है.
तस्वीर: Getty Images/University of Idaho/P. Schofield
त्वचा के लिए फायदेमंद
गधों के एक फार्म के मालिक डारको स्वेलजिक का कहना है, “ये दूध त्वचा के लिए बहुत अच्छा होता है. और इसके इस्तेमाल से कई बीमारियों से बचा जा सकता है.”
तस्वीर: DW
फायदा हुआ
वेलेरिया मार्कोविक नाम की महिला का कहना है कि उनके बेटे को कई तरह की एलर्जी थी और गधी के दूध से उनके बेटे को काफी फायदा हुआ है.
तस्वीर: Reuters/P. Bulawayo
गधी के दूध से स्नान
वेलेरिया का कहना है कि उन्होंने ये भी सुन रखा है कि दुनिया में सुंदरता की मिसाल कही जाने वाली क्लियोपेट्रा गधी के दूध से नहाती थी.
तस्वीर: imago/United Archives
रिसर्च के संकेत
साइप्रस यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर फोटिस पापादेमस का कहना है कि रिसर्च से पुख्ता संकेत मिलते हैं कि कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों के लिए गधी का दूध फायदेमंद होता है.
तस्वीर: Munaf Al-saidy
सबसे महंगा चीज
वैसे गधी के दूध को मोंटेनीग्रो के पड़ोसी देश सर्बिया में भी पसंद किया जाता है. वहां इससे बने 50 ग्राम चीज को लगभग 48 यूरो में बेचा जाता है. इसे दुनिया का सबसे महंगा चीज माना जाता है. (फोटो सांकेतिक है)
मोंटेनीग्रो में 2010 के आंकड़ों के मुताबिक गधों की संख्या 500 थी. लेकिन गधों के एक फार्म के मालिक डारको का कहना है कि अब सिर्फ 150 गधे बचे हैं.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/R. Gul
मशीनों ने ली जगह
वो बताते हैं कि दशकों पहले मोंटेनीग्रो में लगभग हर घर में गधे पाए जाते थे, लेकिन वक्त के साथ इनकी जगह काम करने के लिए मशीनें इस्तेमाल की जाने लगीं.
तस्वीर: DW/M. Akinou
उम्मीद
वो उम्मीद करते हैं कि इस जानवर के प्रति अब लोगों में जागरूकता पैदा होगी जिससे इसे बचाने में मदद मिलेगी.
तस्वीर: Reuters
11 तस्वीरें1 | 11
बांग्लादेश के दक्षिणी तटीय जिले खुलना के एक छोटे से गांव के बाजनदार अपने हाथ-पैर से निकलने वाली इन लताओं के चलते काफी मशहूर हो गए हैं. इन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने काफी जगह दी है. बाजनदार अपनी पत्नी हालिमा खातून से इस बीमारी के होने से पहले मिले थे, लेकिन शादी तक आते-आते उन्हें इस बीमारी ने जकड़ लिया था. लेकिन अपने मां-बाप के खिलाफ जाकर हालिमा ने बाजनदार से शादी की थी.
पिछले साल अस्पताल में बाजनदार के भर्ती होने के बाद से ही उनका परिवार भी उनके साथ अस्पताल में ही रह रहा था. ढाका अस्पताल की एक डॉक्टर नूरून नाहर कहती है कि यह अस्पताल में सबसे अधिक समय तक रहने वाले मरीज है और सबके चहेते भी हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Z.H.Chowdhury
बाजनदार को पहले लगता था उनके शरीर से निकलने वाली ये लताएं नुकसानदेह नहीं है लेकिन धीरे-धीरे जब ये हाथ-पैरों में फैल गई तो उनके लिए काम करना मुश्किल हो गया था. अब बाजनदार देश-विदेश से मिली आर्थिक मदद से एक छोटा मोटा काम धंधा शुरू करने की योजना बना रहे हैं हालांकि उन्हें यह भी चिंता सता रही है कि कही ये बीमारी उनकी बेटी को न नुकसान पहुंचाए. वह कहते हैं कि मैं अपनी बेटी के लिए चिंतित हूं, साथ ही उम्मीद करता हूं कि यह बीमारी मेरी बेटी को न सताए.