बांग्लादेश के एक हमलावर की उम्र महज 18 साल थी. अच्छे परिवार का यह लड़का कैसे कट्टरपंथियों के हाथ लग गया? पिता भी इसी सवाल का जवाब खोज रहे हैं.
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रमजान के महीने का आखिरी जुम्मा था. मीर हैयत कबीर उम्मीद लगाए बैठे थे कि शायद आज तो बेटा घर लौट ही आएगा. चार महीने से बेटे की कोई खबर नहीं थी. यह भी समझ नहीं आ रहा था कि खुद ही घर छोड़ कर चला गया है या किसी के कब्जे में है. लेकिन ईद पर तो बुरे लोगों का भी दिल पिघल जाता है. पिता ने सुना था कि बांग्लादेश में अपहरणकर्ता भी कई बार ईद के मौके पर लोगों को छोड़ दिया करते हैं.
उसी रात बेटे की खबर तो आई लेकिन ये खबर दिल तोड़ देने वाली थी. 18 साल का मीर सामेह मुब्बशीर ढाका में पुलिस के हाथों मारा गया था. वो उन पांच बंदूकधारियों में से एक था जिन्होंने ढाका के एक रेस्तरां पर हमला कर बीस लोगों की जान ली थी.
देखें, इस रमजान हुए इन 8 देशों में हमले
इस रमजान हुए इन 8 देशों में हमले
रमजान के पवित्र महीने के दौरान दुनिया भर में 8 देशों में हुए आतंकी हमलों में करीब 350 लोग मारे गए हैं. इनमें से ज्यादातर हमलों के तार कट्टरपंथी संगठन आईएस के साथ जुड़े हैं.
तस्वीर: Reuters/Antara Foto/M. Surya
अमेरिका
12 जून को एक बंदूकधारी ने फ्लोरिडा के ऑरलैंडों में एक व्यस्त समलैंगिक क्लब में अंधाधुंध गोलियां चलाकर 49 लोगों की जान ले ली. पुलिस का कहना है कि हत्यारे ने आईएस के साथ होने का दावा किया था, जिसने उसे खिलाफत का सिपाही बताया था. लेकिन इस बात के सबूत नहीं हैं कि वह हमले से पहले आईएस के संपर्क में था.
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जॉर्डन
21 जून को सीरिया से लगी जॉर्डन की सीमा पर एक सैनिक पोस्ट पर कार बम से हमला किया गया. इसमें सात सैनिक मारे गए. यह पिछले कई सालों में सल्तनत का सबसे खूनी आतंकी हमला था. इस हमले की जिम्मेदारी भी आईएस ने ली.
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यमन
27 जून को आईएस से जुड़े एक गुट ने देश के दक्षिणी शहर मुकाला में कई हमले किए जिसमें 43 लोग मारे गए. ज्यादातर लोग खुफिया एजेंसियों और सुरक्षा बलों के सदस्य थे. एक हमले में बम रोजा खोलने के लिए सैनिकों के लिए भेजे गए खाने में रखा गया था. 6 जुलाई को अदन हवाई अड्डे के पास सैनिकों पर हुए कार बम हमले में 10 लोग मारे गए.
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लेबनान
27 जून को सीरिया की सीमा से लगे लेबनान के एक छोटे से ईसाई गांव में 8 आत्मघाती हमलावरों ने दो चरणों में हमला किया. इन हमलों में 5 लोगों की जान ले ली गई. इस हमले की जिम्मेदारी किसी ने नहीं ली.
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तुर्की
28 जून को राइफलों से लैस तीन आत्मघाती हमलावरों ने विश्व के व्यस्ततम हवाई अड्डों में शामिल इस्तांबुल हवाई अड्डे पर हमला किया. हमले में 44 लोग मारे गए और 150 से ज्यादा घायल हो गए. किसी ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है लेकिन तुर्की के अधिकारी इसके लिए आईएस को जिम्मेदार मानते हैं.
तस्वीर: Reuters/O. Orsal
मलेशिया
28 जून को कुआलालम्पुर में एक बार पर ग्रेनेड फेंका गया जब वहां लोग यूरो 2016 का फुटबॉल मैच देख रहे थे. हमले में 8 लोग घायल हो गए. मलेशिया के अधिकारियों का कहना है कि मुस्लिम बहुल देश पर यह आईएस का पहला हमला है. हमले का आदेश सीरिया में आईएस के साथ लड़ रहे एक मलेशियाई व्यक्ति ने दिया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/A.Yusni
बांग्लादेश
1 जुलाई को छूरों, ऑटोमैटिक राइफल और बमों से लैस हमलावरों ने ढाका में एक पॉश रेस्तरां पर हमला किया और 35 लोगों को बंधक बना लिया. पुलिस कार्रवाई में मारे जाने से पहले हमलावरों ने 20 बंधकों को मार डाला. उनमें भारतीय लड़की तारिषी भी थी. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार कुरान की आयतें न पढ़ पाने वालों को यातना भी दी गई. हमले की जिम्मेदारी आईएस ने ली.
