ढाका में सरकार विरोधी रैली को रोके जाने के बाद सोमवार को भी माहौल में तनाव बरकरार रहा. रविवार को रैली की अध्यक्षता करने जा रहीं पूर्व प्रधानमंत्री बेगम खालिदा जिया के घर की घेराबंदी कर पुलिस ने उन्हें रैली करने से रोका.
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विपक्ष की मांग है कि पांच जनवरी को होने वाले चुनाव रोके जाएं और एक कार्यवाहक सरकार की देख रेख में मतदान कराए जाएं. इसी सिलसिले में यह रैली बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की नेता बेगम खालिदा जिया के नेतृत्व में रविवार को आयोजित की जानी थी. लेकिन जिया के घर के बाहर पुलिस बैरिकेड लगा दिए गए और बालू के ट्रक खड़े कर दिए गए जिससे वह अपनी कार तक भी नहीं पहुंच सकीं.
इसके बाद पुलिस और विपक्ष के समर्थकों के बीच हुए संघर्ष में एक व्यक्ति के मारे जाने की खबर है. वहां मौजूद लोगों ने बताया कि संघर्ष में दर्जनों लोग जख्मी हुए. इस बीच सोमवार भी ढाका में सार्वजनिक परिवहन पूरी तरह ठप रहा.
जिया ने सरकार के इस कदम की कड़ी आलोचना की और कहा कि जब तक सरकार चुनाव नहीं रोकेगी विरोध जारी रहेगा. जिया की पार्टी ने अपने समर्थकों से कहा कि वे देश भर में सड़क, रेल और जलमार्ग जाम कर दें.
बांग्लादेश चुनाव: देखरेख किसके हाथों?
बांग्लादेश में अगले साल की शुरुआत में राष्ट्रीय चुनाव होने हैं. लेकिन सत्ताधारी गठबंधन की दोनो प्रमुख पार्टियों के बीच खींचतान जारी है कि कौन इसकी बागडोर संभालेगा.
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प्रमुख पार्टियों के बीच टकराव
सरकार की प्रमुख विपक्षी बांग्लादेश नेशनल पार्टी की अध्यक्ष खालिदा जिया की मांग के बावजूद सरकार ने संविधान में संशोधन से इनकार करते हुए जोर दिया है कि प्रधानमंत्री शेख हसीना के नेतृत्व में मौजूदा सरकार ही चुनाव कराएगी.
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राजनीतिक दिक्कत
बांग्लादेश संसद का वर्तमान सत्र अक्टूबर में समाप्त हो रहा है. सरकार चला रही अवामी लीग पार्टी ने कहा है कि इस महीने के खत्म होने से पहले वह संसद के सत्र को भंग कर देगी लेकिन जनवरी में होने वाले आगामी चुनाव अपनी निगरानी में कराएगी.
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संयुक्त राष्ट्र के प्रयास
संयुक्त राष्ट्र भी दोनों प्रमुख पार्टियों के बीच बातचीत के रास्ते निकालने की कोशिश में है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने अगस्त में दोनों से फोन पर बात भी की. मून ने दोनों से मौजूदा राजनीतिक परस्थिति पर बातचीत के जरिए हल निकालने को कहा.
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निगरानी से इनकार
बांग्लादेश नेशनल पार्टी ने चुनावों में अवामी लीग की निगरानी के विरोध में 25 अक्टूबर को ढाका में रैली बुलाई है. वे चाहते हैं कि उनके समर्थक चुनावों में गैर सरकारी देखरेख की मांग करें. बान की मून से बातचीत में बांग्लादेश नेशनल पार्टी ने बातचीत के लिए तो सहमति जताई थी लेकिन यह भी कहा कि विपक्षी अवामी लीग की निगरानी में होने वाले मतदान में हिस्सा नहीं लेगा.
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क्या है कार्यकारी सरकार
विशेष रूप से गठित की गई कार्यवाहक सरकार का काम होता है कि वह चुनावों को एक आजाद माहौल में संपन्न कराए. बांग्लादेश में इसकी शुरुआत 1999 में हुई थी. लेकिन 2009 में अवामी लीग ने संविधान में संशोधन करके यह प्रावधान खत्म कर दिया.
