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बाजार के दबाव के बीच यूरोपीय सम्मेलन

Priya Esselborn२८ जून २०१२

बाजार और जी-20 के सहयोगियों के दबाव के बीच यूरोपीय संघ के नेता आज ब्रसेल्स में दो दिनों के सम्मेलन के लिए मिल रहे हैं. इस सम्मेलन से यूरो संकट के समाधान के लिए फैसलों की उम्मीद की जा रही है.

तस्वीर: dapd

2010 में यूरो संकट की शुरुआत के बाद हुए कई संकट सम्मेलनों की कड़ी में यह एक और जोड़ होगा. ग्रीस के नव नियुक्त प्रधानमंत्री अंटोनिस समारास बीमार होने की वजह से इसमें भाग नहीं लेंगे. बचत कार्यक्रमों पर वोटरों के गुस्से के कारण बहुत कुछ दांव पर है. पिछले सालों में पोलैंड के अलावा ईयू की कोई सरकार चुनाव जीतने में कामयाब नहीं हुई है. संकट का असर यूरोप के छोटे-बड़े हर देश पर पड़ रहा है. स्लोवेनिया फिसलन भरी राह पर है जबकि स्पेन और साइप्रस के मदद मांगने के बाद यूरोप की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था इटली पर निगाहें हैं. फ्रांस को भी ईयू के बजट लक्ष्यों को पूरा करने के लिए पैसे की जरूरत है.

यूरोपीय संघ के अध्यक्ष हरमन फान रोमपॉय शिखर सम्मेलन में सदस्य देशों में सुधारों पर एक रोडमैप पेश करेंगे, जिसमें वित्तीय क्षेत्र, बजट के मामलों और आर्थिक नीति पर फैसलों का अधिकार राष्ट्रीय सरकारों से लेकर ब्रसेल्स को देने की मांग है. अंतिम फैसला दिसंबर के सम्मेलन तक टाले जाने की संभावना है, लेकिन इसमें बजट संबंधी नियमों को तोड़ने वाली सरकारों से बजट बदलने को कहा जाएगा. यह इस समय की निगरानी से कहीं ज्यादा होगा.

यूरो और यूरोजोन का बचाने की चुनौतीतस्वीर: AP

इसी तरह यूरोप के बैंकों की निगरानी की जिम्मेदारी भी यूरोपीय स्तर पर होगी. यह काम या तो यूरोपीय बैंकिंग ऑथोरिटी के जरिए होगा या यूरोपीय केंद्रीय बैंक के जरिए. यह प्रस्ताव रोमपॉय के अलावा यूरोपीय आयोग के प्रमुख बारोसो, यूरो जोन के प्रमुख युंकर और यूरोपीय बैंक के प्रमुख द्रागी ने तैयार किया है. उनका कहना है कि लोकतांत्रिक वैधता और जिम्मेदारी को भी मजबूत बनाया जाएगा.

इस तरह के परिवर्तनों की स्थिति में यूरोपीय संधि को बदलना होगा, जिसे सदस्य देशों द्वारा अनुमोदन की जरूरत होगी. यह कदम मुश्किल साबित हो सकता है क्योंकि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने यूरोपीय संघ को अधिकार सौंपे जाने की स्थिति में उस पर जनमत संग्रह कराने की बात कही है. टैक्स और खर्च पर ब्रसेल्स से निगरानी को साझा कर्ज और साझी जिम्मेदारी की दिशा में पहला कदम माना जा रहा है.

ऐसा होने पर ही यूरोप के उत्तरी हिस्से की गतिशील अर्थव्यवस्थाओं और दक्षिण की कमजोर अर्थव्यवस्थाओं के बीच ब्याज का खर्च बराबर हो सकेगा. इस समय जर्मनी जैसी अर्थव्यवस्ताओं को बहुत कम दर पर ब्याज मिल रहा है जबकि स्पेन को सात फीसदी से ज्यादा देना पड़ रहा है. स्पेन के प्रधानमंत्री रोखोय ने तो यहां तक कहा है कि इस दर पर स्पेन अपना खर्च नहीं चला सकता.

धीरे धीरे धीमे पड़ते मतभेदतस्वीर: picture-alliance/dpa

शिखर सम्मेलन में जिंदगी और मौत का सवाल तो नहीं है लेकिन जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल के सामने बड़ी चुनौती है. सम्मेलन से पहले उन्होंने कहा है कि जब तक वह जिंदा हैं तब तक यूरो जोन में कर्जे के लिए साझा जिम्मेदारी का सवाल नहीं उठता. लेकिन सरकार प्रमुखों की भेंट में चांसलर पर अपना रुख बदलने के लिए दबाव बढ़ सकता है. अभी तक यूरोपीय देशों को कर्ज के पहाड़ को कम करने और घबराये वित्तीय बाजार को शांत करने में सफलता नहीं मिली है.

यह तय है कि शिखर सम्मेलन में आर्थिक विकास समझौता तय होगा ताकि अमेरिका और एशियाई देशों की चिंता को दूर किया जा सके. जर्मनी, फ्रांस, इटली और स्पेन ने 130 अरब यूरो की पहल करने का प्रस्ताव दिया है. हालांकि यह संसाधन नया नहीं है, बल्कि यूरोपीय संघ के वर्तमान कोष से आ रहा है. इसके अलावा इस मुद्दे पर भी बहस होगी कि क्या यूरो बचाव पैकेज से बैंकों को सीधे मदद दी जा सकती है. अब तक यह मदद सिर्फ सरकारों को दी जा रही है.

एमजे/ओएसजे (एएफपी)

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