बाघ के बच्चों की मां एक कुतिया
२५ जुलाई २०१२बाल्टिक सागर के तट पर बसे रूसी शहर सोची के एक रिजॉर्ट के बाहर हर दिन सैकड़ों लोग शावकों की देखभाल करने वाली कुतिया को देखने आ रहे हैं. रिजॉर्ट में क्लियोपेट्रा नाम की कुतिया अपने दो पिल्लों के साथ दो शावकों को पाल रही है. शावकों का जन्म मई में हुआ. प्रसव के कुछ ही दिन बाद बाघिन की मौत हो गई. रिजॉर्ट में सोची चिड़ियाघर की सह निदेशक विक्टोरिया कुडालायेवा भी रह रही हैं. वह सभी जानवारों की देखभाल कर रही है. उनके मुताबिक बाघिन की मौत के बाद क्लियोपेट्रा ने शावकों को गोद ले लिया.
कुडालायेवा कहती हैं, "उसने तुरंत उन बच्चों को स्वीकार कर लिया. वह चाट चाटकर उनकी सफाई कर रही है. उन्हें अपने बच्चों की तरह दूध पिला रही है. वे हमेशा साथ में सो रहे हैं."
मां के बिना जीने की कोशिश कर रहे शावकों को क्लियोपेट्रा का नाम तोड़ तोड़ कर दिया गया हैं. एक शावक का नाम क्लोपा और दूसरे प्लूशा रखा गया है. उन्हें बकरी का दूध भी पिलाया जा रहा है.
बच्चे नादान हैं लेकिन हैं तो बाघ के बच्चे ही. उनमें अभी से बाघ के गुण दिखने लगे हैं. वह बीच बीच में पंजा मारते हैं. खेल खेल में गर्दन पर ही झपटते हैं. गुर्राहट जैसी आवाज निकालने की कोशिश में तीखे दांत भी दिखाते हैं. लेकिन कुडालायेवा कहती हैं कि शावकों से क्लियोपेट्रा और उनके बच्चों को कोई खतरा नहीं है, "वे आक्रमक नहीं है, वे बच्चे हैं और ये सब उनके खेल का हिस्सा है. वे जानते हैं कि उन्हें दूध कौन पिला रही है."
एक अनुमान के मुताबिक पूर्वी रूस के साइबेरिया इलाके में अब 400 से भी कम साइबेरियाई बाघ बचे हैं. रूस के कई चिड़ियाघरों में मोटे फर के सहारे बर्फीले इलाकों में रहने वाले इन बाघों को बचाने की कोशिश की जा रही है. चिड़ियाघर के अधिकारियों को उम्मीद है कि क्लियोपेट्रा के भरोसे क्लोपा और प्लूशा को बचाया जा सकेगा. हलांकि अक्टूबर में शावकों को क्लियोपेट्रा से अलग कर दिया जाएगा.
ओएसजे/एमजी(एपी)