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बातचीत को जर्मनी का समर्थन
जर्मनी भी इस बात का समर्थन करता है कि दोनों प्रमुख पार्टियों के बीच बातचीत से हल निकाला जाए. बांग्लादेश में जर्मन राजदूत आल्ब्रेष्ट कोंसे ने कहा, "वर्तमान राजनीतिक स्थिति से निपटने का बातचीत ही एक रास्ता है."
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अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण
दूसरा अहम मुद्दा है, 2009 में हसीना सरकार द्वारा लाया गया न्यायाधिकरण, जिसके अनुसार 1971 की लड़ाई के युद्ध अपराधियों को सजा दिलाई जा सके. विपक्ष का दावा है कि ये मुकदमे न्याय दिलाने के बजाए पुराने बदले लेने की राजनीति से प्रेरित हैं.
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आलोचना का सामना
युद्ध अपराध अदालत की आलोचना ह्यूमन राइट्स वॉच ने भी की. मानवाधिकार संगठन के मुताबिक जमाते इस्लामी प्रमुख गुलाम आजम के मुकदमे में कई गड़बड़ियां थीं. 9 अक्टूबर को अदालत ने 8वां फैसला सुनाया. अब्दुल अलीम को जनसंहार, लूटमार, आगजनी और मानवता के खिलाफ अन्य अपराधों के लिए उम्र कैद की सजा सुनाई गई.
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ट्रैक रिकॉर्ड
गठबंधन सरकार के रहते बिजली और कृषि के क्षेत्र में बेहतरी दिखाई दी है. हालांकि भ्रष्टाचार के मामले के बाद पद्मा पुल प्रोजेक्ट से विश्व बैंक के पैसे खींच लेने से हसीना सरकार को मायूसी का मुंह देखना पड़ा. आने वाले चुनावों में इसका असर दिखाई दे सकता है.
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संसद में चर्चा
कार्यकारी सरकार की नियुक्ति से जुड़ा संविधान संशोधन करने से शेख हसीना ने साफ इनकार किया है. हालांकि उनका कहना है कि वह इस पर संसद में प्रस्ताव आने पर बहस के लिए तैयार हैं.
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पांच जनवरी को होने वाले आम चुनाव के विरोध में शुक्रवार से 650 लोग हिरासत में लिए जा चुके हैं. विपक्षी पार्टियों का कहना है कि हिरासत में लिए गए लोग उनके समर्थक हैं. लेकिन पुलिस का कहना है ये सभी तोड़फोड़ और दूसरे आरोपों में हिरासत में लिए गए हैं.
बांग्लादेश की प्रधानंमत्री शेख हसीना विपक्ष की मांग ठुकराती आई हैं और अपनी सरकार की निगरानी में चुनाव के फैसले पर टिकी हैं. रविवार को होने वाली रैली को विपक्ष की तरफ से चुनाव रोकने की आखरी कोशिश के रूप में देखा जा रहा था, लेकिन सरकार के सख्त रवैये के चलते रैली को कामयाबी नहीं मिल सकी.
बांग्लादेश में अक्टूबर से जारी सरकार विरोधी हिंसा में अब तक करीब 150 लोग मारे जा चुके हैं. जिया की अध्यक्षता में विपक्षी पार्टियां हसीना के इस्तीफे की मांग कर रही हैं. जबकि हसीना का आरोप है कि जिया 1971 के संघर्ष के युद्ध अपराधियों को बचाने की कोशिश कर रही हैं. बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी का साथ दे रही पार्टी जमात ए इस्लामी की मांग है कि युद्ध अपराध के आरोप में चलाए जा रहे मुकदमे रोके जाएं. जिया का कहना है हसीना द्वारा शुरू किए गए मुकदमे विपक्ष को कमजोर करने की राजनीति से प्रेरित हैं. जमात ए इस्लामी के चुनाव में हिस्सा लेने पर प्रतिबंध लगा है.
बांग्लादेश में जारी राजनीतिक संघर्ष से वहां के लोग काफी नाराज हैं. मीडिया ने भी इस पर सवाल उठाए हैं. ढाका से प्रकाशित होने वाले डेली स्टार ने संपादकीय लिखा है, "पिछले कई हफ्तों में बहुत खून बह गया. हम इस खून खराबे को रोके जाने की मांग करते हैं."