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बांग्लादेश में संसदीय चुनावों के बाद मतगणना शुरू

२९ दिसम्बर २००८

बांग्लादेश में आम चुनावों के लिए हुए मतदान के बाद मतगणना काम शुरू हो गया है. बांग्लादेश के 8 करोड़ मतदाताओं में से 70 फ़ीसदी ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया है. चुनाव रूझान मंगलवार तक मिलने की उम्मीद है.

छिटपुट हिंसा की घटनाओं को छोड़ कर चुनाव शांतिपूर्ण रहातस्वीर: Mustafiz Mamun

मतदान का काम आमतौर पर शांतिपूर्ण रहा और लोग चुनाव केंद्रों के सामने लंबी लाईनें लगाकर वोट डालने का इंतज़ार करते नज़र आए. कुछ इलाक़ों से छिटपुट हिंसा की भी खबरें मिली हैं. उम्मीद है कि मंगलवार तक चुनाव परिणाम मिलने शुरू हो जाएंगे और बुद्धवार तक स्थिति पूरी तरह स्पष्ट हो जाएगी. दो साल के इमरजेंसी राज को औपचारिक तौर से ख़त्म करने के लिए और देश को लोकतंत्र के रास्ते पर वापस लाने के लिए बांग्लादेश में बडी संख्या में लोगों ने वोट डाले.

आवामी लीग नेता शेख़ हसीनातस्वीर: Mustafiz Mamun

बांग्लादेश में सात साल बाद हो रहे ऐतिहासिक चुनावों के लिए कड़े सुरक्षा इंतज़ाम किए गए थे. देश भर में 650,000 सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया था. बांग्लादेश की संसद में 300 सीटें है लेकिन सोमवार को 299 सीटों पर चुनाव हुआ है. मुख्य मुक़ाबला बीएनपी पार्टी की ख़ालिदा ज़िया और आवामी लीग की नेता शेख़ हसीना के बीच है. बांग्लादेश दुनिया के सबसे ग़रीब देशों में गिना जाता है. देश के राजनीतिक दलों ने आम जनता को महंगाई कम करने और इस्लामी चरमपंथियों के खिलाफ सख़्त कार्रवाई करने का वादा किया है.

अपने मताधिकार का प्रयोग करती बीएनपी नेता ख़ालिदा ज़ियातस्वीर: Mustafiz Mamun

दोनों प्रमुख पार्टियों ने कहा है कि चुनावों में धांधली की आशंका है लेकिन साथ ही चुनाव परिणाम स्वीकारने की भी बात कही है. स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए 200,000 पर्यवेक्षकों को नियुक्त किया गया था. 2,500 विदेशी पर्यवेक्षक भी बुलाए गए थे. संयु्क्त राष्ट्र की मदद से चुनाव से पहले ही 12 लाख फ़र्जी मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से निकाल दिए गए थे.

सेना का समर्थन प्राप्त राष्ट्रपति इयाज़ुद्दीन अहमद की अंतरिम सरकार ने पिछले दो सालों में इमरजेंसी के दौरान भ्रष्टाचार के ख़िलाफ मुहिम चलाई थी और विशेषज्ञों का मानना है कि बहुत सारी समस्याओं का हल निकालने की कोशिश हुई थी. हालांकि यह कहना मुश्किल है कि भ्रष्टाचार के ख़िलाफ संघर्ष का शेख़ हसीना या ख़ालिदा ज़िया की जीत के बाद क्या भविष्य होगा क्योंकि दोनों नेता भ्रष्टाचार के आरोपों पर जेल जा चुकी हैं.

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