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इराक
3 जुलाई को बगदाद में एक ट्रक की मदद से हुए आत्मघाती हमले में 175 लोग मारे गए. यह इराकी गृहयुद्ध के 13 वर्षों में सबसे भयानक हमला था. हमले की जिम्मेदारी आईएस ने ली और साथ ही कहा कि वह शिया समुदाय के लोगों को निशाना बना रहा है.
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सऊदी अरब
4 जुलाई को आत्मघाती हमलावरों ने मदीना की पवित्र मस्जिद सहित जहां पैगम्बर मोहम्मद दफ्न हैं, सऊदी अरब के तीन शहरों पर हमला किया. मदीना में हुए हमले में चार सैनिक मारे गए. एक पाकिस्तानी नागरिक ने जेद्दाह में अमेरिकी कंसुलेट के बाहर हमला किया जिसमें दो सुरक्षाकर्मी घायल हो गए. हमलों की जिम्मेदारी किसी ने नहीं ली.
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इंडोनेशिया
5 जुलाई को एक आत्मघाती हमलावर ने जावा के सोलो में एक पुलिस स्टेशन के बाहर हमला किया. इसमें एक पुलिकर्मी घायल हो गया. पुलिस का कहना है कि हमलावर सीरिया में आईएस के साथ लड़ रहे एक प्रमुख इंडोनेशियाई नागरिक के साथ जुड़ा हुआ है.
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पिता सदमे में हैं, समझ नहीं पा रहे कि बेटे ने यह राह क्यों चुनी होगी. मुब्बशीर ने अपना बचपन गरीबी या मुश्किलों के बीच नहीं बिताया था. वह ढाका का "अच्छे घर का लड़का" था, रोज स्कूल जाने वाला, कम बोलने वाला. "कहीं तो कुछ गलत हुआ है, कहीं कुछ गड़बड़ हुई है", अपने आंसू रोकते हुए पिता बार बार यही दोहराते हैं. उन्हें बार बार अखबारों और टीवी में अपने बेटे का नाम देखने को मिल रहा है लेकिन उन्हें यकीन नहीं हो रहा कि उनका बेटा आतंकियों से जा मिला, "मैं मानने को तैयार नहीं कि मेरे बेटे ने खुद ऐसा किया, अपनी सोच समझ से."
मुब्बशीर का बचपन किसी भी सामान्य उच्च मध्य वर्गीय परिवार के बच्चे जैसा था. उसे डायनासॉर पसंद थे, जानवरों के नाम याद करता था. परिवार के साथ ताज महल देखने भारत गया तो लौट कर मुगल राजाओं और दुर्गा की तस्वीरें बनाने लगा. स्कूल में 1971 की जंग और आजादी के बारे में पढ़ा, तो इतिहास में रुचि बढ़ गई. कार्टून भी देखता, अंग्रेजी फिल्में भी. स्कूल में बच्चे उसे मां का लाडला कह कर चिढ़ाते. वह घर के पास वाली मस्जिद में भी जाता और दिन में पांच बार नमाज भी पढ़ता. पिता बताते हैं कि गायब होने से पहले उन्हें उसके रवैये में कोई बड़ा बदलाव देखने को तो नहीं मिला लेकिन उनका ध्यान इस ओर जरूर गया था कि बेटे ने फेसबुक का इस्तेमाल कम कर दिया था और हर वक्त पढ़ता रहता था.
देखें, 2016 में कहां कहां गई आतंकी हमलों में लोगों की जान
सबसे खूनी साल 2016
2016 आतंकवाद का साल साबित हुआ है. सात महीनों में सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं. इस साल अब तक के सबसे ज्यादा आतंकवादी हमले हुए हैं.
तस्वीर: Imago/Science Photo Library
4 जुलाई
एक के बाद एक तीन आतंकवादी हमले हुए. सऊदी अरब के जेद्दा, मदीना और कतीफ में तीन खुदकुश हमले.
