बोको हराम का सबसे भयानक हत्याकांड
१५ जनवरी २०१५किसी घटना को समाचार के लिए चुनने का सबसे महत्वपूर्ण मानक होता है, उस घटना का नया होना. इसके बाद देखा जाता है कि जिनके लिए वह समाचार चुना जाना है, उनकी घटनास्थल से निकटता, इसका उनके जीवन में असर और मायने क्या हैं. किसी व्यंग्यात्मक पत्रिका पर इससे पहले इतना भयानक आतंकी हमला कभी नहीं हुआ था. हमारे इतने करीब यूरोप में ही यह हमला हुआ इसलिए घटनास्थल से सामीप्य की शर्त पूरी होती है. इसके अलावा घटना बहुत प्रासंगिक थी क्योंकि यह हमला अभिव्यक्ति और प्रेस की आजादी पर बोला गया था. यह वही आधारभूत मूल्य हैं जिनसे हमें किसी तरह का समझौता बर्दाश्त नहीं. यही वजहें थीं कि पेरिस में शार्ली एब्दॉ के दफ्तर पर हुई नृशंस हत्याओं और उनसे जुड़ी हुई घेराबंदी और दूसरी घटनाओं के बारे में इतना लिखा गया, जिसमें 17 जानें चली गईं.
इस दौरान शार्ली एब्दॉ ने किसी भी दूसरी खबर के मुकाबले कहीं ज्यादा प्रमुखता पाई. यही कारण रहा कि यूरोपीय लोगों ने उसी दिन, उनसे कहीं दूर नाइजीरिया में बोको हराम के हमलों की खबर को उतनी ज्यादा तवज्जो नहीं दी. बताया जा रहा है कि पूर्वोत्तर नाइजीरिया के दो शहरों को इस्लामी आतंकी समूह बोको हराम ने पूरी तरह तबाह कर दिया. यह भी माना जा रहा है कि आतंकियों ने सैकड़ों लोगों की हत्या कर दी और बागा और दोरोन बागा नाम के दो शहरों को मिट्टी में मिला दिया. अभी तक मारे जाने वालों की संख्या का सही सही पता नहीं चल पाया है लेकिन कुछ खबरों में इसे 2,000 तक बताया है.
नाइजीरियन आर्मी इसे इतना बड़ा हमला नहीं बता रही है. उसका कहना है कि इसमें करीब 150 लोगों की मौत हुई है. एमनेस्टी इंटरनेशनल के हवाले से आए सैटेलाइट चित्रों में साफ देखा जा सकता है कि बागा की करीब 620 और दोरोन बागा की 3,100 इमारतें पूरी तरह नष्ट हो गई हैं. चश्मदीद गवाहों ने बोको हराम के हमले के समय की खौफनाक घटनाओं का दृश्य सुनाया है, जब युद्ध के मैदान की तरह हर ओर लाशें ही लाशें बिछ गई थीं.
पूर्वोत्तर नाइजीरिया में इस्लामिक स्टेट की स्थापना करने के बोको हराम के मंसूबों के बारे में पश्चिमी मीडिया नियमित रूप से और काफी विस्तार से खबरें देता आया है. बीते कुछ सालों में इस कट्टरवादी आतंकी संगठन ने कई तरह के अत्याचार किए हैं. 2014 में जब बोको हराम ने नाइजीरिया में 200 से भी ज्यादा लड़कियों को जिहाद की दुल्हन बनाने के इरादे से अपहरण कर लिया था, तब भी पूरे पश्चिमी मीडिया जगत में काफी चीख पुकार मची थी. सोशल मीडिया पर भी "ब्रिंग बैक आवर गर्ल्स" के नारे के साथ बड़े अभियान चले थे और नाइजीरियाई प्रशासन को जरूरी कार्यवाई ना करने के लिए काफी आलोचना का शिकार होना पड़ा. मगर पश्चिमी सरकारों ने इस मामले में ना पड़ने में ही भलाई समझी.
बागा और दोरोन बागा में हुआ जनसंहार इस रवैए में बदलाव ला सकता है. नाइजीरियाई सरकार केवल इस उम्मीद में बैठी नहीं रह सकती कि बोको हराम अपने आप ही कुछ दिनों में शांत हो जाएगा. बीते दिनों में बोको हराम नाइजीरिया के बाहर कुछ पड़ोसी देशों में भी पैर पसार चुका है. हम ऐसे धर्मांध लोगों के साथ जूझ रहे हैं जो नाइजीरियाई सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ रहे हैं और इस प्रक्रिया में कई तरह के अपराधों को अंजाम दे रहे हैं.
हमें भी याद रखना होगा कि पश्चिमी देशों में रहते हुए हमने भी बीते कुछ सालों में मानवाधिकारों की रक्षा और आतंकवादरोधी तर्क देकर ईराक, अफगानिस्तान और लीबिया जैसे कई देशों में अपने दखल को सही ठहराया है. अब पश्चिमी देशों के पत्रकार होने की हैसियत से पेरिस के घटनाक्रम के बाद हमें बोको हराम और उसके आतंकी मंसूबों पर पैनी नजर रखने की जरूरत है. इसे केवल अपने न्यूज एजेंडा में टॉप पर रखने की ही नहीं, बल्कि इस्लामी अतिवाद से जूझ रहे नाइजीरिया और दूसरी क्षेत्रीय हिस्सेदारों की मदद के लिए आम जनमत तैयार करने में भी अहम भूमिका निभाने की जरूरत है. यह साफ है कि आतंकी ऐसे किसी को भी जान से मारने को तैयार हैं जो इस्लाम की उनकी संकीर्ण व्याख्या से सहमत ना हो. हमें याद रखना चाहिए कि पेरिस हमलों की दुनिया भर के कई मुसलमानों ने भी काफी कड़े शब्दों में निंदा की है और किसी भी तरह की हिंसा से दूर रहने की अपील भी. अब वक्त आ गया है कि केवल इंसानियत के नाम पर ठोस अंतरराष्ट्रीय कदम उठाए जाएं.
ग्रैहम लूकस/आरआर