तस्वीर: Reuters
3 जुलाई
बगदाद में इराक का सबसे भयानक आतंकवादी हमला हुआ जिसमें 215 जानें गईं और 2002 लोग घायल हो गए.
तस्वीर: Reuters/Khalid al Mousily
2 जुलाई
ढाका में बांग्लादेश का अब तक का सबसे घातक आतंकवादी हमला जिसमें 7 आतंकवादियों ने 20 मासूम जानें ले लीं.
तस्वीर: Getty Images/AFP
28 जून
तुर्की के इस्तांबुल में अतातुर्क एयरपोर्ट पर तीन आतंकियों ने आत्मघाती हमला किया. 45 लोगों की जान चली गई.
तस्वीर: Getty Images/AFP/O. Kose
27 मार्च
पाकिस्तान के लाहौर में बच्चों के खेल के मैदान के पास बम धमाका हुआ. 72 लोग मारे गए जिनमें ज्यादातर बच्चे थे.
तस्वीर: picture alliance/dpa/R. Dar
22 मार्च
बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स में एयरपोर्ट पर आत्मघाती बम हमला हुआ. 34 जानें गईं और 300 लोग घायल हुए.
तस्वीर: Reuters/F. Lenoir
13 मार्च
तुर्की की राजधानी अंकारा में मुख्य चौराहे पर एक कार बम से धमाका किया गया. 37 जानें चली गईं.
तस्वीर: Reuters/U. Bektas
13 मार्च
आइवरी कोस्ट में कुछ अल कायदा आतंकवादी एक होटल में घुसे और गोलियां बरसाईं. 18 लोग मारे गए.
तस्वीर: Reuters/L. Gnago
26 फरवरी
सोमालिया की राजधानी मोगादिशू में एक होटल में अल शबाब ने कार बम से धमाका किया. 15 लोगों की जान चली गई.
तस्वीर: Reuters/F. Omar
17 फरवरी
तुर्की की राजधानी अंकारा में कई बम धमाके हुए. कुर्दिस्तान फ्रीडम फाल्कन्स के इस हमले में 29 जानें गईं.
तस्वीर: Reuters/Ihlas News Agency
15 जनवरी
बुरकीना फासो के एक होटल में हुए आतंकवादी हमले में 18 देशों के 23 लोगों की जानें गईं. अल कायदा का काम था.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/W. Elsen
14 जनवरी
इंडोनेशिया के जकार्ता में बम धमाके और उसके बाद गोलियां बरसा कर आईएस ने 8 लोगों को मार डाला.
तस्वीर: Getty Images/AFP/B. Ismoyo
12 जनवरी
साल की शुरुआत में ही तुर्की के इस्तांबुल में धमाके सुनाई दिए. 13 लोगों की जानें गईं. दर्जनों घायल हुए.
तस्वीर: Reuters/O. Orsal
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मुब्बशीर की ही तरह बाकी के हमलावर भी बांग्लादेश के सबसे अच्छे स्कूलों में पढ़े थे और अच्छे परिवारों से नाता रखते थे. ऐसे में पूरा देश इस वक्त यही सवाल कर रहा है कि इन बच्चों के साथ आखिर हुआ क्या. एक अन्य आतंकी की पहचान 22 साल के निबरस इस्लाम के रूप में की गई है जिसने मलेशिया की मोनाश यूनिवर्सिटी से बैचलर्स की पढ़ाई की. यहां सालाना फीस 9,000 डॉलर है. ऐसे में अब गरीबी और अनपढ़ता को आतंकवाद के लिए जिम्मेदार नहीं माना जा सकता.
सब जवाब खोजने में लगे हैं. मुब्बशीर के परिवार वाले इंटरनेट को इसके लिए जिम्मेदार मानते हैं, तो पिता का भी कहना है कि कुछ ही महीने पहले बेटे को जो स्मार्टफोन दिलाया था, उसी ने उसकी जान ले ली. कट्टरपंथी किस तरह युवाओं तक पहुंच रहे हैं, इसे ले कर सब चिंतित हैं. कबीर कहते हैं, "अगर वो मेरे बेटे को छीन सकते हैं, तो वो किसी के भी बच्चे को छीन सकते हैं." कबीर ने अभी अपने बेटे का मृत शरीर नहीं देखा है. पुलिस ने उन्हें शिनाख्त के लिए बुलाया है. बाप की उम्मीदें अभी भी बंधी हुई हैं, "काश की कोई करिश्मा हो जाए, काश वो मेरा बच्चा ना हो!"